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प्रश्न :
गांधी जी का सविनय अवज्ञा आंदोलन उनके द्वारा एक दशक पहले शुरू किये गए असहयोग आंदोलन से किस प्रकार भिन्न था? क्या इस आंदोलन का स्वरूप असहयोग आंदोलन की अपेक्षा अधिक प्रखर था?
10 Jun, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
6 अप्रैल, 1930 को गांधी जी द्वारा नमक कानून के उल्लंघन के साथ शुरू किया गया सविनय अवज्ञा आंदोलन उनके असहयोग आंदोलन से निम्न रूपों में भिन्न था-
- इस आंदोलन में कानून की अवज्ञा को मुख्य हथियार के रूप में प्रयोग किया गया जबकि असहयोग आंदोलन का मुख्य उद्देश्य उपनिवेशी शासन से असहयोग था।
- इस आंदोलन के दौरान कांग्रेस सांगठनिक तौर पर अधिक सशक्त थी, जिससे आंदोलन को मजबूत नेतृत्व मिला।
- जहाँ असहयोग आंदोलन का लक्ष्य ‘स्वराज्य’ था, वहीं इस आंदोलन ने ‘पूर्ण स्वतंत्रता’ को अपना लक्ष्य घोषित किया।
- यद्यपि बुद्धिजीवी वर्ग ने विरोध प्रदर्शन और सहयोग में इस आंदोलन के दौरान वह तत्परता नहीं दिखाई जो असहयोग आंदोलन के दौरान थी, परंतु किसानों एवं व्यावसायिक वर्ग की व्यापक भागीदारी ने अन्य वर्गों की पूर्ति की।
- इस आंदोलन में मुसलमानों की सहभागिता भी असहयोग आंदोलन के समान नहीं थी।
परंतु, निश्चित तौर पर इस आंदोलन का स्वरूप असहयोग आंदोलन की अपेक्षा अधिक प्रखर था, जिसका एक आधार इस तथ्य में निहित है कि इस आंदोलन के दौरान राजनीतिक बंदियों की संख्या असहयोग आंदोलन की अपेक्षा तीन गुणा अधिक थी।
दूसरा, जहाँ असहयोग एवं ‘निष्क्रिय निषिद्धता’ का आह्वान करता है, वहीं ‘अवज्ञा’ सक्रिय रूप नियमों को तोड़ना है, आदेशों का उल्लंघन करना है। अतः इस रूप में ‘अवज्ञा’ असहयोग से अधिक ‘विद्रोही’ क्रिया है। गांधी जी ने ‘अवज्ञा’ को ‘सविनय’ करने का निर्देश इस ‘विद्रोही’ को अहिंसात्मक तरीके से प्रकट करने के लिये ही दिया था।To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
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