‘सूखा’ को परिभाषित कीजिये। साथ ही, वर्गीकरण का आधार बताते हुए भारत के सूखा-प्रभावित क्षेत्रों का उल्लेख कीजिये।
13 Jun, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलसूखा एक असामान्य व लंबा शुष्क मौसम होता है जो किसी क्षेत्र विशेष में स्पष्ट जलीय असंतुलन पैदा करता है। सूखा के लिये मानसून की अनिश्चितता के अतिरिक्त कृषि का अवैज्ञानिक प्रबंधन भी उत्तरदायी कारक हो सकते हैं। ‘सूखे’ की तीन स्थितियाँ होती हैं-
(i) मौसम विज्ञानी सूखाः किसी बड़े क्षेत्र में अपेक्षा से 75% कम वर्षा होने पर उत्पन्न हुई स्थिति।
(ii) जलीय सूखाः जब ‘मौसम विज्ञानी सूखे’ की अवधि अधिक लंबी हो जाती है तो नदियों, तालाब, झीलों जैसे जल क्षेत्र सूखने से यह स्थिति बनती है।
(iii) कृषिगत सूखाः इस स्थिति में फसल के लिये अपेक्षित वर्षा से काफी कम वर्षा होने पर मिट्टी की नमी फसल विकास के लिये अपर्याप्त होती है।
सूखा प्रभावित क्षेत्रों के वर्गीकरण का आधारः
सिंचाई आयोग ने वर्षा की मात्रा और मानसून की विचलनशीलता के आधार पर भारत के सूखा प्रभावित क्षेत्रों को दो भागों में बाँटा है-
(क) सूखा क्षेत्रः ऐसे क्षेत्र जहाँ वर्षा 50 सेमी. से कम होती है तथा वर्षा की विचलनशीलता 25% से अधिक रहती है। इन क्षेत्रों के अंतर्गत पश्चिमी राजस्थान, सौराष्ट्र व कच्छ आते हैं।
(ख) सूखाग्रस्त क्षेत्रः ये वे क्षेत्र हैं जहाँ सामान्य वर्षा 75 सेमी. से कम तथा वर्षा की विचलनशीलता सामान्यतः 25% है। इसके अंतर्गत गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी मध्य प्रदेश, मध्य महाराष्ट्र, आंतरिक कर्नाटक, रायलसीमा, दक्षिणी तेलंगाना, तमिलनाडु के कुछ भाग, बिहार में चंपारण जिला, पूर्वी उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर, झारखंड में पलामू, पश्चिमी बंगाल में पुरूलिया व उड़ीसा में कालाहांडी जिले आता है। ये क्षेत्र द्वितीय हरित क्रांति के संभावित क्षेत्र हैं।