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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    उन परिस्थितियों का उल्लेख करें जिनके कारण भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ‘माउंटबेटन योजना’ में भारत को ‘डोमेनियन’ का दर्जा दिये जाने पर सहमत हो गई जबकि यह लाहौर अधिवेशन (1929) की भावना के विरूद्ध कदम था।

    15 Jun, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    कांग्रेस ने लाहौर अधिवेशन (दिसंबर 1929) में ‘पूर्ण स्वराज्य’ को अपना मुख्य लक्ष्य घोषित किया था। इस अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू अध्यक्ष चुने गए थे क्योंकि ‘पूर्ण स्वराज’ के विचार को लोकप्रिय बनाने में उनकी सर्वाधिक भूमिका रही। परंतु, 3 जून, 1947 में जब माउंटबैटन ने भारत के विभाजन के साथ सत्ता हस्तांतरण की योजना प्रस्तुत की तब उसमें भारत और पाकिस्तान दोनों को ‘डोमेनियन स्टेट्स’ का दर्जा देने का प्रस्ताव था, जिसे कांग्रेस व मुस्लिम लीग दोनों ने स्वीकार कर लिया।

    कांग्रेस द्वारा लाहौर अधिवेशन की घोषणा के विपरीत जाकर भारत के लिये डोमेनियन का दर्जा स्वीकारने के पीछे निम्नलिखित परिस्थितियाँ उत्तरदायी थी-

    (i) तत्कालीन हालातों में शांतिपूर्ण व त्वरित सत्ता हस्तांतरण बहुत जरूरी था, कोई भी अड़ियल रवैया सत्ता हस्तांतरण को लंबे समय तक टाल सकता था। 
    (ii) उस समय देश की परिस्थितियाँ विस्फोटक थी, भयंकर सांप्रदायिक तनाव चल रहा था; ऐसे में आवश्यक था कि कांग्रेस जल्दी से जल्दी शक्तियाँ प्राप्त करें।
    (iii) देश में प्रशासनिक व सैन्य ढाँचे की निरन्तरता रहनी आवश्यक थी, जो डोमेनियन के दर्जे से ही संभव थी। 

    इन परिस्थितियों में कांग्रेस ने ‘डोमेनियन’ के दर्जे पर सहमति जताई। भारत द्वारा डोमेनियन का दर्जा स्वीकार किये जाने से ब्रिटेन को उसे राष्ट्रमंडल में शामिल किये जाने का अवसर प्राप्त हुआ। ब्रिटेन यह इसलिये चाहता था क्योंकि उसका विश्वास था कि भारत के राष्ट्रमंडल में आने से उसे आर्थिक सृदृढ़ता तथा रक्षात्मक शक्ति मिलेगी तथा भारत में उसके निवेश के नये द्वारा खुलेंगे जबकि यह स्पष्ट था कि भारत का ‘डोमेनियन’ का दर्जा अस्थायी है।

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