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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    बौद्धिक क्रांति के प्रबुद्ध विचारों से तैयार फ्राँस की भूमि पर अमेरिकी क्रांति के बीज ने फ्राँसीसी क्रांति का बीज बोया। चर्चा कीजिये।

    22 Jun, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    अमेरिकी क्रांति या अमेरिका की स्वतंत्रता की लड़ाई 1765 ई. से 1783 ई. तक चली। इस क्रांति में तेरह उपनिवेश मिलकर ब्रिटिश साम्राज्य के विरूद्ध सशस्त्र संग्राम में उतरे। ये तेरह उपनिवेश की संयुक्त हो ‘संयुक्त राज्य अमेरिका’ बने। 4 जुलाई, 1776 को अमेरिका की ‘स्वतंत्रता की घोषणा’ की गई। 1783 ई. में ‘पेरिस शांति संधि’ द्वारा ब्रिटेन ने अमेरिका की स्वतंत्रता को मान्यता दे दी। इस अमेरिकी क्रांति में फ्राँस ने अमेरिकी क्रांतिकारियों की खूब सहायता की। 1778 ई. में फ्राँस और अमेरिकियों के मध्य एक विधिवत् संधि भी हुई और फ्राँस ने आवश्यक धन, जहाज और सेना भी अमेरिकियों की सहायता के लिये भेजी थी। इसीलिये अमेरिकी क्रांति का तात्कालिक व नाटकीय प्रभाव फ्राँस पर पड़ा, जहाँ लूई सोलहवें का राजतंत्र कार्य कर रहा था।

    अमेरिकी स्वतंत्रता की घोषणा के गूँजते नारों में स्वतंत्रता, समानता और मानव के अधिकारों की मांग के नारे भी प्रतिध्वनित हो रहे थे तथा उनकी गूँज फ्राँस तक सुनी जा रही थी। अनेक अमेरिकी, ब्रितानी तथा फ्राँसीसी विचारकों व लेखकों के राजतंत्र-विरोधी लेख लूई सोलहवें की व्यवस्था पर प्रहार कर रहे थे। फाँस के कई सैन्य अधिकारी अमेरिका गए थे उन्होंने वहाँ की गणतांत्रिक संस्थाओं को काम करते देखा था। जब अमेरिकी राज्यों ने और अंततः संयुक्त राज्य ने नए संविधान की रचना की तब फ्राँस के बौद्धिक समुदाय में इसे उत्सुकता के साथ पढ़ा गया और उस पर बहस हुई। अमेरिका उस समय व्यवहार में प्रयुक्त ‘गणतंत्रवाद’ का एक नमूना था। 

    अमेरिकी संविधान में मानवीय समानता को कानूनी रूप दिया गया था। यह कहने में बिलकुल भी अतिशयोक्ति नहीं होगी कि अमेरिकी क्रांति फ्राँस के ईश्वर-प्रदत्त राजतंत्र और अभिजातीय विशेषाधिकार पर निर्णायक आघात था। अमेरिकी युद्ध में शामिल होने के कारण फ्राँस आर्थिक दिवालियेपन की ओर उन्मुख हुआ। इसने कार्यक्षमता और सुधार के प्रयास को अवरूद्ध किया, राजतंत्र की कमजोरी को उजागर किया तथा राजतंत्र के विरोधियों को अनेक अवसर प्रदान किये।

    अमेरिकी क्रांति के आदर्शों से फ्राँस के लोगों को प्रेरणा मिली और वे अब परिवर्तन की मांग करने लगे। बेजामिन फ्रैंकलिन के साथ-साथ मांटेस्क्यू, वाल्तेयर और रूसो के विचार भी फ्राँसीसियों के मस्तिष्क को उद्वेलित कर रहे थे। चूँकि ‘पेरिस शांति संधि’ भी फ्राँस की धरा पर ही हुई, इसीलिये कहा जाता है कि बौद्धिक क्रांति के प्रबुद्ध विचारों से तैयार फ्राँस की भूमि पर अमेरिकी क्रांति के बीज ने फ्राँसीसी क्रांति का बीज बोया। 

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