प्रथम विश्वयुद्ध के कारण युद्ध प्रभावित देशों में महिलाओं की सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक स्थिति में आए बदलावों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिये।
04 Jul, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासपरिणाम की दृष्टि से प्रथम विश्वयुद्ध विश्व-इतिहास का एक वर्तन-बिंदु था। इस युद्ध में जन-धन की जो हानि हुई थी, वह तो विस्मयकारी थी ही, इसके साथ ही कई साम्राज्यों व राजवंशों का भी अंत हुआ। इस विश्वयुद्ध के तात्कालिक परिणामों के अतिरिक्त कुछ ऐसे ऐतिहासिक परिणाम भी निकले, जिनका महत्त्व अत्यंत दूरगामी था। उनमें से एक था- महिलाओं की स्थिति में आया बदलाव।
इस प्रथम विश्वयुद्ध ने महिलाओं की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया। अधिकांश स्वस्थ पुरुष सेना या सैनिक कार्य में शामिल हो गए थे। पुरुषों की अनुपस्थिति/कमी में कारखानों और दुकानों में, अस्पतालों और स्कूलों में, कार्यालयों और स्वयंसेवी संस्थानों में महिलाओं की बाढ़ आ गई। यह स्थिति अस्थाई नहीं रही अपितु स्थायी साबित हुई। औरतों ने अब वे सभी कार्य करने प्रारंभ कर दिये थे, जो पहले केवल पुरुष करते थे। इससे समाज में महिलाओं की स्थिति में क्रांतिकारी बदलाव आया। पति-पत्नी के संबंधों और विवाह के स्वरूप में भी अभूतपूर्व परिवर्तन आया।
इन स्थितियों व बदलावों की बदौलत महिलाओं की विचारधारा बहिर्मुखी हो गई। महिलाओं ने अब पुरुषों के बराबर अधिकारों का दावा किया। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद ही यूरोपीय देशों में औरतों को मताधिकार मिला था, जो उनकी एक बहुत बड़ी राजनीतिक उपलब्धि थी। 1918 ई. में पहली बार ग्रेट ब्रिटेन में औरतों को मताधिकार मिला।
विश्वयुद्ध में चालीस से कम उम्र के लगभग एक करोड़ लोग मारे गए और लगभग दो करोड़ घायल हुए। जनसंख्या की इस भारी क्षति का असर लिंग और उम्र पर भी हुआ। युद्ध में मरनेवालों में औरतों की संख्या काफी कम थी। इसलिये युद्ध के कारण पुरुष और औरत के अनुपात में भारी अंतर आया। इंग्लैण्ड में 1911 ई. में प्रत्येक 1000 पुरुषों पर 1067 औरतें थीं, वहीं 1921 ई. में 1000 पुरुषों पर 1093 औरतें थीं। इस असंतुलन के कारण युद्ध के बाद ‘अतिरिक्त महिलाओं’ समस्या पर भी बहस हुई थी।
इस प्रकार, प्रथम विश्वयुद्ध महिलाओं की सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक मंच पर स्थिति में बदलाव, अधिकारों के लिये जागरूकता और महिलाओं की क्षमताओं से विश्व का परिचय कराने का माध्यम बना।