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प्रश्न :
ब्रिटिश सरकार द्वारा लिये गए बंगाल विभाजन के निर्णय के विरोधस्वरूप चलाया गया स्वदेशी व बहिष्कार आंदोलन यद्यपि अपने उद्देश्यों में पूर्णतया सफल नहीं हो सका, किंतु इस आंदोलन की उपलब्धियों को नकारा नहीं जा सकता। चर्चा कीजिये।
11 Jul, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
स्वदेशी व बहिष्कार आंदोलन आधुनिक भारत के इतिहास की एक प्रमुख घटना थी। 1857 की क्रांति के पश्चात् का यह सबसे सशक्त विरोध था। यद्यपि यह आंदोलन अपने उद्देश्यों में पूर्णतः सफल नहीं हो सकता, परंतु इस आंदोलन की उपलब्धियाँ बहुत महत्त्वपूर्ण थी और इसके अत्यंत दूरगामी परिणाम हुए। यथा-
- देशप्रेम और राष्ट्रीयता का तीव्र प्रसार करने में स्वदेशी आंदोलन को अपार सफलता मिली। यह आंदोलन विदेशी शासन के विरूद्ध जनता की भावनाओं को जागृत करने का अत्यंत शक्तिशाली साधन सिद्ध हुआ। अभी तक स्वतंत्रता आंदोलन की राजनीति से पृथक रहने वाले अनेक वर्गों यथा- छात्रों, महिलाओं तथा कुछ ग्रामीण व शहरी जनसंख्या ने इस आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। आंदोलन का प्रभाव-क्षेत्र राजनीतिक जगत तक ही सीमित नहीं रहा अपितु साहित्य, विज्ञान एवं उद्योग जगत पर भी इसका प्रभाव पड़ा।
- स्वदेशी आंदोलन ने उपनिवेशवादी विचारों एवं संस्थाओं की वास्तविक मंशा को लोगों के समक्ष अनावृत कर दिया।
- आंदोलन से लोगों की तन्द्रा टूटी तथा वे साहसिक राजनीतिक भागीदारी एवं राजनीतिक कार्यों में एकता की महत्ता से परिचित हुए।
- स्वतंत्रता आंदोलन के सभी प्रमुख माध्यमों जैसे- उदारवाद से राजनीतिक अतिवाद, क्रांतिकारी आतंकवाद से प्रारंभिक समाजवाद तथा याचिका एवं प्रार्थना-पत्रों से असहयोग एवं सत्याग्रह का अस्तित्व इस आंदोलन से उभरकर सामने आया।
- आंदोलन से प्राप्त हुए अनुभवों से स्वतंत्रता संघर्ष की भावी राजनीति को तय करने में सहायता मिलीं
चूंकि आंदोलन के दौरान, उदारवादी इसे अखिल भारतीय स्वरूप देने में असफल रहे तथा उनके कार्यक्रम व नीतियाँ आंदोलन को यथोचित गति नहीं प्रदान कर सकी, इसीलिये युवा पीढ़ी ने उनके नेतृत्व को नकार दिया। वहीं, अतिवादी राष्ट्रवादियों की कार्यप्रणाली में एकरूपता नहीं थी। उनकी कार्यप्रणाली से अहिंसात्मक व वैधानिक आंदोलन के समर्थक असंतुष्ट हो गए। उग्रवादियों की नीतियों व कार्यों से उपनिवेशी शासन को आघात तो जरूर पहुँचा लेकिन उनके कुछ कार्यों से धर्म एवं राजनीति के मध्य अस्वस्थ परम्परा की शुरुआत हुई, जिसके दुष्परिणाम कालांतर में भारत को झेलने पड़े।
फिर भी, स्वदेशी व बहिष्कार आंदोलन से जो राजनीतिक चेतना एवं राष्ट्रवादी लहर पैदा हुई कालांतर में उसने भारत की आजादी की रूपरेखा तैयार की।To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
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