चीन वैश्विक स्तर पर अमेरिका के एक प्रमुख प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभर रहा है जिसके कारण अमेरिका ने चीन के प्रति अपनी नीति को व्यापक रूप से परिवर्तित किया है, स्पष्ट कीजिये। साथ ही बताइये कि अमेरिका की चीन के प्रति अपनाई गई नीति से भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा :
- चीन के प्रति अमेरिकी नीति में बदलाव को स्पष्ट करें।
- अमेरिका की चीन के प्रति अपनाई गई नीति का भारत पर पढ़ने वाला प्रभाव।
- निष्कर्ष।
|
चीन न सिर्फ विनिर्माण एवं उत्पादन के मामले में अमेरिका को कड़ी टक्कर दे रहा है बल्कि उसने साम्राज्यवादी एवं एकाधिकारपूर्ण रवैया अपनाकर विश्व व्यवस्था में अपना वर्चस्व स्थापित करने का प्रयास कर रहा है। अमेरिका के द्वारा चीन की नीति का सशक्त प्रतिरोध किया जा रहा है। अमेरिका ने विनिर्माण एवं उत्पादन के मामले में चीन की प्रगति को नियंत्रित करने तथा एकाधिकार पूर्ण रवैये, दोनों के संबंध में अपनी नीति को परिवर्तित किया है।
चीन के प्रति अमेरिकी नीति में बदलाव:
- विश्व व्यापार संगठन में अमेरिका ने चीन के विरोध की नीति अपनाई है।
- अमेरिका चीन के विनिर्माण एवं उत्पादन के मामले में प्रगति को नियंत्रित करने के लिये अन्य देशों जैसे-भारत, दक्षिण कोरिया, वियतनाम की आर्थिक एवं विनिर्माण के क्षेत्र में मदद कर रहा है।
- चीन की साम्राज्यवादी नीति एवं एकाधिकार पूर्ण रवैये के प्रति अमेरिका ने विरोध का रास्ता अपनाया है। उदाहरण के तौर पर चीन के द्वारा दक्षिणी चीन सागर के प्रति अपनाई गई नीति का अमेरिका ने विरोध किया है। इसी प्रकार वह तिब्बत का समर्थन एवं ताइवान के साथ सामरिक रिश्ते भी बढ़ा रहा है।
- अमेरिका ने चीन की बढ़ती ताकत को प्रति संतुलित करने के लिये भारत व जापान जैसे देशों के साथ मिलकर सैन्य अभ्यास को बढ़ावा दिया है।
अमेरिका की चीन के प्रति अपनाई गई नीति का भारत पर प्रभावः
सकारात्मक प्रभाव
- भारत हिंद महासागर में अमेरिका के साथ मिलकर ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ की चीनी नीति को बेहतर तरीके से प्रतिसंतुलित कर सकता है।
- दक्षिण चीन सागर में स्वतंत्र नौवहन भारत के हितों के दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण है। ज्ञातव्य है कि दक्षिण चीन सागर पर भारत एवं अमेरिका का रूख एक समान है।
- भारत का अमेरिका के अधिक निकट जाना चीन के हितों के विरुद्ध होगा। अतः चीन का रूख भारत के प्रति नरम हो सकता है। भारत को भी अमेरिका के साथ बेहतर संबंध स्थापित करने के साथ-साथ चीन से संबंधों को बिगड़ने नहीं देना चाहिये। इस प्रकार संतुलन स्थापित करके भारत एशियाई इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक, ब्रिक्स आदि संगठनों से अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकता है।
नकारात्मक प्रभावः
- अमेरिका एवं भारत की अधिक घनिष्ठता से चीन भारत को अपना विरोधी मान सकता है जिससे संबंध और अधिक खराब हो सकते हैं।
- विश्व व्यापार संगठन एवं जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर चीन भारत का विरोध कर अलग रूख अपना सकता है।
- चीन भारत के विरोध में पाकिस्तान को बढ़ावा दे सकता है।
निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि चीन की शक्ति को प्रतिसंतुलित करने के लिये अमेरिका ने अपनी नीति परिवर्तित की है। अमेरिका की इस परिवर्तित नीति के भारत पर सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़ेंगे।