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प्रश्न :
“भारत में सामाजिक सुरक्षा हेतु दीर्घकालिक आधार पर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिये सार्वभौमिक और स्थायी तंत्रों को मजबूत किया जाना चाहिये।” भारत में सामाजिक सुरक्षा की आवश्यकता के संदर्भ में उपरोक्त कथन को स्पष्ट करें।
17 Mar, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
आजादी के 70 साल बाद भारत में युवा जनसंख्या (जनसांख्यिकीय लाभांश की संभावना) और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, जो कि वैश्विक मंदी से काफी हद तक प्रभावित नहीं है। शायद यह सबसे उपयुक्त समय है कि भारत में मौजूदा सामाजिक सुरक्षा प्रणाली को और मजबूत किया जाए।
भारत में सामाजिक सुरक्षा उपायों में से एक यह है भारत का संविधान, भाग चार के अनुच्छेद 41 व 42 बेरोजगारी, बुढ़ापा, बीमारी और विकलांगता के मामले में काम करने, शिक्षा और सहायता के अधिकार की सुरक्षा पर चर्चा करता है। यह सामाजिक सुरक्षा उपायों का विस्तार करने के लिये एक मजबूत कानूनी ढाँचा है।
भारत ने कुछ ऐतिहासिक सामाजिक सुरक्षा की पहल की हैः
- उज्ज्वला योजना, मनरेगा और जनधन योजना जैसी पहलों द्वारा सामाजिक समावेश के लिये उत्कृष्ट प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराए जा रहें हैं। और उन्हें कार्यान्वयन के लिये रोडमैप और मजबूत करना चाहिये।
- भारत में प्रति वर्ष 63 मिलियन लोग स्वास्थ्य खर्च उठाने के कारण गरीबी में पड़ते हैं। व्यक्ति जो पहले ही गरीबी रेखा के नीचे होता है और गरीब हो जाता है। इस समस्या के समाधान हेतु 12 अप्रैल, 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन शुरू किया गया।
- वर्तमान समय में भारत सरकार द्वारा महिलाओं के उत्थान हेतु अनेक कार्यक्रम एवं योजनाएं तो संचालित कर रही हैं। मातृत्व लाभ कार्यक्रम केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में नियमित रूप से रोजगार करने वाली अथवा इसी प्रकार की किसी योजना की पात्र महिलाओं को छोड़कर सभी गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को पहले दो जीवित शिशुओं के जन्म के लिए तीन किश्तों में 6000 रुपये का नकद प्रोत्साहन देय है।
- सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को स्थिरता के लिये विधायी और कानूनी सहायता की आवश्यकता है। कर आधारित वित्तपोषण को उन प्रावधानों के कुशल प्रबंधन के लिये भुगतान करने वालों से अनिवार्य योगदान के साथ प्रतिस्थापित किया जाना चाहिये अन्यथा स्थिरता एक चुनौती होगी। इसे विधायी और कानूनी प्रावधानों द्वारा समर्थित होना चाहिये।
कई राज्य जहाँ सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के सार्वभौमिकरण के लिये देश के बाकी हिस्सों का मार्ग दिखा सकता है जिसमें सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज शामिल है।
कई अंतर्राष्ट्रीय उदाहरण हैं जो सुझाव देते हैं कि भारत को देश में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के सार्वभौमिकरण के लिये एक लंबा रास्ता तय करना होगा।
चुनिंदा देशों में सामाजिक सुरक्षा पहल का सारांश
ऑस्ट्रेलियाः ऑस्ट्रेलिया प्रदान करता है सामाजिक कल्याण भुगतानों का परीक्षण अर्थात्, एक व्यक्ति/घर केवल तब ही योग्य है यदि उसे भुगतानों के बिना करने के साधनों की कमी है ऑस्ट्रेलिया का कल्याण प्रणाली व्यापक है और पारंपरिक प्राप्तकर्ताओं (सेनानिवृत्त, पत्नियों, बच्चों, विकलांग, बेरोजगार, बीमार, अपने नवजात शिशु की देखभाल करने वाले माता-पिता) के अलावा, भुगतान छात्रें, देखभाल करने वालों (बीमारों की देखभाल करने वाले) और भुगतान आदिवासियों को अतिरिक्त पूरक भुगकतान के लिये भी प्रावधान है।चीनः चीन में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को प्रांतों (समकक्ष राज्यों) के अनुसार अनुकूलित किया गया है। नियम केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया है लेकिन स्थानीय प्राधिकरण इसके प्रशासन और विनिर्देशों का निर्णय लेते हैं। इन योजनाओं में पिछले चार दशकों में कई परिवर्तन हुए हैं।
क्यूबाः क्यूबा में सामाजिक सुरक्षा प्रणाली (एसएसएस) लगभग सार्वभौमिक है और वित्तपोषण का प्रमुख भार सरकार द्वारा वहन किया जाता है। इन प्रावधानों को बहुत तेज रफ्तार और अपेक्षाकृत कम लागत पर हासिल किया है।
जापानः जापान में एक सामाजिक सुरक्षा प्रणाली है जो लगभग सार्वभौमिक है। जापान में हर किसी के लिये इस प्रणाली में भाग लेना अनिवार्य है। जापान में बुनियादी जीवन व्यय, आवास लागत, अनिवार्य शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण लागत, स्वास्थ्य बीमा और अंत्येष्टि के लिये सार्वजनिक सहायता कार्यक्रम भी हैं।
फिलीपींसः फिलीपीन सोशल सिक्योरिटी सिस्टम निजी, पेशेवर और अनौपचारिक क्षेत्रें में श्रमिकों के लिये एक राज्य संचालित, सामाजिक बीमा कार्यक्रम है। एसएसएस द्वारा संचालित तीन कार्यक्रम हैं, (a) सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम (b) चिकित्सा कार्यक्रम और (c) कर्मचारी मुआवजा।
निष्कर्ष: पिछले कुछ दशकों में सामाजिक सुरक्षा कार्यान्वयन विकसित हुआ है और आर्थिक विकास के विभिन्न चरणों में कई देशों से सीख रहे हैं। सामाजिक सुरक्षा भारतीय संवैधानिक का हिस्सा रही है और भारत में लगातार सरकारों द्वारा प्राथमिकता दी गई है। हालाँकि इन योजनाओं को कवरेज और प्रभाव सीमित रहने के साथ जारी रहेगा। सार्वभौमिकता और स्थिरता की दिशा में प्रगति के लिये भारत द्वारा वैश्विक शिक्षा का उपयोग किया जा सकता है। सामाजिक क्षेत्र की निवेश योजना, एजेंसियों और इन योजनाओं में शामिल योजनाओं के एकीकरण के विकास के माध्यम से यह संभव है कि ऐसी योजनाओं के वित्तपोषण के लिये लोगों के साथ एकजुटता और भारतीय राज्यों के नेतृत्व पर ध्यान केंद्रित किया जाए।
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