मातृत्व लाभ अधिनियम 2017 पारित कर महिलाओं की स्थिति को अधिक सशक्त करने का प्रयास किया गया है, इस अधिनियम में किये गए संशोधनों का उल्लेख करते हुए इसे और बेहतर बनाने के उपाय बताइये।
उत्तर :
विभिन्न सर्वेक्षणों में देखा गया है कि भारत में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की भागीदारी कार्यबल (Labourforce) में काफी कम है। यद्यपि 2000 से 2005 के मध्य यह भागीदारी 34 प्रतिशत से बढ़कर 37 प्रतिशत हुई किंतु आगे इसमें लगातार गिरावट देखी गई। महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिये ‘मातृत्व लाभ संशोधन अधिनियम’ लाया गया, जिसके प्रमुख संशोधन निम्नलिखित हैं:
- मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया , जिससे माता को शिशु की देखभाल करने का समय मिल सके।
- सेरोगेट मदर्स को भी 12 सप्ताह अवकाश प्रदान करने का प्रावधान है।
- महिलाओं को उनके शिशुओं के लिये कार्यस्थल में या फिर कार्यस्थल से 500 मीटर के दायरे में क्रेच (Creches) की सुविधा उपलब्ध कराने का प्रावधान है।
- नियोक्ता तथा कर्मचारी की आपसी सहमति पर कर्मचारी को घर से कार्य करने की भी छूट प्रदान की जा सकती है।
- किसी भी वित्तीय समस्या से बचने के लिये सवेतन अवकाश घोषित किया गया है।
अधिनियम को बेहतर बनाने के उपायः
- इसमें केवल संगठित क्षेत्र की महिलाओं को शामिल किया गया है जबकि महिला कार्यबल का अधिकतम प्रतिशत असंगठित क्षेत्र में कार्यरत है, अतः असंगठित क्षेत्र को अधिनियम के दायरे में लाने की आवश्यकता है।
- क्रेच की स्वच्छता, सुविधाओं तथा जिम्मेदारियों को अधिक स्पष्ट किये जाने की आवश्यकता है।
- मातृत्व अवकाश के साथ-साथ पितृत्व अवकाश पर विचार किया जाना चाहिये ताकि शिशु पालने की सारी जिम्मेदारी अकेले महिला पर ही न रहे।
- घर से काम करने के लिए कर्मचारी तथा नियोक्ता की आपसी सहमति के स्थान पर कुछ नियम व शर्तें तय की जानी चाहिये ताकि किसी भी तरीके के भेदभाव से बचा जा सके।
उपर्युक्त उपायों को अपनाकर इस अधिनियम को अधिक बेहतर तथा सशक्त बनाया जा सकता है।