सांची क्यों बच गया जबकि अमरावती का सबसे विशाल और शानदार स्तूप नष्ट हो गया? चर्चा कीजिये।
25 Jul, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृतिस्तूप एक गोल टीले जैसी संरचना है जिसका प्रयोग पवित्र बौद्ध अवशेषों को रखने के लिये किया जाता था।
भारत में स्थित स्तूपों में आज सर्वाधिक सुरक्षित सांची का स्तूप है जबकि सबसे विशाल बौद्ध स्तूप अमरावती के मात्र कुछ अवशेष ही शेष बचे हैं।
यूरोपियों का मानना था कि इन स्तूपों के अदभुत् पत्थरों तथा प्राप्त कलाकृतियों को संग्राहलयों में सुरक्षित रखना चाहिये न कि उनके खोज के स्थान पर। खोज की जगह पर ही संरक्षण की बात अंग्रेज अधिकारी सांची के लिये तो मान गए परंतु अमरावती के लिये नहीं। अमरावती के उत्कीर्ण पत्थरों को अलग-अलग स्थानों पर ले जाया गया, कुछ पत्थरों को एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल पहुँचाया गया। आश्चर्य नहीं है कि आज भी कई अंग्रेज अधिकारियों के बागों में अमरावती की मूर्तियाँ मिलती है।
1818 में जब सांची की खोज हुई तो इसके तीन तोरण द्वार तथा टीला सुरक्षित थे। इसके रख-रखाव के लिये भोपाल की शासिका शाहजहाँ बेगम तथा उनके उत्तराधिकारियों ने अनुदान दिये। आज भी यह स्तूप भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के सफल मरम्मत तथा संरक्षण का जीता जागता उदाहरण है जबकि अमरावती का महाचैत्य के अवशेष सिर्फ छोटे से टीले के रूप में शेष है ,जिसका गौरव अब नष्ट हो चुका है।