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प्रश्न :
भारतीय बोलियों को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किये जाने को लेकर चल रहे विवाद पर टिप्पणी करें ।
01 Aug, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
हाल ही में भोजपुरी और राजस्थानी दोनों बोलियों को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने को लेकर भाषाविदों में बहस छिड़ गई है। वर्तमान में संविधान की आठवीं अनुसूची में देश के विभिन्न भागों में बोली जाने वाली 22 भाषाएँ शामिल हैं।
पक्ष में तर्क :-
1. लोक बोलियों के विकास से ही हिंदी का विकास होगा क्यों कि भोजपुरी, अवधी,राजस्थानी आदि बोलियों में हिंदी के शब्द नहीं आए हैं बल्कि इन बोलियों के शब्द हिंदी में गए हैं ।
2. अंग्रेजी, फ्रेंच,रशियन आदि विदेशी भाषाओं की आत्मा , वहाँ के लोक जीवन का प्रतिबिम्ब है, इसलिये हिंदी में लोकजीवन का स्पंदन लाने के लिये मूल बोलियों को संरक्षित करना होगा।विपक्ष में तर्क :-
1. भोजपुरी के आठवीं अनुसूची में शामिल होने से हिंदी भाषियों की संख्या में से भोजपुरी भाषियों की संख्या घट जाएगी। मैथिली की संख्या हिंदी में से पहले ही घट चुकी है। संख्या बल के कारण ही हिंदी राजभाषा के पद पर सुशोभित है।
2. भोजपुरी की समृद्धि से हिंदी को तथा हिंदी की समृद्धि से भोजपुरी को तभी फायदा होगा जब दोनों साथ रहेंगी । आठवीं अनुसूची में शामिल होकर यह हिंदी से स्वतंत्र भाषा बन जाएगी ।
3. अनुभव यह बताता है कि भाषा को मान्यता मिलने के बाद ही अलग राज्य की मांग होने लगती है । मैथिली को 2003 में आठवीं अनुसूची में शामिल करने के बाद से ही मिथिलांचल की मांग की जा रही है।अतः स्पष्ट है कि यह एक विवाद का मुद्दा है । अब आवश्यकता है कि सरकार कोई ऐसा कदम उठाए, जिससे हिंदी या आठवीं अनुसूची की अन्य भाषाओं का महत्व बरकरार रहे और लोक बोलियों का भी विकास संभव हो सके ।
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