"यदि भौगोलिक कारक पर्यटन को प्रेरित करते हैं, तो वहीं वे पर्यटन में बाधा भी डालते हैं" । भारतीय तथा वैश्विक परिप्रेक्ष्य में चर्चा करें ।
03 Aug, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाभूगोल और पर्यटन का संबंध बहुत पुराना है । अमेरिगो वेस्पूची, क्रिस्टोफर कोलंबस और वास्को डि-गामा जैसे यात्रियों ने भूगोल का आधार लेकर समुद्री रास्तों से अनजान स्थानों की खोज प्रारंभ की और यहीं से भूगोल ने पर्यटन को एक प्राथमिक रूप प्रदान किया ।
पर्यटन में व्यक्ति किसी स्थान की यात्रा करता है। उस स्थान की भौगोलिकता ही उसे एक पर्यटन स्थल का स्वरूप देने का काम करती है । पर्यटन में भौगोलिक कारकों के महत्व को निम्न बिन्दुओं द्वारा समझा जा सकता है :-
1. स्थानीय जैव संपदा आधारित विभिन्नता व पारिस्थितिक तंत्र पर्यटन पर प्रभाव डालते हैं। इसके अन्तर्गत स्थानीय पेड़-पौधे और पशु-पक्षी महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उदाहरण के लिये ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में कंगारू ही विश्व में ऑस्ट्रेलिया की पहचान है ।
2. स्वास्थ्यवर्धक जलवायु वाले कम आबादी के पहाड़ी प्रदेश भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं । जैसे- भारत में शिमला तथा माउन्ट आबू ।
3. नदी-घाटियाँ, सागर, झरने, शुष्क मरुस्थल और भौगोलिक कारकों जैसे- पानी, पवन एवं हिम आदि द्वारा अपरदित एवं बनाई गई स्थलाकृतियाँ भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
4. तापमान, पवन, आर्द्रता एवं वर्षा आदि भी पर्यटन से सीधे संबंध रखते हैं। दिसंबर-फरवरी के महीनों में जब अमेरिका और यूरोप में सर्दियाँ अधिक हो जाती है तो इन देशों के पर्यटक भारत के गोवा जैसे राज्य में आते हैं , जहाँ सर्दी अपेक्षाकृत कम होती है ।
कुछ भौगोलिक कारक पर्यटन में अवरोध भी डालते हैं जो कि इस प्रकार हैं :-
1. यदि सुप्त ज्वालामुखी के रूप में हवाई का ज्वालामुखी नेशनल पार्क पर्यटन केंद्र है तो वहीं सक्रिय ज्वालामुखी वाले स्थानों पर पर्यटन पर प्रतिबन्ध होता है ।
2. भूकंप प्रभावित क्षेत्रो में अपेक्षाकृत कम पर्यटक आते हैं। जापान में तो स्थानीय शासन द्वारा ऐसे स्थानों पर चेतावनी पट्टिकाएँ भी लगाई जाती हैं।
3. 2004 की सुनामी के कारण न केवल भारत के बल्कि हिन्द महासागर के कई तटीय देशों के पर्यटन को भारी नुकसान पहुँचा था। संयुक्त राष्ट्र की शाखा यूनेस्को ने विश्व के अनेक भागों में सुनामी की चेतावनी देने वाली प्रणाली लगायी है ।
4. भूमंडलीय तापन के कारण स्केंडिनेविया प्रायद्वीप के अनेक यूरोपीय देश अपने अनेक ऐसे तटों को गँवा चुके हैं, जो पहले पर्यटको के लिये स्वर्ग हुआ करते थे।
स्पष्ट है कि पर्यटन के लिये किसी स्थान की भौगोलिकता, एक महत्वपूर्ण निर्धारक तत्व होती है ।