तमाम प्रयासों के बावजूद जनसँख्या नियंत्रण आज भी देश के समक्ष चुनौती बना हुआ है। इसके क्या कारण हैं ? इन प्रयासों में कौन से सुधार संभव हैं ?
04 Aug, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलसन् 1960 के दशक में आधिकारिक रूप से परिवार नियोजन शुरू करने वाला विश्व का पहला देश भारत था। लेकिन कई प्रयासों और एक बडी धनराशि खर्च किये जाने के बावज़ूद इस क्षेत्र में वांछित परिणाम नहीं मिले हैं। आज़ादी के बाद से आज देश की आबादी चार गुना तक बढ़ गई है। हाल ही में नियंत्रक एवं महापरीक्षक (कैग) ने देश में चल रहे परिवार नियोजन कार्यक्रमों की आलोचना की है। इन कार्यक्रमों के पूर्णतः सफल नहीं होने के निन्मलिखित कारण हो सकते हैं :-
1. अवसंरचनात्मक कमी के चलते कहीं चिकित्सालय के लिये भवन का अभाव है तो कहीं पर्याप्त चिकित्साकर्मी नहीं हैं।
2. बंध्यकरण (नसबंदी) के दौरान बरती जाने वाली लापरवाही के चलते पुरुष व स्त्री दोनों ही इसके प्रति हतोत्साहित हुए हैं। उदाहरण- 2014 में छत्तीसगढ़ में नसबंदी शिविर के दौरान 12 महिलाओं की मृत्यु हो गई थी।
3. परिवार नियोजन अपनाने पर मिलने वाली प्रोत्साहन राशि में भी भ्रष्टाचार और गड़बड़ी की शिकायतें मिली हैं।
4. कैग के अनुसार देश के 14 राज्यों के तीन सौ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में से 40% में नसबंदी की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है।
5. आज भी महिलाओं और पुरुषों में नसबंदी के मामलों में भारी अंतर है। पुरुष आज भी नसबंदी के लिये स्वयं को असहज पाते हैं।
संभावित सुधार :-
1. प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्र में नसबंदी के साथ ही परिवार नियोजन के सभी साधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिये।
2. परिवार नियोजन अपनाने पर दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि या नसबंदी के दौरान क्षति के लिये मिलने वाली क्षतिपूर्ति राशि का बँटवारा सुसंगत तरीके से होना चाहिये।
3. देश के कुछ भागों में अब भी बाल विवाह ज़ारी हैं। बाल विवाह रोककर भी जनसंख्या नियंत्रण में मदद मिलेगी।
4. अब समय आ गया है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिये सरकार को संसद में कोई सख्त कानून पारित कर देना चाहिये।
बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाकर जनसंख्या नियंत्रण के प्रयासों को बल दिया जा सकता है। बढ़ती जनसँख्या को नियंत्रित कर ही हम देश में खुशहाली का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं ।