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प्रश्न :
वैदिक काल से लेकर मध्य काल तक भारतीय साहित्य के क्षेत्र में कई कवयित्रियों व लेखिकाओं का भी योगदान रहा है। चर्चा करें।
10 Aug, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृतिउत्तर :
भारतीय साहित्य परंपरा प्रारंभ से ही समृद्धशाली रही है। जहाँ एक ओर वाल्मीकि, वेदव्यास, कालिदास, तुलसीदास, कंबन, जायसी, अमीर खुसरो आदि जैसे विभिन्न भाषाओं और विषयवस्तुओं पर रचनाकर्म करने वाले कवियों और लेखकों की एक लंबी श्रृंखला है, वहीं कई कवयित्रियों ने भी इस परंपरा को अपने रचनाकर्म द्वारा और अधिक समृद्ध बनाया है। जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं :-
- लोपामुद्रा, गार्गी, मैत्रेयी, अपाला, ब्रह्मवादिनी आदि महिला रचनाकारों ने वेदों के समय से ही संस्कृत साहित्य की मुख्य धारा में महिलाओं की छवि पर ध्यान केन्द्रित किया है।
- बौद्ध मठवासिनियों, मुट्टा और उब्बीरी ने पालि भाषा के गीतों में विभिन्न मनोभावों को व्यक्त किया है।
- अन्दाल व अन्य अलवार कवयित्रियों ने भी लेखनी द्वारा ईश्वर के प्रति अपनी भक्ति को अभिव्यक्त किया है।
- कश्मीर की मुस्लिम कवयित्रियों ललद्यद व हब्बा खातून (1320-1384 ई.) ने भी कई वख (सूक्तियों) की रचना की ।
- मीराबाई ने गुजराती, राजस्थानी और हिंदी साहित्य को अपनी भक्तिपूर्ण रचनाओं से समृद्धशाली बनाया।
- तमिल में अवय्यर तथा कन्नड़ में अक्कामहादेवी अपनी भावपूर्ण गीतात्मकता के लिये जानी जाती हैं।
इन कवयित्रियों व लेखिकाओं की रचनाएँ न केवल साहित्यिक धरोहर हैं, बल्कि ये तत्कालीन सामाजिक स्थितियों व समाज में महिलाओं की दशा के संबंध में जानकारी देने वाले महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ भी हैं।
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