पितृसत्ता, पुरुष द्वारा नियंत्रित समाज का निर्माण करती है। उसी प्रकार नारीवाद (feminism), महिला द्वारा नियंत्रित समाज का निर्माण कर, क्या पुनः असंतुलन स्थापित नहीं कर देगा? विचार प्रस्तुत करें।
11 Aug, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाजपितृसत्ता इस मान्यता पर आधारित है कि पुरुष और स्त्री प्रकृति से भिन्न हैं और यही भिन्नता समाज में उनकी असमान स्थिति को न्यायोचित ठहराती है। पितृसत्तात्मक व्यवस्था की यह महत्त्वपूर्ण विशेषता होती है कि यह समाज के प्रत्येक सदस्य को एक समान न मानकर ऊँचा या नीचा मानती है। पितृसत्ता लोकतांत्रिक मूल्यों के सर्वथा विपरीत है।
पितृसत्ता के विरुद्ध नारीवाद के चरित्र को हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं :-
इस प्रकार कहा जा सकता है कि नारीवाद एक ऐसे समाज की स्थापना करने की चेष्टा करता है, जहाँ नारी-पुरुष के बीच किसी प्रकार के विभेद के स्थान पर संतुलन की स्थापना हो सके तथा नारी व पुरुष दोनों ही समान अधिकारों का इस्तेमाल कर सकें।