रेटजेल द्वारा प्रतिपादित विचारधाराओं का संक्षेप में वर्णन कीजिये।
29 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल
उत्तर की रूपरेखा
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रेटजेल विश्व के प्रथम पूर्ण मानव भूगोलवेत्ता थे। उन्होंने मानव भूगोल को एक विज्ञान के रूप में संस्थापित किया और अपने नवीन विचारों से उसे पोषित किया। इस दिशा में उन्होंने निम्नलिखित विचारधाराओं का प्रतिपादन किया -
नियतिवाद या पर्यावरण नियतिवाद
रेटजेल ने मानव और पर्यावरण के पारस्परिक संबंधों में पर्यावरण के प्रभावों को अधिक महत्त्वपूर्ण बताया था। उन्होंने अपने मानव भूगोल के प्रथम खंड में डार्विन के विकासवाद की पुष्टि की थी और यह मत व्यक्त किया था कि भौगोलिक पर्यावरण के अनुसार ही मानव समाजों का निर्माण होता है। इसीलिये रेटजेल को नियतिवाद का प्रतिपादक माना जाता है।
पार्थिव एकता का सिद्धांत
पार्थिव एकता या अंतर्संबंधों के सिद्धांत में रेटजेल की पूर्ण आस्था थी। उन्होंने मानव भूगोल के विवेचन में पार्थिव एकता के सिद्धांत को ही प्रमुखता प्रदान की थी। वे संपूर्ण विश्व को उसके व्यक्तिगत तत्त्वों के रूप में नहीं, बल्कि सभी तत्त्वों की समष्टि के रूप में देखते थे। वे पार्थिव एकता के सिद्धांत को मानव भूगोल की आधारशिला मानते थे। इस सिद्धांत के अनुसार, प्रकृति के सभी तत्त्व परस्पर संबंधित होते हैं और कोई भी भूदृश्य इन तत्त्वों के मिले-जुले स्वरूप को प्रकट करता है।
राज्य का जैविक सिद्धांत
रेटजेल ने अपने राजनीतिक भूगोल नामक ग्रंथ में राज्य के जैविक सिद्धांत का समर्थन किया है। उन्होंने राज्य को एक जैविक इकाई माना है। उनके मतानुसार, अन्य जैविक इकाइयों की भाँति राज्य के लिये भी आवश्यक है कि वह सतत् प्रगतिशील बना रहे। क्योंकि ठहराव प्रकृति के नियमों के विपरीत और मृत्यु का पर्याय है। अन्य जैविक इकाइयों की भाँति स्वायत्त राजनीतिक इकाइयाँ भी आत्मरक्षा के लिये निरंतर संघर्षरत रहती हैं।
सांस्कृतिक भूदृश्य की संकल्पना
रेटजेल प्रथम भूगोलवेत्ता थे जिन्होंने सांस्कृतिक भूदृश्य की संकल्पना को स्पष्ट वैचारिक आधार प्रदान किया। वे सांस्कृतिक भूदृश्य को ऐतिहासिक भूदृश्य कहते थे। उनके अनुसार, यदि सूक्ष्म दृष्टि से देखा जाए तो सांस्कृतिक भूदृश्य, क्षेत्र विशेष में मानव बसाव की ऐतिहासिक विकास प्रक्रिया का प्रतिफल है।
मानव भूगोल के विकास में रेटजेल का योगदान अविस्मरणीय है। सबसे पहले उन्होंने ही मानवीय पक्ष के भौगोलिक अध्ययन के लिये एंथ्रोपोज्योग्राफी शब्द का प्रयोग किया था। उन्होंने भूगोल के प्रादेशिक अध्ययन पर कम ध्यान दिया और क्रमबद्ध अध्ययन को रोचक बनाने में अपना पूर्ण योगदान प्रदान किया था।