सामाजिक सुधारों के समृद्ध इतिहास और समानता के सिद्धांत से युक्त संविधान वाले भारत में आज भी रंग व नस्लीय भेद-भाव वाली मानसिकता जीवित है। उदाहरणों सहित टिप्पणी करें।
24 Aug, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासऑस्ट्रेलिया, अमेरिका या विश्व के किसी भी कोने में भारतीयों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार पर देश हमेशा से एक साथ तीखी प्रतिक्रिया देता आया है, परंतु देश के भीतर होने वाली रंगभेद व नस्लीय भेद-भाव की घटनाओं पर अक्सर हम सामूहिक चुप्पी साध लेते हैं। चिंता की बात यह है कि चर्चा में आने वाले नस्लीय भेद-भाव के ज़्यादातर मामले देश की राजधानी दिल्ली से संबंधित होते हैं।
भारत में रंग, क्षेत्र, वेशभूषा, नस्ल आदि के आधार पर भेदभाव वाली मानसिकता आज भी विद्यमान है, इसके कुछ प्रमाण इस प्रकार हैं –
भारत में नस्लीय व रंगभेद के खिलाफ विरोध भले ही प्रभावी न रहा हो, परंतु इसने कुछ समय के लिये विमर्श में जगह तो पाई है। जब अभिनेत्री कंगना रनौत गोरा रंग देने वाली फेस-क्रीम का विज्ञापन लेने से मना कर देती हैं या नंदिता दास “फेयर इज़ लवली” वाली मानसिकता के विरुद्ध “डार्क इज़ ब्यूटीफुल” अभियान का समर्थन करती हैं तो रंगभेद के खिलाफ मुहिम को स्वतः ही आवाज़ मिल जाती है।
भारत गांधी का देश है, जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रंग के आधार पर हुए अपमान के कारण नस्लीय घृणा के विरुद्ध आंदोलन छेड़ा था। भारत में द्रविड़, मंगोल, आर्य आदि नस्लों के लोग सदियों से साथ रहते आए हैं। रंग, क्षेत्र, नस्ल, वेशभूषा आदि के आधार पर होने वाला भेदभाव भारत की अनेकता में एकता की भावना को कलंकित करता है। यह संविधान में निहित समानता की भावना पर आघात पहुँचाता है।