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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    यूरोप के अधिकांश क्षेत्र पर नियंत्रण तथा कई पड़ोसी राज्यों के समर्थन के बावजूद नेपोलियन अपनी विजयों और उपलब्धियों को स्थायित्व नहीं प्रदान कर पाया। चर्चा करें।

    28 Aug, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा –

    • नेपोलियन के यूरोप में प्रभाव का संक्षिप्त वर्णन।
    • उसके पतन के कारणों का बिंदुवार विश्लेषण।
    • निष्कर्ष

    नेपोलियन एक महान योद्धा था। डायरेक्टरी के शासन के दौरान ही उसका उत्कर्ष प्रारंभ हो चुका था। बाल्कन प्रायद्वीप को छोड़कर यूरोप की पूरी भूमि पर उसका प्रभाव था।  स्पेन, इटली , जर्मनी का राईन संघ आदि नेपोलियन पर आश्रित राज्य थे तथा इनके शासकों की नियुक्ति वह स्वयं करता था। ऑस्ट्रिया, प्रशा व रूस नेपोलियन का समर्थन करने वाले राज्य थे। इसके बाद भी नेपोलियन अपने प्रभाव और उपलब्धियों को स्थायित्व नहीं दे सका। 1807 के बाद कई मोर्चों पर मिली विफलता ने उसे पतन की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया, लेकिन उसकी विफलता का कारण केवल सैनिक पराजय नहीं थी। नेपोलियन के पतन के कुछ अन्य कारण भी थे, जो कि इस प्रकार हैं- 

    • अपने अधिनायकवाद के चलते उसने राज्य की स्वतंत्रता को बाधित किया। उसने अखबारों पर प्रतिबंध लगा दिया था, उनमें सरकार द्वारा अनुमति प्राप्त अंश ही छापे जा सकते थे। अखबारों में राज्य की किसी भी प्रकार की आलोचना करना संभव नहीं था। सम्राट बनने के बाद उसने अपने योग्य सलाहकारों से परामर्श लेना भी बंद कर दिया था।
    • अपने जीवनकाल में लगभग 40 युद्ध लड़ने वाले नेपोलियन को अधिकांश में विजय भी प्राप्त हुई। इसके बाद वह विश्व-विजेता बनने का स्वप्न देखने लगा। उसने विभिन युद्धों में अपने लाखों सैनिकों का बलिदान कर दिया। सैनिकों की कमी के चलते उसे कम उम्र के किशोरों को भी सेना में भर्ती करना पड़ा। वाटरलू की लड़ाई में उसके सैनिकों की औसत आयु मात्र 16 वर्ष थी। नेपोलियन की सेना इन युद्धों से थक चुकी थी और उसकी बढ़ी हुई सैन्य आवश्यकताओं को पूरा करना संभव नहीं था।
    • नेपोलियन द्वारा नियंत्रित व विजित प्रदेशों में राष्ट्रवाद की भावना के विकास ने उसके पतन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसने जनता पर अनावश्यक कर थोपे, इससे स्पेन,पुर्तगाल,ऑस्ट्रिया व रूस के लोग राष्ट्रीय भावना से उत्प्रेरित होकर नेपोलियन के विरोधी हो गए। प्रबल राष्ट्रीय विरोध के समक्ष नेपोलियन की शक्ति क्षीण होने लगी।
    • इंग्लैंड को परास्त करने के लिये उसने आर्थिक युद्ध का सहारा लिया तथा इंग्लैंड का व्यापारिक बहिष्कार किया। इसके चलते फ्राँस और यूरोप के अन्य देशों की आर्थिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ा। वस्तुओं के अभाव में जनता का साधारण वर्ग भी नेपोलियन का विरोधी बन गया। इस प्रकार नेपोलियन की महाद्वीपीय नीति असफल साबित हुई।
    • स्पेन के खिलाफ प्रायद्वीपीय युद्ध तथा रूस के विरुद्ध अभियान भी नेपोलियन के लिये आत्मघाती साबित हुआ। इन युद्धों ने फ्राँस की सेना की कमज़ोरियों को यूरोप के अन्य राष्ट्रों के समक्ष उजागर कर दिया था। 
    • नेपोलियन के पतन का एक प्रमुख कारण फ्राँस की नौसेना का दुर्बल होना भी था। इंग्लैंड उस समय सर्वश्रेष्ठ नौसैनिक शक्ति था। इंग्लैंड के जहाज़ी बेड़ों से नेपोलियन को दो बार पराजय का मुँह देखना पड़ा। 
    • उसने विभिन राज्यों के शासकों के रूप में अपने सगे-संबंधियों की नियुक्ति कर उन्हें बहुत लाभ पहुँचाया, परंतु उनमें से किसी ने भी संकट के वक्त नेपोलियन का साथ नहीं दिया। 

    इस प्रकार स्पष्ट है कि नेपोलियन के पतन के कई कारण हैं। अपने पतन के लिये वह स्वयं ज़िम्मेदार था। नेपोलियन ने युद्धों द्वारा ही अपने साम्राज्य का निर्माण किया था और युद्धों ने ही उसका पतन कर दिया।

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