मुगलकाल में धार्मिक विचारों की मुख्य प्रवृत्तियाँ क्या थीं? उनसे भावनात्मक एकीकरण की प्रक्रिया किस प्रकार प्रभावित हुई?
29 Aug, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासबाबर द्वारा पानीपत की विजय के पश्चात् उसने भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखी। इस काल में निम्नलिखित धार्मिक प्रवृत्तियाँ प्रचलित थीं-
भावनात्मक एकीकरण की प्रक्रिया पर प्रभाव
मुगलकाल में भावनात्मक एकीकरण की प्रक्रिया उसी सीमा तक प्रभावित हुई जिस सीमा तक वह राजगद्दी हथियाने या व्यक्तिगत संघर्षो तक सीमित रहा। जहाँगीर द्वारा सिखों के पाँचवें गुरु अर्जुनदेव की गिरफ्तारी ने मुगलों और सिखों के बीच संघर्ष को बढ़ाया। ध्यातव्य है कि जहाँगीर का आरोप था कि उसने खुसरो के विद्रोह में पैसे और प्रार्थना से उसकी मदद की थी। सिख गुरु हरगोविंद से भी जहाँगीर का मिलाजुला संबंध रहा। इस तरह ये टकराव मामूली प्रकृति के ही थे जिसने कभी भी सांप्रदायिक स्वरूप नहीं धारण किया।
यद्यपि शाहजहाँ ने अपने शासनकाल में मंदिरों को तोड़कर रूढ़िवादिता का परिचय दिया, फिर भी उसका दृष्टिकोण संकीर्ण नहीं था। वह अपने शासन के अंतिम समय में अपने ज्येष्ठ पुत्र दारा से काफी प्रभावित हुआ, जिसने काशी के पंडितों की सहायता से गीता का फारसी अनुवाद कराया।
औरंगज़ेब के शासनकाल में रुढ़िवादी प्रवृत्ति और संकीर्ण दृष्टिकोण की प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई फिर भी यह प्रभाव राजनीतिक लड़ाइयों तक ही सीमित रही और अंततः उदार विचारधारों ने अपना प्रभाव पुनः जमाया।
इस तरह यह कहा जा सकता है कि मुगलकाल में धार्मिक-वैचारिक भिन्नता के वाबजूद भावनात्मक एकीकरण की प्रक्रिया पूर्णतः बाधित नहीं हुई।