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प्रश्न :
भारत छोड़ो आंदोलन, भारतीय जनता द्वारा स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध किया गया आखिरी बड़ा सामूहिक संघर्ष था। किन कारणों से यह संघर्ष अपरिहार्य हो गया था? चर्चा करें।
30 Aug, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा-
- 1942 की राजनीतिक गतिविधियों का संक्षिप्त में विवरण दें।
- भारत छोड़ो आंदोलन की अपरिहार्यता के पीछे तर्कों को बिंदुवार लिखें।
- निष्कर्ष
क्रिप्स प्रस्तावों को भारतीयों द्वारा नकारे जाने और क्रिप्स मिशन के वापस लौटने के बाद कांग्रेस कार्य समिति ने एक प्रस्ताव पारित कर अंग्रेज़ों को भारत छोड़ने के लिये कह दिया। द्वितीय विश्व युद्ध की आड़ लेकर सरकार ने अपने आपको सख्त-से-सख्त कानूनों से सुरक्षित कर लिया था और शांतिपूर्ण गतिविधियों को भी प्रतिबंधित कर दिया था। स्थितियां अत्यंत विकट हो चुकी थीं और भारत के राष्ट्रीय नेतृत्व को भी यह पता था कि उस समय विद्रोह का नतीजा जनता के कठोर दमन के रूप में आएगा। परंतु फिर भी यह संघर्ष छेड़ा गया। इस संघर्ष के अपरिहार्य हो जाने के निम्नलिखित कारण थे-
- संवैधानिक गतिरोधों को हल करने में क्रिप्स मिशन असफल हो गया था और यह स्पष्ट हो गया था कि ब्रिटिश सरकार भारतीयों के साथ किसी सम्मानजनक समझौते के लिये तैयार नहीं है।
- युद्ध के कारण रोज़मर्रा की आवश्यक वस्तुओं के अभाव के चलते मूल्यों में बेतहाशा वृद्धि के कारण सरकार के प्रति जनता में तीव्र आक्रोश था। जापानी आक्रमण के भय से ब्रिटिश सरकार ने उड़ीसा, बंगाल व असम में दमनकारी भू-नीति का इस्तेमाल किया।
- दक्षिण-पूर्वी एशिया में ब्रिटेन की हार के कारण असंतोष व्यक्त करने की भारतीयों की इच्छाशक्ति जागृत हो गई। ब्रिटिश सत्ता में उनकी आस्था समाप्त हो गई और सत्ता के स्थायित्व के प्रति उनके मन में संदेह पैदा हो गया। फलस्वरूप जनता डाकघरों और बैंकों से अपने रुपए निकालने लगी।
- बर्मा और मलाया को खाली करवाने के तरीकों से भी जनता में काफी क्षोभ व्याप्त था। भारतीयों को लगने लगा था कि अगर जापान ने आक्रमण किया तो अंग्रेज़ यहाँ भी इसी प्रकार विश्वासघात करेंगे।
- लोगों में निराशा फैल रही थी और यह आशंका पैदा हो गई थी कि यदि जापानी आक्रमण हुआ तो जनता हताशा के चलते प्रतिरोध ही न करे, अतः यह समय राष्ट्रीय नेताओं को एक बड़ा संघर्ष शुरू करने के लिये उचित लगा।
भारत छोड़ो आंदोलन भारत के लिये एक युगांतरकारी आंदोलन था, क्योंकि इसने भारत की भावी राजनीति की आधारशिला रखी। “करो या मरो” नारे के साथ ग्वालिया टैंक मैदान से गांधी जी ने अपने ऐतिहासिक भाषण में कहा कि- “जब भी सत्ता मिलेगी, भारत के लोगों को मिलेगी और तब जनता ही तय करेगी कि इसे किसके हाथों में सौंपा जाना है।” सही मायनों में भारत छोड़ो आंदोलन में ही आज़ादी की लड़ाई का नेतृत्व “हम भारत के लोगों” को प्राप्त हुआ।
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