चुनावों के वित्तपोषण से संबंधित पारदर्शिता में सुधार के संदर्भ में किये गए हालिया उपायों पर समालोचनात्मक टिप्पणी कीजिये तथा राजनीतिक दलों की बेहतर जवाबदेही के लिये कौन-से कदम उठाए जाने चाहिये?
06 Apr, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
उत्तर की रूपरेखा:
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लोकतंत्र में चुनावों का महत्त्व सबसे अधिक होता है। विश्वसनीय चुनाव के लिये पारदर्शिता एक मुख्य सिद्धांत है। पारदर्शी चुनाव वह है जिसका प्रत्येक चरण हितधारकों (राजनीतिक दल, चुनाव पर्यवेक्षक तथा मतदाता) के द्वारा संवीक्षा के लिये खुला होता है जो कि स्वतंत्र रूप से यह सत्यापित कर सकते हैं कि चुनाव निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार संपन्न हुआ है तथा कोई अनियमितता नहीं बरती गई है। हाल ही में एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (ADR) की एक रिपोर्ट में यह दर्शाया गया कि राजनीतिक दलों के वित्तपोषण का 75% स्रोत अज्ञात है। राजनीतिक दलों के वित्तपोषण में पारदर्शिता की बात चुनावी सुधारों के केंद्र में है। हाल ही में चुनावी वित्तपोषण की पारदर्शिता में वृद्धि के लिये निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:
सबसे महत्त्वपूर्ण चुनौती यह है कि राजनीतिक दल के लिये कुल नकदी प्राप्त करने की कोई ऊपरी सीमा नहीं निर्धारित की गई है। इसका मतलब यह है कि या तो दानकर्त्ता किसी राजनीतिक दल को कई बार चंदा दे सकता है या दल बिना दानकर्त्ता के प्रमाण के कोई भी राशि हासिल कर सकता है।
इलेक्टोरल बॉण्ड संभवतः राजनीतिक दल को लेखित धन प्रदान कर सकता है क्योंकि यह बैंक के रास्ते से होकर आएगा, परंतु इससे दानकर्त्ता एवं राशि प्राप्त करने वाले राजनीतिक दल के अलावा यहाँ तक कि कर अधिकारियों को भी दानकर्त्ता का पता नहीं चलेगा तथा इन्हें पूरी तरह छूट मिल जाएगी जो कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगा।
केंद्रीय सूचना आयोग के आदेशों के बावजूद राजनीतिक दलों ने सूचना के अधिकार के दायरे में आने से मना कर दिया है।
अधिकतम नकद भुगतान के सीमा की अनुपस्थिति में दानकर्त्ताओं द्वारा इसका दोहन किया जा सकता है।
राजनीतिक दलों की बेहतर जवाबदेही सुनिश्चत करने के लिये उठाए जा सकने वाले कदमः
राजनीतिक दलों को RTI के दायरे में लाने की तत्काल आवश्यकता है, यह स्वेच्छाचारिता को सीमित करेगा तथा नागरिक अधिकारों की रक्षा करेगा।
2013 से पहले स्थापित राजनीतिक न्यासों के कार्यों को अधिशासित करने के लिये कोई नियम नहीं है जो कि राजनीतिक दलों के वित्तपोषण के स्रोत के रूप में कार्य करते हैं तथा प्रछन्न कॉरपोरेट प्रभाव में पड़ गए हैं।
राजनीतिक क्षेत्र में कॉरपोरेट के प्रभाव को नियंत्रित करना होगा।
भारत में डिजिटल क्रांति के फलस्वरूप 2000 रुपए भी आसानी से ऑनलाइन माध्यम से प्रदान किया जा सकता है।
विदेशी धन से संबंधित अधिनियम को कठोरतापूर्वक लागू किया जाना चाहिये।
चुनावों का सरकार द्वारा आंशिक वित्तपोषण एक विकल्प हो सकता है।
चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता, जनता में लोकतंत्र के प्रति विश्वास पैदा करता है। अपने अंतिम भाषण में बराक ओबामा ने लोकतंत्र को हल्के में लेने के लिये चेताया तथा यह जोर दिया कि नागरिकों को केवल सक्रिय एवं दीर्घकालिक रूप से व्यस्त रखकर लोकतंत्र को जीवित रखा जा सकता है तथा सभी के लिये सार्थक लोकतंत्र सुनिश्चित किया जा सकता है।
वित्तीय योगदान में सुधार से व्यापक रूप से भ्रष्ट आचरणों का स्वरूप बदला जा सकता है, परंतु वास्तविक समाधान राजनीतिक दलों का सूचना के अधिकार के दायरे में आने से ही होगा।