अनुच्छेद 142, पूर्ण न्याय के नाम पर किसी भी मामले में हस्तक्षेप करने के लिये सर्वोच्च न्यायालय को एक प्रभावकारी अधिकार प्रदान करता है। आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये।
07 Apr, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
उत्तर की रूपरेखा:
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आपातकाल के बाद न्यायपालिका ने स्वयं को ऐसी संस्था के रूप में परिणत कर दिया जो कि सामाजिक-आर्थिक तथा राजनीतिक न्याय के सिद्धांतों को बढ़ावा देने में दिलचस्पी रखती थी। न्यायपालिका ने संवैधानिक वादों को यथार्थ में बदलने के लिये जनहित याचिका का विकास किया तथा ऐसे लोगों के लिये मार्ग खोल दिया जो कि सामाजिक-आर्थिक कारणों से न्यायालय जाने के लिये स्वतंत्र न थे।
अनुच्छेद 142 में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय अपने अधिकार क्षेत्र के क्रियान्वयन के दौरान ऐसा हुक्मनामा (डिक्री) जारी कर सकता है, या ऐसा आदेश दे सकता है, जो कि इसके समक्ष लंबित मामलों में पूर्ण न्याय प्रदान करने के लिये आवश्यक हो। इस अनुच्छेद के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय ने सामान्य लोगों के साथ न्याय किया है, सामाजिक हितों के मामलों को उठाया तथा हमारे राष्ट्र के प्रतिष्ठापित सिद्धांतों की रक्षा की और इन निर्णयों की सराहना जनता, मीडिया तथा सरकार के द्वारा भी की गई।
कुछ निर्णयः
यह स्पष्ट है कि अनुच्छेद 142 सामाजिक न्याय एवं जन सशक्तीकरण के लिये महत्त्वपूर्ण साधन है, परंतु इसके निम्नलिखित नकारात्मक पक्ष हैं: