एक ऐसा देश जहाँ के अधिकांश नागरिक सरकार की नीतियों तथा कामकाज को लेकर अनभिज्ञ हैं, वहीं विभिन्न सेवाओं को आधार से जोड़ना अनिवार्य कर देना मानसिक भ्रम की स्थिति उत्पन्न करेगा। विश्लेषण कीजिये।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- जागरूकता की कमी, निरक्षरता, अधिकांश लोगों के ग्रामीण पृष्ठभूमि से होने के संदर्भ में आधार कार्ड को विभिन्न सेवाओं से जोड़ने तथा इसे अनिवार्य करने के निर्णय का विश्लेषण करें।
- हल करने का दृष्टिकोणः
- अपने उत्तर की शुरुआत संक्षेप में प्रश्न के संदर्भ के उल्लेख के साथ करें।
- मूलभूत सेवाओं हेतु आधार को जोड़ना अनिवार्य करने से संबंधित चिताओं के बारे में लिखें।
- विश्लेषण से प्राप्त परिणाम को निष्कर्ष में लिखें।
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एक ओर राशन कार्ड को आधार से लिंक न करा पाने के कारण झारखंड की संतोषी देवी को पी.डी.एस. व्यवस्था के तहत मिलने वाले अनाज से वंचित कर दिया गया जिसके कारण भुखमरी से उसकी मृत्यु हो गयी ,वहीँ दूसरी ओर सरकार सूचना की निजता एवं सुरक्षा, व्यापक निरक्षरता, जागरूकता का अभाव, निर्धनता, भारतीय नागरिकों में डिजिटल गैप जैसी चिंताओं के बावजूद सरकारी सेवाओं तथा लाभों को प्राप्त करने के लिये आधार कार्ड की अनिवार्यता बढ़ाती जा रही है जो चिंता का विषय है।
खाद्य अधिकारिता को प्राप्त करने तथा अन्य मूलभूत सुविधाओं जैसे कि स्वास्थ्य सेवा, मनरेगा, छात्रवृत्ति योजनाओं और 1984 के भोपाल गैस लीक के पीडि़तों को क्षतिपूर्ति प्रदान करने के लिये शर्त्तें लगाना एक कल्याणकारी राज्य नहीं बल्कि निगरानी राज्य की विशेषताएँ हैं। यहाँ सर्वोच्च न्यायालय का यह मत भी दरकिनार कर दिया गया है, जिसमें आधार कार्ड को पूर्णतः स्वैच्छिक बताया गया तथा कहा गया कि इसे अनिवार्य नहीं किया जा सकता है।
एक तरफ सरकार ने यह बताया कि सरकारी लाभ के साथ-साथ आधार पहचान के वैकल्पिक साधनों के रूप में जारी रहेगा, परंतु दूसरी तरफ लोगों से आधार में नामांकन की प्रति मांगी गई जिसका मतलब है कि आधार को अनिवार्य कर दिया गया है।
इससे जुड़ी चिताएँ:
- इंटरनेट सेवाओं का कम प्रसार, विद्युत आपूर्ति की समस्या, कठिन परिश्रम के कारण लाभार्थियों के ऊँगलियों के निशान न मिलना इत्यादि सबसे कमजोर वर्ग को व्यवस्था से बाहर कर सकते हैं। कई राज्यों से प्राप्त रिपोर्ट यह दर्शाते हैं कि आधार रिकॉर्ड तथा प्रमाणीकरण की समस्या के कारण वास्तवकि लाभार्थी बाहर हुए हैं।
- आधार कार्ड के साथ नागरिकों की अधिक सूचनाओं को जोड़ने से, जिसमें बैंक खाते का डिटेल भी शामिल है, सूचनाओं के दुरुपयोग की संभावना बढ़ जाती है।
- पहचान की चोरी तथा निजता संबंधी मुद्दे।
- यद्यपि नामांकन की दर काफी तेज है परंतु अब भी यह सर्वव्यापक नहीं हुआ है जैसे कि कुछ क्षेत्रों में नागरिकों को यह अधिकार नहीं मिला है, परंतु कुछ क्षेत्रों में गैर-नागरिकों को भी मिल चुका है।
- आधार अधिनियम में कुछ अस्पष्ट प्रावधान हैं, जैसे ‘खण्ड-57’ जो कि गैर-राज्य इकाइयों को आधार सत्यापन तथा सूचना प्राप्त करने की अनुमति देता है। इसके अलावा, बायोमेट्रिक सूचना को अन्य जैविक विशेषताएँ शामिल करने के लिये खुला रखा है।
लाभः
- लोग आधार कार्ड के प्रयोग से बैंक खाता खोल सकते हैं जो कि उन्हें डिजिटल लेन-देन की सुविधा प्रदान करेगा।
- आधार, डिजिटल रूप में सत्यापन योग्य पहचान प्रदान करता है।
- स्वच्छ जैसी सब्सिडी लाभार्थी के बैंक खाते में सीधे स्थानांतरित हो रही है, जो कि धन के रिसाव को रोक रहा है।
- हाल ही में अनौपचारिक क्षेत्र में नियोक्ता द्वारा कर्मचारी को वेतन सीधे खाते में प्रदान करने संबंधी अध्यादेश इत्यादि से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा।
- अब आधार नंबर की सहायता से डिजिटल लॉकर खोलना संभव है, अतः सभी व्यक्तिगत सूचना को सरकार के सर्वर पर अपलोड किया जा सकता है।
- यहाँ तक कि आधार कार्ड के निर्माता नंदन निलकेनी ने भी माना कि भरोसा तथा सत्यापनीयता किसी भी व्यवसाय के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। अतः आधार अधिनियम का लाभ सरकार तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि यह निजी व्यवसायों तक भी विस्तृत होगा क्योंकि बैंक भी ऋण देने में अधिक विश्वस्त होंगे तथा व्यवसाय अधिक सुरक्षित होंगे।
- आधार को पैन से जोड़ने से कर चोरी के मामलों से बड़े पैमाने पर बचा जा सकेगा, तथा भ्रष्टाचार रोकने में भी मदद मिलेगी।
- अनौपचारिक क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों के साथ गरीब लोगों को औपचारिक डिजिटल अर्थव्यवस्था में शामिल किया जाना चाहिये। सर्वप्रथम आधार को मतदाता पहचान पत्र के साथ जोड़ना चाहिये जो कि मुक्त एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिये अत्यावश्यक है। भारत सरकार को इसे थोपने की बजाय सभी प्रकार के भय, शंकाओं तथा निजता, सुरक्षा के मुद्दों और सर्वोच्च न्यायालय की चिंताओं को दूर करने का प्रयास करना चाहिये जो कि किसी लोकतंत्र के लिये सर्वोपरि आवश्यकता है।
- इसे बलपूवर्क लागू करने से वंचित लोगों का और अधिक शोषण हो सकता है। इन कमियों को देखते हुए इस विषय पर और अधिक चर्चा किये जाने की तत्काल आवश्यकता है, साथ-ही-साथ इसके परिपालन के पूर्व संबंधित कर्मचारियों को उचित प्रशिक्षण दिये जाने की आवश्यकता है।