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प्रश्न :
तापमान व्युत्क्रमण (प्रतिलोम अथवा विलोम ) से क्या अभिप्राय है? इसके लिये कौन-सी भौगोलिक परिस्थितियाँ सहयोग देती हैं?
23 Sep, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा-
- तापमान व्युत्क्रमण की परिभाषा दें।
- इसके लिये ज़रूरी भौगोलिक परिस्थितियों का उल्लेख करें।
सामान्य परिस्थितियों में ऊँचाई बढ़ने के साथ-साथ तापमान घटता जाता है। जिस दर से यह तापमान कम होता है, इसे सामान्य ह्रास दर कहते हैं। परंतु कुछ विशेष परिस्थितियों में ऊँचाई बढ़ने के साथ-साथ तापमान घटने की बजाय बढ़ने लगता है। इस प्रकार ऊँचाई के साथ ताप बढ़ने की प्रक्रिया को तापमान व्युत्क्रमण कहते हैं। तापमान व्युत्क्रमण की परिघटना के दौरान धरातल के समीप ठंडी वायु और उसके ऊपर गर्म वायु होती है।
तापमान व्युत्क्रमण के लिये सहयोग देने वाली भौगोलिक परिस्थितियाँ निम्नलिखित हैं-
- लंबा रात्रिकाल- दिन के समय पृथ्वी ताप ग्रहण करती है और रात्रि के समय ताप छोड़ती है। ताप छोड़ने के पश्चात् पृथ्वी ठंडी हो जाती है तथा उसके पास की वायु भी ठंडी हो जाती है। लंबी रातों के दौरान नीचे की वायु ठंडी और ऊपर की अपेक्षाकृत गर्म रह जाती है।
- स्वच्छ आकाश- धरातलीय विकिरण के द्वारा पृथ्वी के ठंडा होने के लिये मेघ रहित आकाश का होना ज़रूरी है। मेघ, पृथ्वी द्वारा छोड़े गए विकिरण के मार्ग में बाधा डालते हैं।
- शांत वायु- वायु संचरण से आस-पास के क्षेत्रों के बीच ऊष्मा का आदान-प्रदान हो जाता है, जिससे धरातल के निकट की वायु ठंडी नहीं हो पाती।
- शुष्क वायु- आर्द्र वायु में ऊष्मा को अवशोषित कर लेने का गुण होता है। पृथ्वी द्वारा छोड़ी गई ऊष्मा को धरातल से दूर जाने के लिये वायु का शुष्क होना ज़रूरी है।
- किसी क्षेत्र में ठंडी वायु राशि के पहुँचने पर गर्म वायु राशि ऊपर की ओर उठ जाती है, जिससे तापमान व्युत्क्रमण की प्रक्रिया संपन्न हो पाती है।
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