विभिन्न प्रकार के उद्योगों का परिचय देते हुए भारत में उद्योगों की स्थापना हेतु उत्तरदायी कारकों की पहचान कीजिये।
05 Oct, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल
उत्तर की रूपरेखा-
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उद्योगों का वर्गीकरण कई प्रकार से किया जा सकता है-
श्रम के आधार पर-
कच्चे माल के तथा निर्मित वस्तुओं के आधार पर-
स्वामित्व के आधार पर-
कच्चे माल के स्रोत के आधार पर-
भारत में उद्योगों की स्थापना के लिये उत्तरदायी कारक-
भूमि- उद्योगों की स्थापना के लिये भूमि एक आधारभूत अवयव है। उद्योगों के आकार के अनुसार भूमि की आवश्यकता होती है।
श्रम- बंगाल और असम का चाय उद्योग अनुकूल जलवायु के साथ-साथ उस क्षेत्र में श्रम की उपलब्धता के कारण सफल हो सका है।
पूंजी- भूमि तथा श्रम के बाद उद्योगों के लिये तीसरा महत्त्वपूर्ण अवयव पूंजी है। पूंजी के बिना उद्योगों के लिये बुनियादी अवसंरचना को खड़ा करना मुश्किल है।
कच्चे माल की उपलब्धता- ह्रासमान प्रवृत्ति के कारण कुछ उद्योग उन क्षेत्रों में ही लगाए जाते हैं, जहाँ कच्चे माल की उपलब्धता अधिक हो तथा उनको उद्योगों तक पहुँचाने में कम समय लगता हो।
उर्जा उपलब्धता- उर्जा उद्योगों की रीढ़ है। जिन क्षेत्रों में उर्जा की आपूर्ति मांग के अनुसार सुलभ होती है, वहाँ उद्योगों की स्थापना करना आसान होता है।
बाज़ार- उद्योगों की सफलता उनके उत्पादों के लिये विकसित बाज़ारों की उपस्थिति पर भी आधारित होती है। बड़ी आबादी वाला देश होने के कारण भारत कई उद्योगों के लिये एक बड़ा बाज़ार है।
जलवायु-चाय, सूती वस्त्र आदि उद्योगों के लिये विशेष प्रकार की जलवायु की आवश्यकता होती है। भारत का 80% सूती वस्त्र उद्योग कपास उत्पादक क्षेत्रों में वितरित है। कपास के लिये नम जलवायु आवश्यक है, क्योंकि शुष्क वातावरण में धागा जल्दी टूटता है।
पर्यावरणीय मंज़ूरी- भारत में प्रशासकीय अनुमति के अलावा उद्योगों को पर्यावरणीय मंज़ूरी भी लेनी होती है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि इन उद्योगों की स्थापना से पर्यावरण को कोई क्षति न पहुँचे।