भारतीय कला को धर्म से पृथक् करना असंभव है क्योंकि विविध धर्मों ने अपने विकास क्रम में एक दीर्घ समय में भारतीय कला को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित किया है।" विवेचना करें।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा-
- परिचय (Introduction) में भारतीय कला के घटकों और भारत में समयानुक्रम में विकसित हुए धर्मों का उल्लेख करें।
- प्राकृतिक धर्म से शुरुआत करते हुए, ईसाई धर्म तक के भारतीय कला पर प्रभावों का एक या दो उदाहरण देते हुए वर्णन करें।
- निष्कर्ष में धर्म के अतिरिक्त लौकिक विषयों के प्रभाव को स्पष्ट कर उत्तर को संपूर्णता प्रदान करें।
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भारतीय कला का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। परंपरागत रूप से भारतीय कला का वर्गीकरण स्थापत्य कला, मूर्तिकला, चित्रकला, संगीत, काव्य, नृत्य व रंगमंच में किया जाता है। कालानुक्रम में भारत में प्राकृतिक, हिन्दू, जैन, बौद्ध, इस्लाम व ईसाई धर्मों ने भारतीय कला को प्रभावित किया है, जिसे निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर समझा जा सकता है-
- प्राचीन समय में प्राकृतिक तत्त्वों यथा सूर्य इत्यादि की पूजा की जाती थी। निःसंदेह इसी वजह से घर के वास्तुशास्त्र में मुख्य द्वार को पूर्व की तरफ बनाया जाता था। इसके अतिरिक्त हड़प्पा में मिली योगी की मूर्ति की तुलना शिव से की जाती है।
- बौद्ध धर्म के प्रभाव स्वरूप तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में अशोक ने स्तूप, विहार इत्यादि का निर्माण कराया। साँची का स्तूप इसका अनुपम उदाहरण है।
- गुप्तकाल में हिन्दू धर्म के प्रभाव स्वरूप स्थापत्य व मूर्तिकला में हिन्दू भगवानों को प्रेरणात्मक तत्त्व स्वरूप प्रयुक्त किया गया। देवगढ़ का दशावतार मंदिर जो विष्णु के अवतार से प्रभावित है, धर्म का कला पर स्पष्ट प्रभाव को दर्शाता है।
- जैन धर्म से प्रभावित भारतीय कला को एलोरा की गुफाओं से लेकर मथुरा शैली में देखा जा सकता है।
- मध्य काल में आए इस्लाम धर्म ने भारतीय कला को प्रभावित किया। इस्लाम के धार्मिक ग्रंथ कुरान की ‘आयतों’ का उत्कीर्णन तत्कालीन इमारतों में किया गया। इसके अतिरिक्त गुंबद, मेहराबों का प्रचलन इस्लामिक शैली का ही प्रभाव था।
- इस्लाम की सूफी शाखा ने भारतीय संगीत को प्रभावित किया जिसे वर्तमान के सूफी गीतों के माध्यम से देखा जा सकता है।
- अंग्रेज़ों के आगमन के साथ ईसाई धर्म के प्रभाव स्वरूप चर्चों का निर्माण हुआ। चर्चों के माध्यम से भारतीय कला में बड़ी खिड़कियों के निर्माण का समावेश हुआ। उदाहरणतः पुराने गोवा के चर्च को देखा जा सकता है।
वर्तमान समय की चित्रकारी, संगीत और मूर्तिकला में धर्मों का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है।
इस प्रकार यदि धर्म को भारतीय कला की दिग्दर्शिका कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। हालाँकि धर्म से इतर लौकिक विषयों ने भी भारतीय कला को अनुप्राणित किया है। इसका प्रमाण भीमबेटका से लेकर मुगलकालीन चित्रकारी व अमरावती स्थापत्य शैली में देखा जा सकता है।