गांधी-इरविन समझौते के आलोक में 1931 के कांग्रेस के कराची सत्र के महत्त्व पर चर्चा करें। इसके अलावा कुछ अन्य कारणों पर भी चर्चा करें जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में इस सत्र को यादगार बनाते हैं।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा-
- गांधी-इरविन समझौते के महत्त्वपूर्ण बिंदुओं का उल्लेख करें।
- कांग्रेस के कराची अधिवेशन से जुड़े विभिन्न प्रस्तावों का उल्लेख करें।
- निष्कर्ष लिखें।
|
1931 में कांग्रेस कराची अधिवेशन भारत के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण घटना थी। यह सरदार वल्लभ भाई पटेल की अध्यक्षता में एकमात्र कांग्रेस सत्र था। इस अधिवेशन में गांधी-इरविन समझौते का समर्थन किया गया, जिसने कांग्रेस को सरकार के साथ समान स्तर पर बात करने का अवसर प्रदान किया।
गांधी-इरविन समझौते की शर्तें-
- हिंसा के दोषियों के अतिरिक्त अन्य राजनीतिक कैदियों की रिहाई की जाएगी, जिसने इस बात की पुष्टि की कि कई राजनीतिक कार्यकर्त्ताओं की गिरफ्तारी अवैध और मनमाने ढंग से की गई थी।
- जुर्मानों की वसूली को स्थगित किया जाएगा और जब्त की गई भूमि भी वापस की जाएगी।
- स्वयं के उपभोग के लिये तटीय इलाकों के एक निश्चित क्षेत्र में नमक बनाने की अनुमति दी जाएगी।
- सरकारी नौकरियों से त्याग पत्र दे चुके भारतीयों के मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा।
इसके पश्चात् हुए कराची के कांग्रेस अधिवेशन का राष्ट्रीय आंदोलन की दिशा और भारतीय समाज के राजनीतिक और सामाजिक विकास पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ा। इस अधिवेशन के महत्त्व को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है-
- भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की शहादत का इस अधिवेशन पर गहरा प्रभाव पड़ा। इन शहीदों ने जिस समतावादी और समाजवादी विचारधारा वाले समाज की स्थापना का स्वप्न देखा था, उसकी छवि इस अधिवेशन से जुड़े मौलिक अधिकारों और नई आर्थिक नीति के दस्तावेज़ों में दिखाई दी।
- इस अधिवेशन में मौलिक अधिकारों से संबद्ध प्रस्ताव को अपनाया गया, जिसमें धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार से इतर सभी को कानून के समक्ष समानता के अधिकार का प्रावधान किया गया। इसमें सभी के लिये निःशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा की गारंटी दी गई। इस प्रस्ताव में अल्पसंख्यकों और अन्य भाषायी क्षेत्रों की संस्कृति, भाषा तथा लिपि के संरक्षण की भी गारंटी दी गई। साथ ही इसमें सार्वभौम वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनावों का प्रस्ताव भी किया गया। इसमें अभिव्यक्ति, संगठन बनाने व सम्मलेन आयोजित करने आदि की स्वतंत्रता को भी शामिल किया गया।
- इस अधिवेशन में राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रमों से संबद्ध कुछ प्रस्ताव रखे गए। इसमें किसानों को ऋण से राहत देने तथा उन्हें सूदखोरों के शोषण से बचाने के लिये प्रावधान किये गए। इसमें अलाभकारी जोतों को लगान अदा करने से छूट दी गई। इसमें मज़दूरों की सेवा-शर्तों को बेहतर बनाने के साथ-साथ महिला मज़दूरों की सुरक्षा और काम के घंटों को नियमित करने का प्रावधान किया गया। इसमें मज़दूरों को अपने यूनियन बनाने की स्वतंत्रता भी दी गई। नई आर्थिक नीति प्रस्ताव में महत्त्वपूर्ण उद्योगों, परिवहन और खदान जैसे क्षेत्रों को सरकारी स्वामित्व एवं नियंत्रण में रखने का प्रावधान किया गया।
इस अधिवेशन में कांग्रेस ने पहली बार पूर्ण स्वराज को परिभाषित किया। कराची अधिवेशन के प्रस्ताव स्पष्ट रूप से स्वतंत्र भारत के बुनियादी राजनीतिक और आर्थिक कार्यक्रम के लिये आधार सिद्ध हुए।