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प्रश्न :
क्या कारण है कि भारत में अधिकांश धात्विक खनिज प्रायद्वीपीय पठारी क्षेत्र की प्राचीन रवेदार चट्टानों में पाये जाते हैं? भारत में खनिज वितरण की मुख्य पट्टियों की चर्चा कीजिए।
23 Oct, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा-
- प्रायद्वीपीय भारत में धात्विक खनिजों के पाये जाने के कारण बताएँ तथा उनके वितरण को दर्शाएँ।
- पहले भाग में विश्लेणात्मक पहलुओं पर ध्यान दें।
- दूसरे भाग में तथ्यात्मक पहलुओं पर ध्यान दें।
भारत का प्रायद्वीपीय क्षेत्र लौह तथा अलौह जैसे धात्विक खनिजों से सम्पन्न है। वस्तुतः इस क्षेत्र में धात्विक खनिजों का संकेन्द्रण चट्टानों की संरचना तथा खनिजीकरण की प्रक्रिया का प्रतिफलन है जो इतिहास के एक लंबे कालक्रम में सम्पन्न हुई है। इसके यहाँ सकेन्द्रण के लिये निम्नलिखित कारक उत्तरदायी हैं-
- प्रायद्वीपीय पठार गोंडवाना लैंड का भाग है जो आग्नेय चट्टानों से निर्मित है। ये पृथ्वी की प्राचीनतम चट्टानें हैं जिसमें रवेदार धात्विक खनिजों का निर्माण हुआ।
- इस क्षेत्र में धारवाड़ तंत्र की संरचना में प्राथमिक अवसादी चट्टानों का विकास हुआ जो लम्बे कालक्रम में उच्च ताप एवं दाब के परिणामस्वरूप रूपान्तरित चट्टानों में परिवर्तित हो गई। इन चट्टानों में सोना, लोहा, क्रोमियम, तांबा आदि धात्विक खनिजों का संकेन्द्रण है।
- कार्बोनिफेरस काल में दरारी ज्वालामुखी उदभेदन के परिणामस्वरूप सतह पर लावा की एक मोटी परत जम गई जो धात्विक खनिज में संपन्न थी।
भारत में खनिज की तीन मुख्य पट्टियाँ हैं-
दक्षिण-पश्चिमी पठारी क्षेत्रः यह पट्टी कर्नाटक, गोवा, तमिलनाडु के सीमित क्षेत्र और केरल में विस्तृत है। यह पट्टी लौह धातुओं तथा बॉक्साइट में समृद्ध है।
उत्तरी पूर्वी पठारी क्षेत्रः इस पट्टी के अन्तर्गत छोटानागपुर, ओडिशा का पठार, प. बंगाल तथा छत्तीसगढ़ के कुछ भाग आते हैं। यहाँ लौह-अयस्क, कोयला, मैंगनीज, बॉक्साइट और अभ्रक आदि पाए जाते हैं।
उत्तर पश्चिमी क्षेत्रः यह पट्टी राजस्थान में अरावली और गुजरात के कुछ भाग पर विस्तृत है। यहाँ के खनिज धारवाड़ क्रम की शैलों से संबद्ध हैं। यहाँ तांबा, जिंक आदि प्रमुख खनिज पाए जाते हैं।
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