वायुमंडलीय स्थिरता व अस्थिरता से आप क्या समझते हैं? वायुमंडलीय अस्थिरता के विभिन्न प्रकारों की व्याख्या करें।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा-
- वायुमंडलीय स्थिरता और अस्थिरता को परिभाषित कीजिये।
- वायुमंडलीय अस्थिरता के प्रकारों का उल्लेख करें।
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जब वायुमंडल में वायु का उर्ध्वाधर संचरण स्थगित हो जाता है अर्थात् वायु धरातल के निकट ठंडी एवं शीतल होने के कारण ऊपर उठ नहीं पाती है, तो ऐसी स्थिति में किसी क्षेत्र विशेष में वायुमंडलीय स्थिरता की स्थिति पाई जाती है, लेकिन यदि वायु का निरंतर उर्ध्वाधर संचरण जारी रहता है, तो ऐसी स्थिति में वायुमंडलीय अस्थिरता की स्थिति पाई जाती है।
वायुमंडल की स्थिरता व अस्थिरता ताप ह्रास दर (NLR) शुष्क रुद्धोष्म ताप ह्रास दर (DALR) के मध्य संबंधों पर निर्भर करती है।
वायुमंडलीय स्थिरता की स्थिति-
जब NLR का मान DALR के मान से कम होता है तो किसी विशेष ऊँचाई पर वायु का ताप वायुमंडल के ताप से कम हो जाता है। ऐसी दशा में वायु का उर्ध्वाधर प्रवाह रुक जाता है तथा वायु का अवतलन प्रारंभ हो जाता है, जिसमें वायुमंडल स्थिर हो जाता है।
वायुमंडलीय अस्थिरता की स्थिति-
जब NLR का मान DALR के मान से अधिक हो जाता है, तो ऐसी दशा में वायु का ताप वायुमंडल के ताप से अधिक होता है और वह उर्ध्वाधर गति करती रहती है, जिसमें अस्थिरता की स्थिति बनी रहती है।
वायुमंडलीय अस्थिरता के प्रकार-
- प्रतिबंधी अस्थिरता- जब किसी निश्चित आयतन वाली हवा बलपूर्वक ऊपर उठा दी जाती है, वह शुष्क रुद्धोष्म दर से ठंडी होती है, जबकि वायुमंडल 6.5 डिग्री सेल्सियस / किमी. की दर से ठंडा होता है। एक निश्चित ऊँचाई के बाद वायु आर्द्र रुद्धोष्म तापमान दर से ठंडा होने लगता है, जबकि वायुमंडल अभी NLR से ठंडा होता है। परिणामस्वरूप वायु ऊपरी वायुमंडल में निरंतर ऊपर उठती रहती है, इसे प्रतिबंधी अस्थिरता कहते हैं।
- यांत्रिक अस्थिरता- कभी-कभी असामान्य दशा उत्पन्न हो जाती है, जब NLR का मान बहुत अधिक हो जाता है। ऐसी स्थिति में वायुमंडल की ऊपरी परत अधिक ठंडी हो जाती है। जिसका घनत्व निचली वायुमंडलीय परत के घनत्व से अधिक हो जाता है, परिणामस्वरूप ऊपरी ठंडी एवं भारी वायु अपने आप नीचे बैठने लगती है एवं निचली अपेक्षाकृत गर्म एवं हल्की वायु परत को तीव्रता से ऊपर उठा देती है। ऐसी अस्थिरता को यांत्रिक अस्थिरता कहते हैं। ऐसी स्थिति में टॉरनेडो की उत्पत्ति होती है।
- स्थितिज अस्थिरता या संवहनीय अस्थिरता- कभी-कभी मोटी परत वाली वायुराशि के ऊपरी एवं निचली परतों में आर्द्रता संबंधी दशाओं में भिन्नता पाई जाती है तो उस वायुराशि के तापमान में विभिन्न रुद्धोष्म दरों में ताप में कमी आती है। ऐसी स्थिति में संवहनीय अस्थिरता पैदा होती है।