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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत में एल्युमिनियम उद्योग के वितरण को रेखांकित करें। एल्युमिनियम उद्योग की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?

    11 Nov, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा :

    • एल्युमिनियम उद्योगों का परिचय देते हुए, उनके वितरण को रेखांकित करें।
    • एल्युमिनियम उद्योग के लिये ज़रूरी कारको का उल्लेख करें।

    एल्युमिनियम एक खनिज आधारित उद्योग है। भारत में बाक्साइड नामक खनिज से एल्युमिनियम का निष्कर्षण किया जाता है। भारत में एल्युमिनियम उद्योग का संचालन मुख्य रूप से नेशनल एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (नालको), हिंदुस्तान एल्युमिनियम कॉपोरेशन लिमिटेड, (हिंडालको), वेदांता समूह, भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड आदि के द्वारा किया जाता है।

    • नेशनल एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (NALCO)- यह ओडिशा के कोरापुट ज़िले में स्थित है। यह कोरापुट स्थित बॉक्साइट के खान से अयस्क प्राप्त करती है। इस संयंत्र के दामनजोड़ी में ऐलुमिना परिष्करणशाला तथा अंगुल में ऐलुमिना प्रगालक स्थापित है। यह इकाई अंगुल से ही विद्युत प्राप्त करती है।
    • हिंदुस्तान एल्युमिनियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HINDALCO)- यह रेणुकूट, उत्तर प्रदेश में स्थित है। यह संयंत्र झारखंड के लोहरदग्गा और मध्य प्रदेश के अमरकंटक के खानों से बॉक्साइट एवं रिहंद परियोजना से बिजली प्राप्त करता है।
    • वेदांता समूहः यह भारत में एल्युमिनियम निर्माण के लिये खदानों, प्रगालकों एवं विद्युत संयंत्रों से संबंद्ध एकीकृत प्रणाली का उदाहरण है। छत्तीसगढ़ के कोरबा और ओडिशा के झारखुगुडा में ऐसे संयंत्र स्थापित हैं।
    • भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (BALCO)- यह संयंत्र छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में, कोरबा नामक स्थान पर स्थित है। इस संयंत्र को बॉक्साइट मध्य प्रदेश के अमरकंटक से एवं बिजली, कोरबा ताप विद्युत संयंत्र से प्राप्त होती है।

    एल्युमिनियम उद्योग को प्रभावित करने वाले कारकः

    चूँकि एल्युमिनियम एक अयस्क आधारित उद्योग है, जिसमें काफी मात्रा में अशुद्धियाँ मौजूद रहती है। अतः इस प्रकार के उद्योगों को अयस्क के स्रोतों के निकट स्थापित किया जाता है। झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा व अन्य स्थानों पर स्थापित ईकाइयों के लिये यह एक प्रभावी कारक है।

    ऐलुमिना से एल्युमिनियम के निष्कर्षण के लिये हॉल हेरोल्ट प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसमें एक टन एल्युमिनियम के निष्कर्षण में लगभग प्रति घंटा 18000 किलोवाट विद्युत की खपत होती है। अतः एल्युमिनियम उद्योग के लिये पर्याप्त मात्रा में विद्युत की उपलब्धता एक महत्त्वपूर्ण कारक है।

    इसके अतिरिक्त बाज़ार से निकटता, विशिष्ट एवं कुशल श्रम और समुचित परिवहन व्यवस्था भी महत्त्वपूर्ण कारकों में गिने जाते हैं।

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