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प्रश्न :
भारतीय शिक्षा पर ‘चार्ल्स वुड डिस्पैच’ समेत स्वतंत्रता पूर्व बने विभिन्न आयोगों के महत्त्वपूर्ण सुझावों पर प्रकाश डालें।
16 Nov, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
ईस्ट इंडिया कंपनी काफी दिनों तक विशुद्ध व्यापारिक कंपनी बनी रही जिसने शिक्षा के मुद्दे पर विशेष रुचि नहीं ली। 1813 के चार्टर एक्ट में शिक्षा को प्रोन्नत करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 1 लाख रूपए की स्वीकृति मिली। 1835 में मैकाले स्मरण में अधोगामी निस्यंदन सिद्धांत से प्रेरित होकर अंग्रेज़ी भाषा में शिक्षा देने की बात कही गई।
स्वतंत्रता पूर्व भारत में शिक्षा को लेकर किये गए संगठित प्रयासों में निम्नलिखित आयोग उल्लेखनीय रहे हैं-
- चार्ल्स वुड का डिस्पैच (1854): इसे भारतीय शिक्षा का मैग्नाकार्टा कहा गया क्योंकि इसके अंतर्गत भारत में शिक्षा के विकास से संबंधित पहला विस्तृत प्रस्ताव था। इसकी सिफारिशों में-गॉवों में देशी- भाषा की प्राथमिक पाठशाला की स्थापना, कलकत्ता, बंबई और मद्रास में विश्वविद्यालय की स्थापना, उच्च शिक्षा का माध्यम अंग्रेज़ी को बनाने के साथ स्त्री-शिक्षा व व्यावसायिक शिक्षा के महत्त्व पर ज़ोर शामिल थे।
- हंटर कमीशन, 1882-83: इसने प्राथमिक शिक्षा के सुधार व विकास को उपयोगी व स्थानीय भाषा में देने की सिफारिश की। प्राथमिक पाठशालाओं को नगर और ज़िला बोर्डों के नियंत्रण के अधीन करने और प्राथमिक शिक्षा को साहित्यिक और व्यावहारिक नामक दो भागों में बाँटने के लिये सुझाव दिया।
- रैले आयोग, 1902: विश्वविद्यालयी शिक्षा का आकलन करने तथा उनकी कार्यक्षमता के संदर्भ में सुझाव देते हुए टॉमस रैले की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया गया। इसकी सिफारिशों के आधार पर 1904 में भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम पारित किया गया। इस अधिनियम में शोध-केंद्रित अध्यक्ष, उप-सदस्यों (Fellows) की संख्या एवं अवधि कम करने, विश्वविद्यालय पर सरकारी नियंत्रण को बढ़ाना आदि शामिल थे।
- सैडलर आयोग (1917-19): इसने विश्वविद्यालय शिक्षा में कुछ संरचनात्मक बदलाव हेतु सुझाव दिये और उच्चतर माध्यिमक शिक्षा के पश्चात् स्नातक के लिये त्रिवर्षीय शिक्षा की वकालत की। आयोग ने महिला शिक्षा, अनुप्रयुक्त विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा और अध्यापकों के प्रशिक्षण बल दिया।
- हार्टोग समिति (1929) ने प्राथमिक शिक्षा के महत्त्व पर तो ज़ोर दिया किंतु इसकी अनिवार्यता और शीघ्र प्रसार को अनुचित कहा। साथ ही, समिति को ही उच्च शिक्षा में प्रवेश देने की बात कही।
- इसके अतिरिक्त स्वतंत्रता पूर्व शिक्षा के विकास में वर्धा योजना, 1937 ने शिक्षा-व्यवस्था को जीविकोपार्जन से जोड़ने, सात वर्षों तक की शिक्षा अनिवार्य व निःशुल्क करने और कक्षा 2-7 तक की शिक्षा को मातृभाषा में देने की सिफारिश की।
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