भारत में सीमेंट उद्योग के वितरण का उल्लेख करते हुए उसके स्थानीयकरण के आधार को समझाइए।
18 Nov, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल
उत्तर की रूपरेखा:
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भारत में सीमेंट उद्योग की सीमेंट सन् 1914 में पोरबंदर से हुई, लेकिन इसका वास्तविक विकास आज़ादी के बाद हुआ। सीमेंट उद्योग वस्तुतः एक आधारभूत उद्योग है और अनेक उद्योगों का विकास इस पर टिका है।
सीमेंट उद्योग का वितरण:
भारत में सीमेंट उद्योग का वितरण एक समान नहीं है। यहाँ सीमेंट उद्योग का सर्वाधिक केन्द्रीकरण मध्य भारत में दिखाई देता है। उत्तर एवं पूर्वी भारत में पर्याप्त मांग के बावज़ूद पर्याप्त मात्र में विकसित नहीं हो पाया है। भारत में सीमेंट उद्योग मध्य प्रदेश के कटनी, सतना, नीमच, दुर्ग, रतलाम आदि में, झारखण्ड में झींकपानी, सिंदरी, चाईबासा एवं खलारी में, राजस्थान के चित्तौड़गढ़, सवाई माधोपुर, सीकर आदि में, गुजरात के जामनगर, द्वारिका, पोरबंदर में तथा कर्नाटक के बेंगलुरु, बीजापुर, भद्रावती, गुलबर्गा आदि में मुख्य रूप से स्थापित हैं।
स्थानीयकरण के आधार:
भार ह्रासी उद्योग: सीमेंट उद्योग एक भार ह्रासी उद्योग है, साथ ही इसके कच्चे माल सस्ते होते हैं। इसलिये परिवहन लागत को बचाने के उद्देश्य से इसे कच्चे माल के क्षेत्रों में स्थापित किया जाता है।
कच्चे माल की उपलब्धता: सीमेंट उद्योग के लिये कच्चे माल के रूप में कोयला, ज़िप्सम, चूना पत्थर की आवश्यकता होती है। इन सामग्रियों की उपलब्धता राजस्थान के दक्षिण से लेकर विंध्याचल की पहाड़ियों और झारखण्ड के पठारी भागों में पर्याप्त मात्रा में है।
इसके अतिरिक्त कुछ उद्योग विभिन्न कारखानों से निकलने वाले कचरे (slug) विशेषकर इस्पात एवं उर्वरक उद्योगों से निकलने वाले कचरों से सीमेंट तैयार किया जाता है। दुर्गापुर, झींकपानी, भद्रावती विशाखापत्तनम के उद्योग इस्पात कारखाने के धमन भट्टी से निकलने वाले कचरे पर आधारित हैं, जबकि सिंदरी में स्थापित सीमेंट उद्योग उर्वरक कारखानों से निकलने वाले कचरों पर आधारित है।