प्रश्न. मानव विकास को आकार देने में दृष्टिकोण की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। एक लोक सेवक प्रभावी सेवा के लिये आवश्यक उचित दृष्टिकोण किस प्रकार विकसित कर सकता है? (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- मानव विकास और लोक सेवा में दृष्टिकोण की भूमिका की संक्षेप में व्याख्या कीजिये।
- चर्चा कीजिये कि एक लोक सेवक प्रभावी सेवा के लिये आवश्यक उचित दृष्टिकोण किस प्रकार विकसित कर सकता है।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
दृष्टिकोण एक मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति है जो लोगों, परिस्थितियों या मुद्दों के प्रति अनुकूल या प्रतिकूल प्रतिक्रिया व्यक्त करती है तथा किसी व्यक्ति की मान्यताओं और पूर्व अनुभवों से प्रभावित होती है। मानव विकास के संदर्भ में, दृष्टिकोण इस बात को प्रभावित करता है कि व्यक्ति और संस्थाएँ समानता, समावेशन एवं सशक्तीकरण जैसे मुद्दों पर किस प्रकार नज़रिया रखती हैं। लोक सेवा में एक सकारात्मक और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण नैतिक निर्णय लेने और समावेशी शासन को बढ़ावा देता है, जिससे सामाजिक न्याय एवं समग्र मानव विकास को बढ़ावा देने में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका सुनिश्चित होती है।
मुख्य भाग:
लोक सेवाओं के लिये उचित दृष्टिकोण विकसित करने के तरीके:
- सहानुभूति का अभ्यास करना: लोक सेवा के लिये उपयुक्त दृष्टिकोण, जैसे कि करुणा, सहिष्णुता, निष्पक्षता और जवाबदेही, को ज़मीनी स्तर पर संपर्क, नागरिक प्रतिक्रिया, अनुभवी सहकर्मियों से सीख लेना, आत्म-चिंतन, मूल्य-आधारित प्रशिक्षण व नागरिक-केंद्रित शासन के लिये दृढ़ प्रतिबद्धता के माध्यम से विकसित किया जा सकता है।
- प्रेरणा और मार्गदर्शन प्राप्त करना: लोक सेवकों को प्रायः नैतिक दुविधाओं का सामना करना पड़ता है और राष्ट्रीय प्रतीकों से प्रेरणा प्राप्त करने से नैतिक स्पष्टता मिल सकती है।
- महात्मा गांधी (सत्य और अहिंसा), सरदार पटेल (राष्ट्र निर्माण) और जवाहरलाल नेहरू (वैज्ञानिक स्वभाव और लोकतांत्रिक आदर्श) जैसे नेता संतुलित एवं सिद्धांतबद्ध दृष्टिकोण को विकसित करने के लिये मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
- समस्या-समाधान दृष्टिकोण का अंगीकरण: लोक सेवा में समाधान-उन्मुख मानसिकता महत्त्वपूर्ण है, जहाँ चुनौतियाँ विविध और जटिल होती हैं। आर्मस्ट्रांग पाम जैसे अधिकारी सरकारी सहायता पर निर्भर हुए बिना सड़क बनाकर इसका उदाहरण देते हैं।
- नैतिक आधार पर दृढ़ संकल्प: सांविधिक नैतिकता (न्याय, समानता, गरिमा) और गांधीवादी मूल्यों में दृढ़ संकल्प नैतिक सेवा को बढ़ावा देता है।
- आत्म-जागरूकता और नैतिक चिंतन का अभ्यास नकारात्मक प्रभावों के प्रति समुत्थानशक्ति का निर्माण करता है। निष्पक्षता, पारदर्शिता और तटस्थता के साथ जुड़ा हुआ दृष्टिकोण जनता के विश्वास को मज़बूत करता है।
- नैतिक मूल्यों का अंगीकरण: ईमानदारी, निष्ठा, जिम्मेदारी और पारदर्शिता जैसे मूल मूल्यों को लोक सेवक के दृष्टिकोण का नैतिक आधार बनाना चाहिये।
- मिशन कर्मयोग- I, द्वितीय ARC रिपोर्ट की सिफारिशों के अनुरूप, व्यवहारिक और मनोवृत्तिगत परिवर्तन लाने के लिये निरंतर अधिगम को बढ़ावा देता है।
- देशभक्ति का भाव जगाना: राष्ट्र सेवा की गहरी भावना प्रतिबद्धता और समर्पण को बढ़ावा देती है। व्यक्तिगत लाभ से ऊपर राष्ट्रीय हित को बनाए रखना लोक सेवा की भावना को दृढ़ करता है।
निष्कर्ष:
एक व्यक्ति की पहचान उसके दृष्टिकोण से होती है और यह बात राष्ट्र निर्माण के लिये कार्य करने वाले लोक सेवक के लिये विशेष तौर पर सत्य है। करुणा और समस्या-समाधान के दृष्टिकोण को विकसित करके, एक लोक सेवक कुशल, समावेशी एवं जिम्मेदार शासन के लिये आवश्यक सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित कर सकता है।