प्रश्न. निष्पक्षता का सिद्धांत अच्छे शासन के लिये मौलिक है। मूल्यांकन कीजिये कि निष्पक्षता लोक प्रशासन की प्रभावशीलता में किस प्रकार योगदान देती है। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- लोक प्रशासन में निष्पक्षता और उसके महत्त्व को परिभाषित कीजिये।
- विश्लेषण कीजिये कि निष्पक्षता किस प्रकार पारदर्शिता और समावेशिता को बढ़ाती है तथा नीति कार्यान्वयन में सुधार लाने में इसकी भूमिका के उदाहरणों के साथ इसकी पुष्टि कीजिये।
- प्रभावी शासन सुनिश्चित करने के लिये निष्पक्षता के महत्त्व पर बल देते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
निष्पक्षता से तात्पर्य निष्पक्ष व्यवहार से है, जहाँ निर्णय व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों, पूर्वाग्रहों या पक्षपात के बजाय वस्तुनिष्ठ मानदंडों के आधार पर किये जाते हैं। एक निष्पक्ष निर्णयकर्त्ता सभी व्यक्तियों या समूहों के साथ समान व्यवहार करता है और व्यक्तिगत विश्वासों या बाह्य प्रभावों के बावजूद कार्रवाई में निष्पक्षता सुनिश्चित करता है।
मुख्य भाग:
सुशासन में निष्पक्षता की भूमिका:
- पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ाता है: निष्पक्षता सुनिश्चित करती है कि लोक सेवक वस्तुनिष्ठ मानदंडों के आधार पर निर्णय लें, जिससे निष्पक्ष और पारदर्शी परिणाम सामने आएँ। असमान परिस्थितियों की स्थिति में, निष्पक्षता को समानता और निष्पक्षता के सिद्धांतों द्वारा पूरक बनाया जा सकता है।
- उदाहरण के लिये, वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं के लिये विशिष्ट लाइनें या सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिये आरक्षण नीतियों का कार्यान्वयन।
- जवाबदेही को बढ़ावा देता है: निष्पक्षता भ्रष्ट आचरण के प्रति सुरक्षा के रूप में कार्य करती है। जब निर्णय निष्पक्ष रूप से किये जाते हैं, तो लोक सेवक व्यक्तिगत लाभ के लिये अपने पद का दुरुपयोग नहीं कर सकते हैं, जिससे सार्वजनिक संसाधनों का कुशल और नैतिक उपयोग सुनिश्चित होता है।
- उदाहरण: केंद्रीय सतर्कता आयोग (CEC) जैसे भ्रष्टाचार विरोधी तंत्र यह सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं कि जाँच करते समय अधिकारी निष्पक्ष रहें।
- सार्वजनिक विश्वास को दृढ़ करता है: एक निष्पक्ष प्रशासन यह सुनिश्चित करके अधिक समावेशिता को बढ़ावा देता है ताकि नीतियों और संसाधनों का आवंटन राजनीतिक या व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों के बजाय आवश्यकता के आधार पर किया जाए।
- उदाहरण: मनरेगा कार्यक्रम का निष्पक्ष कार्यान्वयन ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर प्रदान करके सीमांत समुदायों को सशक्त बना सकता है।
- नैतिक निर्णय लेने को प्रोत्साहित करना: निष्पक्षता लोक सेवकों के बीच नैतिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देती है तथा उन्हें निष्पक्ष, न्यायसंगत और समतापूर्ण निर्णय लेने के लिये मार्गदर्शन प्रदान करती है।
- उदाहरण के लिये; टी.एन. शेषन (पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त) ने आदर्श आचार संहिता का सख्ती से पालन करवाकर तथा चुनावी कदाचार पर अंकुश लगाकर निर्णय लेने में निष्पक्षता का उदाहरण प्रस्तुत किया।
लोक प्रशासन में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के उपाय:
- नैतिक प्रशिक्षण को संस्थागत बनाना: लोक सेवकों, निर्वाचित अधिकारियों और कानून प्रवर्तन अधिकारियों के लिये नैतिकता, निष्पक्षता एवं संघर्ष समाधान पर नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाना चाहिये।
- उदाहरण: राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (NCGG) लोक सेवकों के लिये प्रशिक्षण प्रदान करता है और मिशन कर्मयोगी लोक सेवा में ईमानदारी, जवाबदेही और पारदर्शिता पर ध्यान केंद्रित करते हुए कर्त्तव्यनिष्ठ नैतिकता पर आधारित है।
- व्हिसलब्लोअर सुरक्षा को मज़बूत करना: प्रशासन के भीतर भ्रष्टाचार या पक्षपात की घटनाओं की रिपोर्ट करने वाले व्हिसलब्लोअर की सुरक्षा के लिये मज़बूत तंत्र स्थापित किया जाना चाहिये। उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने से अधिक व्यक्तियों को इसमें सहयोग करने और पक्षपातपूर्ण या अनुचित प्रथाओं को उजागर करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सकता है।
- उदाहरण के लिये; व्हिसलब्लोअर संरक्षण अधिनियम, 2014 उन व्यक्तियों की सुरक्षा के लिये लागू किया गया था जो सरकारी कार्यों में भ्रष्टाचार के बारे में जानकारी का खुलासा करते हैं।
- विविधता और समावेशिता को बढ़ावा देना: यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि सार्वजनिक कार्यालय और निर्णय लेने वाली संस्थाएँ विविधतापूर्ण एवं समावेशी हों, जो समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करती हों। इससे समरूप समूहों से उत्पन्न होने वाले पूर्वाग्रहों को कम करने में मदद मिलेगी।
- उदाहरण: भारत में आरक्षण प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों सहित सीमांत समुदायों को शासन में महत्त्व दिया जाए और निर्णय किसी विशेष समूह के पक्ष में न हों।
निष्कर्ष:
शासन में निष्पक्षता बढ़ाने के लिये संस्थाओं में सुधार की आवश्यकता है। सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम पारदर्शिता सुनिश्चित करता है, जबकि MGNREGA में सामाजिक ऑडिट सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा देता है। ऐसे उपायों को लागू करने से पारदर्शी एवं निष्पक्ष निर्णय लेने की प्रक्रिया सुनिश्चित होती है, जिससे लोक प्रशासन में विश्वास और वैधता बढ़ती है।