प्रश्न. भारत के ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं तक सुगम्यता में सुधार पर वित्तीय समावेशन पहल के प्रभाव का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। (150 शब्द )
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- सभी के लिये किफायती वित्तीय सेवाओं तक सुगम्यता सुनिश्चित करने के रूप में वित्तीय समावेशन की परिभाषा प्रस्तुत कीजिये।
- चुनौतियों के समाधान के साथ बैंकिंग सेवाओं में सुधार पर ध्यान केंद्रित करते हुए वित्तीय समावेशन पहलों के प्रभाव का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
वित्तीय समावेशन निष्पक्ष व पारदर्शी तरीके से सभी व्यक्तियों, विशेष रूप से कमज़ोर और कम आय वाले समूहों को बचत, ऋण एवं बीमा जैसी सस्ती, सुलभ वित्तीय सेवाएँ प्रदान करने की प्रक्रिया है। प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY), बैंकिंग मित्र/संवाददाता और मोबाइल बैंकिंग जैसी पहलों ने इस दृष्टिकोण को आगे बढ़ाया है, जिसका उद्देश्य सुलभ वित्तीय सेवाएँ प्रदान करना है।
मुख्य भाग:
भारत में वित्तीय समावेशन पहल
- बैंक खाता स्वामित्व में वृद्धि: PMJDY के कारण 54 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले गए, जिनमें से एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में था। इससे बैंकिंग सेवाओं तक बुनियादी अभिगम का विस्तार हुआ है।
- शून्य शेष खातों के माध्यम से वित्तीय समावेशन, बीमा कवरेज की सुविधा दी गई है।
- बैंकिंग टचप्वाइंट का विस्तार: बिज़नेस कॉरेस्पोंडेंट मॉडल ने 6 लाख से अधिक गाँवों तक बैंकिंग सेवाओं का विस्तार किया है, जिससे बैंकों तक पहुँचने की भौतिक दूरी कम हो गई है।
- उदाहरण: ग्रामीण बैंक के एजेंट दूरस्थ गाँवों तक पहुँचते हैं तथा बचत, सूक्ष्म बीमा और धन प्रेषण जैसी सेवाएँ प्रदान करते हैं।
- प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT): DBT ने सरकारी सब्सिडी (जैसे: LPG, पेंशन, MGNREGA मज़दूरी) को सीधे बैंक खातों में लक्षित अंतरण सक्षम किया है, जिससे लीकेज कम हुआ है और ग्रामीण क्षेत्रों में दक्षता में सुधार हुआ है।
- बैंक खातों में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) से सब्सिडी में अक्षमता कम हुई है, जिससे वित्त वर्ष 2022-23 में DBT से 63,000 करोड़ रुपए से अधिक की बचत हुई है।
- डिजिटल वित्तीय सेवाओं में वृद्धि: UPI इको-सिस्टम, मोबाइल वॉलेट और आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली (AePS) ने ग्रामीण नागरिकों को भी कैशलेस लेन-देन करने में सक्षम बनाया है।
- सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के लिये प्रमुख प्रवर्तक: वित्तीय समावेशन 17 सतत् विकास लक्ष्यों में से 7 को समर्थन प्रदान करता है, जिसमें लैंगिक समानता भी शामिल है तथा PMJDY खाताधारकों में 55.6% महिलाएँ हैं, जो महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देता है।
वित्तीय समावेशन प्रयास में बाधा डालने वाली चुनौतियाँ
- मांग पक्ष कारक: कई गरीब व्यक्तियों के पास नियमित आय या बचत की कमी होती है, जिससे वे बैंक ऋण या क्रेडिट कार्ड के लिये अयोग्य हो जाते हैं। उदाहरण के लिये, अनौपचारिक श्रमिक प्रायः KYC या न्यूनतम शेष राशि मानदंडों को पूरा करने में विफल रहते हैं।
- सीमित जागरूकता का अर्थ है कि प्रधानमंत्री जन धन योजना जैसी योजनाएँ बुनियादी अंतरणों से परे कम उपयोग में लाई जाती हैं।
- इसके अतिरिक्त, तत्काल ऋण ऐप्स में प्रच्छन्न शुल्क जैसे फिनटेक ऐप्स के उच्च शुल्क नियमित उपयोग को हतोत्साहित करते हैं।
- आपूर्ति पक्ष की चुनौतियाँ: बैंक प्रायः ऐसे ग्राहकों को सेवा देने से हिचकिचाते हैं जिनकी आमदनी अनियमित होती है या जिनके खातों से लेन-देन की राशि कम होती है, क्योंकि इससे उन्हें अधिक लाभ नहीं होता।
- उदाहरण के लिये, बैंक सीमित मांग वाले दूरस्थ क्षेत्रों में शाखाएँ खोलने से बचते हैं। ऐसे ग्राहकों की अनियमित आय पैटर्न भी कथित ऋण जोखिम को बढ़ाता है।
- डिजिटल डिवाइड: अपर्याप्त इंटरनेट कनेक्टिविटी और बिजली की निरंतर विफलता, विशेष रूप से दूरदराज़ के क्षेत्रों में, बैंकिंग सेवाओं की सुगम्यता में बाधा डालती है।
- वर्ष 2021 तक भारत में इंटरनेट एक्सेस लगभग 47% थी, जिससे आधी से अधिक आबादी इंटरनेट एक्सेस से वंचित रह गई। वर्ष 2023 तक ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट एक्सेस केवल 37% रह गई।
- वित्तीय साक्षरता का अभाव: वित्तीय साक्षरता/समझ की कमी के कारण बहुत से बैंक खाते निष्क्रिय या ज़ीरो-बैलेंस वाले खाते बने रह जाते हैं। उदाहरण के तौर पर, प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) के लगभग 20% खाते निष्क्रिय हैं।
वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने का मार्ग
- वित्तीय अभिगम को बढ़ावा देना: RBI बैंकों और शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से स्कूलों से लेकर विश्वविद्यालयों तक शिक्षा के सभी स्तरों पर पाठ्यक्रम में वित्तीय साक्षरता को एकीकृत कर सकता है।
- पूरे देश में इंटरनेट कनेक्टिविटी तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिये भारत के ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क कार्यक्रम को और अधिक सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है।
- फिनटेक नवाचारों का लाभ उठाना: मोबाइल बैंकिंग, डिजिटल भुगतान प्रणाली और वैकल्पिक क्रेडिट स्कोरिंग मॉडल सहित फिनटेक सॉल्यूशन्स लागत प्रभावी एवं स्केलेबल वित्तीय सेवाएँ प्रदान कर सकते हैं।
- उदाहरण के लिये, Paytm और PhonePe जैसे मोबाइल-आधारित ऐप ग्रामीण व दूरदराज़ के क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान को सुलभ बना रहे हैं, जबकि लेंडिंगकार्ट जैसे प्लेटफॉर्म पारंपरिक क्रेडिट हिस्ट्री के बिना छोटे व्यवसायों को छोटे ऋण देने के लिये डेटा एनालिटिक्स का उपयोग कर रहे हैं।
- अनुकूलित वित्तीय उत्पाद: वित्तीय संस्थाएँ अनुकूलित उत्पाद विकसित कर सकती हैं जो निम्न आय वर्ग की विशिष्ट आवश्यकताओं, जैसे: सूक्ष्म बीमा, किफायती पेंशन योजनाएँ और कम ब्याज वाले ऋण, इत्यादि को पूरा करते हैं।
- उदाहरण के लिये, प्रधानमंत्री अटल पेंशन योजना असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिये पेंशन योजना प्रदान करती है।
निष्कर्ष:
वित्तीय समावेशन पहलों ने ग्रामीण भारत में बैंकिंग सुगम्यता में सुधार लाने में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है, विशेष रूप से PMJDY, डिजिटल प्लेटफॉर्म और BC मॉडल के माध्यम से। डिजिटल साक्षरता को सुदृढ़ करना, इंटरनेट के बुनियादी अवसंरचना में सुधार करना और कमज़ोर समूहों के लिये वित्तीय समावेशन नीतियों को लक्षित करना ग्रामीण वित्तीय समावेशन में निरंतर वृद्धि के लिये आवश्यक है।