प्रश्न. आप 'विवेक' और 'नैतिक तर्क' से क्या समझते हैं? वे लोक सेवा में नैतिक निर्णय लेने को किस प्रकार प्रभावित करते हैं? (150 शब्द)
03 Apr, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
हल करने का दृष्टिकोण:
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परिचय:
नैतिकता के क्षेत्र में, विशेष तौर पर लोक सेवा में, निर्णय लेना केवल वैधानिकता या नीति का मामला नहीं है, बल्कि नैतिक जिम्मेदारी का भी मामला है। दो प्रमुख आंतरिक क्षमताएँ जो ऐसे नैतिक निर्णय लेने का मार्गदर्शन करती हैं, वे हैं विवेक और नैतिक तर्क।
मुख्य भाग:
'विवेक'
विवेक अंतः करण या आंतरिक नैतिक दिशासूचक है जो किसी व्यक्ति को सही और गलत के बीच अंतर करने में मार्गदर्शन करता है। यह प्रायः अपराधबोध, शर्म या गर्व की भावनाओं के रूप में प्रकट होता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति के कार्य उसके नैतिक मूल्यों के अनुरूप हैं या नहीं।
'नैतिक तर्क'
नैतिक तर्क, नैतिक सिद्धांतों, मानदंडों और तार्किक विश्लेषण को लागू करके किसी दिये गए परिस्थिति में क्या सही है या गलत है, इसका मूल्यांकन करने की तर्कसंगत और विचार-विमर्शपूर्ण प्रक्रिया है।
विवेक और नैतिक तर्क के बीच अंतर
पहलू |
अंतः करण |
नैतिक तर्क |
प्रकृति |
भावनात्मक, सहज |
तर्कसंगत, विश्लेषणात्मक |
आधार |
आंतरिक मूल्य |
नैतिक सिद्धांत, सिद्धांत, तर्क |
निर्णय लेने में भूमिका |
आंतरिक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है |
नैतिक दुविधाओं को तार्किक रूप से हल करने में मदद करता है |
परिसीमन |
पक्षपातपूर्ण या अविकसित हो सकता है |
भावनात्मक रूप से अति-विश्लेषणात्मक या भिन्न हो सकते हैं |
लोक प्रशासन में नैतिक निर्णय लेने पर प्रभाव:
लोक प्रशासन में नैतिक निर्णय लेने के लिये विवेक और नैतिक तर्क दोनों की आवश्यकता होती है ताकि न्यायपूर्ण, निष्पक्ष एवं प्रभावी शासन सुनिश्चित किया जा सके।
निष्कर्ष:
इसलिये एक नैतिक लोक सेवक को संवेदनशील विवेक और नैतिक तर्क के एक मज़बूत ढाँचे दोनों को विकसित करना चाहिये। एक लोक सेवक की असली परीक्षा सिर्फ सही काम करने में नहीं है, बल्कि सही कामों को सही तरीके— एक ऐसा काम जो तभी संभव है जब आत्मा (विवेक) और दिमाग (नैतिक तर्क) दोनों मिलकर काम करें से करने में है।