उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की संभावनाओं का संक्षेप में परिचय दीजिये।
- मुख्य भाग में, तीन फोकस क्षेत्रों पर चर्चा कीजिये: फसल-उपरांत हानि में कमी, आय में वृद्धि, रोज़गार सृजन तथा इसके समर्थन में आँकड़े प्रस्तुत कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को बदलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक उभरते क्षेत्र के रूप में, यह मूल्य संवर्द्धन को सक्षम बनाता है, अपव्यय को कम करता है तथा किसानों और ग्रामीण उद्यमों का समर्थन करता है, जिससे यह आर्थिक विकास एवं रोज़गार सृजन के लिये एक शक्तिशाली इंजन बन जाता है।
मुख्य भाग:
फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करना:
- PMKSY जैसी योजनाओं के तहत शीत शृंखलाओं, प्रसंस्करण इकाइयों और संरक्षण बुनियादी अवसंरचना के विकास से कृषि अपशिष्ट में काफी कमी आई है।
- NABCON मूल्यांकन में पाया गया कि मात्स्यिकी में अपशिष्ट में 70% तक तथा डेयरी उत्पादों में 85% तक की कमी आई है।
- वर्तमान में संचालित 1087 PMKSY परियोजनाओं ने 241.94 लाख मीट्रिक टन की प्रसंस्करण क्षमता सृजित की है, जिससे शीघ्र क्षय होने वाली उपज को संरक्षित किया जा सका है और नुकसान को न्यूनतम किया जा सका है।
- शेल्फ लाइफ और सुरक्षा में सुधार के लिये 50 विकिरण परियोजनाओं एवं 100 नई खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं को समर्थन दिया जा रहा है।
किसानों की आय वृद्धि:
- PMKSY ने बाज़ार संपर्क स्थापित करके और बेहतर कृषि मूल्य सुनिश्चित करके लगभग 51 लाख किसानों को लाभान्वित किया है।
- सत्र 2023-24 में प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात बढ़कर कृषि-निर्यात का 23.4% हो गया, जो उच्च मूल्य प्राप्ति को दर्शाता है।
- प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिकीकरण (PMFME) योजना के अंतर्गत ‘एक ज़िला, एक उत्पाद’ (ODOP) स्थानीय उत्पादकों को सशक्त बनाता है और पारंपरिक कृषि उत्पादों का मूल्य संवर्द्धन करता है।
- SHG के नेतृत्व वाले उद्यमों को समर्थन देने के लिये PMFME के तहत वर्ष 2024 में 254 करोड़ रुपए की बीज पूंजी मंजूर की गई।
रोज़गार के अवसरों का सृजन:
- संगठित विनिर्माण क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण रोज़गार में 12.41% का योगदान देता है (ASI 2022-23)।
- PMKSY ने 1646 स्वीकृत परियोजनाओं के माध्यम से 7.46 लाख नौकरियाँ (प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष) सृजित की हैं।
- PLISFPI योजना ने 8910 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित किया और उच्च विकास वाले खाद्य क्षेत्रों में 2.89 लाख नौकरियों का सृजन किया।
- अकेले वर्ष 2024 में PMFME के तहत 46,643 ऋण स्वीकृत किये गए, जिससे सूक्ष्म उद्यमों और ग्रामीण उद्यमिता को समर्थन मिल रहा है।
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (MoFPI) PMFME जैसी योजनाओं के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों (SHG) को समर्थन देता है, प्रति सदस्य 40,000 रुपए तक की बीज पूंजी और 10 लाख रुपए तक का ऋण-लिंक्ड अनुदान प्रदान करता है।
- स्वयं सहायता समूह PMKSY के अंतर्गत भी सहायता के लिये पात्र हैं, जिससे ग्रामीण आर्थिक विकास में उनकी भूमिका बढ़ेगी।
निष्कर्ष:
प्रबल नीति समर्थन, बढ़ते निवेश एवं बुनियादी अवसंरचना के विस्तार के साथ, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र कृषि-अपशिष्ट को कम कर सकता है, किसानों की आय बढ़ा सकता है, गैर-कृषि रोज़गारों का सृजन कर सकता है, ग्रामीण विकास, आर्थिक विकास और SDG2 (भुखमरी से मुक्ति) के लक्ष्य को गति दे सकता है। आपूर्ति शृंखला प्रबंधन में AI जैसी तकनीक का लाभ उठाने से दक्षता, संधारणीयता एवं खाद्य सुरक्षा को और बढ़ाया जा सकता है।