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प्रश्न :
प्रश्न. सॉफ्ट पावर भारत की ‘पड़ोसी प्रथम नीति (नेबरहूड फर्स्ट पॉलिसी)’ का एक प्रमुख स्तंभ है। भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच क्षेत्रीय संबंधों को मज़बूत करने के लिये प्रभावी ढंग से भारत ने इसका कितना उपयोग किया है? (250 शब्द)
01 Apr, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंधउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- वर्तमान घटनाओं का उदहारण देते हुए प्रासंगिक परिचय दीजिये और सॉफ्ट पावर को परिभाषित कीजिये।
- ‘पड़ोसी प्रथम नीति (नेबरहूड फर्स्ट पॉलिसी)’ के अंतर्गत भारत द्वारा सॉफ्ट पावर टूल्स के उपयोग का समाकलन कीजिये।
- क्षेत्रीय एवं भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
ऑपरेशन ब्रह्मा के माध्यम से वर्ष 2024 के म्याँमार भूकंप मोचन में भारत की त्वरित कार्रवाई दर्शाती है कि किस प्रकार सॉफ्ट पावर इसकी नेबरहूड फर्स्ट पॉलिसी को आधार प्रदान करती है। संस्कृति, मानवीय सहायता और विकास साझेदारी में निहित एक उपागम के रूप में, यह एक विश्वसनीय एवं सहानुभूतिपूर्ण क्षेत्रीय अभिकर्त्ता के रूप में भारत की छवि को प्रभावशाली बनाता है।
मुख्य भाग:
पड़ोसी प्रथम नीति के प्रमुख स्तंभ के रूप में सॉफ्ट पावर:
- सांस्कृतिक और सभ्यतागत कूटनीति: भारत बौद्ध कूटनीति, मंदिर जीर्णोद्धार परियोजनाओं और नेपाल, श्रीलंका एवं भूटान में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस जैसे आयोजनों के माध्यम से साझा विरासत को बढ़ावा देता है।
- मानवीय सहायता और आपदा राहत: भारत ने कोविड-19 के दौरान वैक्सीन मैत्री और म्याँमार में ऑपरेशन ब्रह्मा जैसी पहलों का नेतृत्व किया तथा स्वयं को प्रथम शमनकर्त्ता व भरोसेमंद पड़ोसी के रूप में स्थापित किया।
- विकास सहयोग: भारत के अनुदान एवं बुनियादी अवसंरचना परियोजनाएँ, जैसे कि ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (मालदीव) और सलमा बाँध (अफगानिस्तान), क्षेत्रीय सद्भावना को बढ़ावा देती हैं।
- शिक्षा और क्षमता निर्माण: भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) छात्रवृत्ति के तहत प्रशिक्षण से लोगों के बीच दीर्घकालिक संबंध बनते हैं।
- ऊर्जा और कनेक्टिविटी कूटनीति: नेपाल और बांग्लादेश के साथ सीमा पार विद्युत व्यापार जैसी परियोजनाएँ क्षेत्रीय अंतरनिर्भरता एवं समृद्धि को बढ़ाती हैं।
- मार्गदर्शक मूल्य— प्रमुख पाँच ‘स’ सिद्धांत: भारत की पहुँच सम्मान, संवाद, शांति, समृद्धि और संस्कृति द्वारा निर्देशित है, जो मूल्य-आधारित क्षेत्रीय दृष्टिकोण को बढ़ावा देती है।
भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच भारत की सॉफ्ट पावर की प्रभावशीलता:
- मानवीय शक्ति के रूप में विश्वसनीयता: श्रीलंका (वर्ष 2022 में 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर) और म्याँमार को भारत की त्वरित सहायता कार्रवाई में सामरिक सहानुभूति को दर्शाती है।
- चीन की हठधर्मिता का प्रतिकार: भारत का गैर-दबावपूर्ण मॉडल चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) और ऋण कूटनीति के लिये एक आकर्षक विकल्प प्रस्तुत करता है।
- वर्तमान चुनौतियाँ: परियोजना क्रियान्वयन में विलंब (जैसे: मालदीव में), अनसुलझे विवाद (जैसे: बांग्लादेश के साथ तीस्ता जल मुद्दा) तथा आधिपत्यवादी व्यवहार की धारणाएँ (जैसे: नेपाल नाकाबंदी) सॉफ्ट पावर लाभ को कमज़ोर करती हैं।
- लोकतांत्रिक और संस्थागत विश्वसनीयता: असफलताओं के बावजूद, भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार, भाषाई संबंध और संस्थागत विश्वास लेन-देन संबंधी कूटनीति की तुलना में अधिक गहन क्षेत्रीय जुड़ाव प्रदान करते हैं।
निष्कर्ष:
भारत की नेबरहूड फर्स्ट पॉलिसी, सांस्कृतिक सम्मान और शांतिपूर्ण सहभागिता पर आधारित है, जो एक एकीकृत शक्ति के रूप में सॉफ्ट पावर का लाभ उठाती है। भू-राजनीतिक और कार्यान्वयन चुनौतियों के बावजूद, भारत का समावेशी, मूल्य-आधारित दृष्टिकोण इसे दक्षिण एशिया में एक विश्वसनीय एवं स्थायी भागीदार के रूप में स्थापित करता है।
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