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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. भारत के आर्थिक परिवर्तन में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र की भूमिका का विश्लेषण कीजिये। इसकी क्षमता में बाधा डालने वाली प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा करते हुए इसकी दक्षता और प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने के लिये रणनीतिक हस्तक्षेपों को प्रस्तावित कीजिये। (250 शब्द)

    26 Mar, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भारत के लॉजिस्टिक क्षेत्र के संदर्भ में संक्षिप्त जानकारी के साथ उत्तर दीजिये।
    • भारत के आर्थिक परिवर्तन में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र की भूमिका बताइये।
    • चुनौतियों पर गहन विचार प्रस्तुत करते हुए इससे निपटने के रणनीतिक हस्तक्षेप सुझाइये।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    लॉजिस्टिक्स सेक्टर विभिन्न क्षेत्रों में वस्तुओं और सेवाओं के आवागमन को सुगम बनाकर आर्थिक विकास के लिये आधार का काम करता है। भारत में, इस सेक्टर ने वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2024 तक 11% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्ज किया और वित्त वर्ष 2029 तक इसके ₹35.3 ट्रिलियन तक पहुँचने का अनुमान है।

    मुख्य भाग:

    भारत के आर्थिक परिवर्तन में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र की भूमिका

    • व्यापार और निर्यात सुविधा: कुशल लॉजिस्टिक्स लेन-देन की लागत को कम करता है, निर्यात प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ाता है और मेक इन इंडिया जैसी पहलों का समर्थन करता है। उदाहरण के लिये, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) का उद्देश्य व्यापार संपर्क को बढ़ाना है।
    • ई-कॉमर्स और रोज़गार सृजन: ई-कॉमर्स में उछाल (27% CAGR से वर्ष 2026 तक 163 बिलियन डॉलर तक पहुँचना) के साथ इस क्षेत्र का विस्तार हुआ है, जिससे लास्ट-माइल डिलीवरी की मांग उत्पन्न हुई है और रोज़गार का सृजन हुआ है।
    • बुनियादी अवसंरचना पर आधारित विकास: गति शक्ति और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP) जैसी पहल मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी में सुधार कर रही हैं और लॉजिस्टिक्स लागत (वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद का 13%) को कम कर रही हैं।
    • कृषि और MSME को समर्थन: शीत भण्डारण शृंखलाओं और गोदामों के विकास से फसल-उपरांत नुकसान को कम करने में मदद मिलती है और ग्रामीण आपूर्ति शृंखला सुदृढ़ होती है।
    • निवेश आकर्षित करना: लॉजिस्टिक्स पार्क, डिजिटलीकरण और 3PL/4PL सेवाएँ घरेलू और विदेशी निवेश आकर्षित कर रही हैं, जिससे औपचारिकता एवं नवाचार को बढ़ावा मिल रहा है।

    प्रमुख चुनौतियाँ:

    क्षेत्र

    चुनौतियाँ

    आधारभूत संरचना

    खराब सड़कें, बंदरगाहों पर भीड़भाड़ तथा विलंबित परियोजनाओं (जैसे DFC) जैसी बाधाएँ।

    बाज़ार संरचना

    90% असंगठित क्षेत्र के कारण अकुशलता और मानकीकरण का अभाव है।

    कौशल की कमी

    वेयरहाउसिंग, SCM और तकनीक-संचालित भूमिकाओं में प्रशिक्षित कर्मियों की भारी कमी।

    लास्ट-माइल डिलीवरी

    शहरी भीड़भाड़ और अकुशल निपटान प्रणाली के कारण लागत (लॉजिस्टिक्स लागत का 41%) बढ़ जाती है।

    संधारणीयता

    उच्च कार्बन उत्सर्जन; सीमित EV प्रयोग/संक्रमण और हरित बुनियादी अवसंरचनाओं की कमी।

    मल्टीमॉडल अंतराल

    माल ढुलाई में सड़क का सर्वाधिक प्रयोग होता है (60%); रेल की हिस्सेदारी 85% (वर्ष 1951) से घटकर <30% (वर्ष 2022) हो गई है।

    साइबर सुरक्षा जोखिम

    तेज़ी से अपनाई जा रही तकनीक के दौरान डिजिटल खतरे बढ़ रहे हैं।

    रणनीतिक हस्तक्षेप:

    • बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं में तेज़ी लाना: समर्पित माल गलियारा, मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क और ग्रामीण संपर्क (जैसे, मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक) में तेज़ी लाने की आवश्यकता है।
    • विनियामक सुधार: e-SANCHIT जैसे प्लेटफॉर्मों का उपयोग करके एकल खिड़की मंजूरी को लागू किया जाना चाहिये और राज्य स्तरीय रसद नीतियों को सुसंगत बनाया जाना चाहिये।
    • प्रौद्योगिकी अंगीकरण: ULIP के माध्यम से AI, IoT और ब्लॉकचेन के उपयोग को बढ़ावा देने तथा भारत-विशिष्ट नवाचारों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
    • कौशल विकास: राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स प्रमाणन कार्यढाँचा शुरू करने तथा अंतिम बिंदु तक कार्यबल प्रशिक्षण के लिये ई-कॉमर्स फर्मों के साथ सहयोग करने की आवश्यकता है।
    • ग्रीन लॉजिस्टिक्स को बढ़ावा: हरित तकनीक के लिये कर में छूट प्रदान करने, EV चार्जिंग बुनियादी अवसंरचना का विस्तार करने तथा लॉजिस्टिक्स के लिये कार्बन क्रेडिट सिस्टम लागू करने की आवश्यकता है।
    • बहुविध एकीकरण: एकीकृत बहुविध लॉजिस्टिक्स पार्क विकसित करने तथा भारतमाला के अंतर्गत रेलवे और अंतर्देशीय जलमार्गों की ओर बदलाव को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
    • साइबर सुरक्षा कार्यढाँचा: L-CERT (लॉजिस्टिक्स साइबर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम) की स्थापना करने और लॉजिस्टिक्स फर्मों के लिये साइबर ऑडिट अनिवार्य बनाए जाने की आवश्यकता है।

    निष्कर्ष:

    लेन-देन की लागत कम करने, निर्यात को बढ़ावा देने, रोज़गार सृजन और समावेशी आर्थिक विकास को सक्षम बनाने के लिये एक आधुनिक, कुशल लॉजिस्टिक्स क्षेत्र महत्त्वपूर्ण है। लक्षित सुधारों और निरंतर निवेश के साथ, भारत अपने लॉजिस्टिक्स परिदृश्य को वैश्विक मानकों के अनुरूप बदल सकता है तथा अपनी आर्थिक परिवर्तन यात्रा को भी तीव्र कर सकता है।

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