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प्रश्न :
प्रश्न. भू-आकृति विज्ञान प्रक्रियाएँ भारत में नदी प्रणालियों के निर्माण और विकास को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? विभिन्न नदी घाटियों से उदाहरण लेकर स्पष्ट कीजिये। (150 शब्द)
24 Mar, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भू-आकृति विज्ञान प्रक्रियाओं और नदी प्रणालियों पर उनके प्रभाव के संदर्भ में जानकारी के साथ उत्तर दीजिये।
- नदी प्रणाली निर्माण में भू-आकृति विज्ञान प्रक्रियाओं की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
भू-आकृति विज्ञान प्रक्रियाएँ— जैसे अपक्षय, अपरदन, परिवहन और निक्षेपण नदी प्रणालियों को आकार देने में एक आधारभूत भूमिका निभाते हैं। भारत में, विविध भौगोलिक विशेषताओं (हिमालय, प्रायद्वीपीय पठार, तटीय मैदान) ने अलग-अलग नदी घाटियों के निर्माण को जन्म दिया है।
मुख्य भाग:
नदी प्रणाली निर्माण में भू-आकृति विज्ञान प्रक्रियाओं की भूमिका
- विवर्तनिक गतिविधि और नदी की उत्पत्ति
- गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी हिमालयी नदियाँ टर्शियरी काल के दौरान हिमालय के विवर्तनिक उत्थान और वलन के कारण उत्पन्न हुईं।
- उदाहरण: गंगा नदी एक समकालिक गर्त (गंगा बेसिन) से होकर बहती है, जो हिमालय के उत्थान और तत्पश्चात अग्रभूमि बेसिन के अवतलन के कारण निर्मित हुआ है।
- गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी हिमालयी नदियाँ टर्शियरी काल के दौरान हिमालय के विवर्तनिक उत्थान और वलन के कारण उत्पन्न हुईं।
- कटाव और घाटी निर्माण
- ऊर्ध्वाधर और पार्श्विक अपरदन घाटियों एवं बाढ़ के मैदानों को आकार देते हैं। यमुना बेसिन में, हिमालय के ऊपरी इलाकों में सक्रिय अपरदन के कारण V-आकार की घाटियाँ दिखाई देती हैं।
- इसके विपरीत, प्रायद्वीपीय भारत में गोदावरी और कृष्णा नदियाँ चौड़ी U-आकार की घाटियाँ बनाती हैं, जो स्थिर भूभागों पर अनाच्छादन प्रक्रियाओं द्वारा समय के साथ आकार लेती हैं।
- ऊर्ध्वाधर और पार्श्विक अपरदन घाटियों एवं बाढ़ के मैदानों को आकार देते हैं। यमुना बेसिन में, हिमालय के ऊपरी इलाकों में सक्रिय अपरदन के कारण V-आकार की घाटियाँ दिखाई देती हैं।
- अवसाद निक्षेपण और डेल्टा निर्माण
- नदियाँ अपरदनकारी पदार्थों को अपने साथ ले जाती हैं तथा उन्हें मैदानों और डेल्टाओं में जमा कर देती हैं।
- उदाहरण: गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा, विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा, जो व्यापक जलोढ़ निक्षेपण द्वारा निर्मित है।
- महानदी डेल्टा, तट के निकट धीमी नदी प्रवाह द्वारा अवसाद निक्षेपण के कारण विशिष्ट अर्द्धचंद्राकार डेल्टा विशेषताओं को प्रदर्शित करता है।
- नदियाँ अपरदनकारी पदार्थों को अपने साथ ले जाती हैं तथा उन्हें मैदानों और डेल्टाओं में जमा कर देती हैं।
- जलवायु और नदी गतिविधि
- मानसूनी वर्षा के कारण उच्च जल विसर्जन और अवसाद भार होता है।
- उदाहरण: अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में चंबल नदी बेसिन में वर्षा के जल और अवनालिका अपरदन के कारण बंजर भूमि की स्थलाकृति दिखाई देती है।
- मानसूनी वर्षा के कारण उच्च जल विसर्जन और अवसाद भार होता है।
- समुद्र-स्तर में परिवर्तन और तटीय प्रक्रियाएँ
- समुद्र तल में परिवर्तन से ज्वारनदमुख निर्माण प्रभावित होता है।
- उदाहरण: नर्मदा और तापी नदियाँ, जो पश्चिम की ओर अरब सागर में प्रवाहित होती हैं, तट के पास अवतलन के कारण मुहाना दर्शाती हैं।
- समुद्र तल में परिवर्तन से ज्वारनदमुख निर्माण प्रभावित होता है।
निष्कर्ष:
भू-आकृति विज्ञान प्रक्रियाएँ भारत भर में नदी प्रणालियों की उत्पत्ति, मार्ग और विशेषताओं को आकार देने वाली गतिशील शक्तियों के रूप में कार्य करती हैं। विवर्तनिक उद्गम से लेकर नदी के निक्षेपण तक, ये प्रक्रियाएँ भौतिक संरचना बनाती हैं जो जल अपवाह तंत्र, जल उपलब्धता, मृदा की उर्वरता और भूमि उपयोग योजना को प्रभावित करती हैं।
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