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प्रश्न :
प्रश्न. राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) की प्रभावकारिता का परीक्षण कीजिये। क्या इसने भारत के संघीय संरचना को सुदृढ़ किया है? (250 शब्द)
18 Mar, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- राष्ट्रीय जाँच एजेंसी के संदर्भ में जानकारी प्रस्तुत करते हुए उत्तर दीजिये।
- राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में NIA की प्रभावकारिता पर गहन विचार प्रस्तुत कीजिये।
- NIA ने भारत के संघीय संरचना को किस प्रकार सुदृढ़ किया है, चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) की स्थापना NIA अधिनियम, 2008 के तहत 26/11 मुंबई हमलों के बाद भारत की प्रमुख आतंकवाद-रोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में कार्य करने के लिये की गई थी।
- हालाँकि NIA आतंकवाद से निपटने में प्रभावी रही है, लेकिन इसकी बढ़ती शक्तियों (विशेष रूप से वर्ष 2019 के संशोधन के बाद) ने भारत के संघीय संरचना पर इसके प्रभाव को लेकर चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
मुख्य भाग:
राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में NIA की प्रभावकारिता:
- आतंकवाद-रोधी तंत्र को मज़बूत करना
- इसने अपनी स्थापना के बाद से 640 मामले दर्ज किये हैं तथा 147 मामलों में 95.23% की सजा दर दर्ज की है, जिनका निर्णय न्यायालयों द्वारा किया गया है।
- वर्ष 2019 के संशोधन के तहत अधिकार क्षेत्र के विस्तार ने NIA को भारतीय सीमाओं से परे मामलों की जाँच करने का अधिकार दिया है, जिससे वैश्विक स्तर पर भारत के आतंकवाद-रोधी प्रयासों को बल मिलेगा।
- इसने अपनी स्थापना के बाद से 640 मामले दर्ज किये हैं तथा 147 मामलों में 95.23% की सजा दर दर्ज की है, जिनका निर्णय न्यायालयों द्वारा किया गया है।
- जाँच और अभियोजन क्षमताओं को बढ़ाना
- राँची और जम्मू की विशिष्ट अदालतों सहित 51 विशेष NIA न्यायालयों की स्थापना से आतंकवाद से संबंधित मामलों में तेज़ी से सुनवाई सुनिश्चित हुई है।
- राष्ट्रीय आतंकवाद डेटा संलयन एवं विश्लेषण केंद्र (NTDFAC) के माध्यम से उन्नत फोरेंसिक तकनीकों और बिग डेटा एनालिटिक्स के उपयोग से जाँच दक्षता में वृद्धि हुई है।
- आतंकवाद के वित्तपोषण और जाली मुद्रा नेटवर्क से निपटना
- आतंकवाद के वित्तपोषण और जाली मुद्रा की जाँच के लिये नोडल एजेंसी के रूप में, NIA ने आतंकवाद को वित्तपोषित करने वाले अवैध धन प्रवाह पर नकेल कसी है।
- आतंकवाद वित्तपोषण और जाली मुद्रा (TFFC) इकाई ने हवाला नेटवर्क को ध्वस्त करने और आतंकवाद संबद्ध परिसंपत्तियों को ज़ब्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- बांग्लादेश और नेपाल के साथ संयुक्त कार्य बलों (JTF) के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से सीमा पार वित्तीय अपराधों पर अंकुश लगाने में मदद मिली है।
- आतंकवाद के वित्तपोषण और जाली मुद्रा की जाँच के लिये नोडल एजेंसी के रूप में, NIA ने आतंकवाद को वित्तपोषित करने वाले अवैध धन प्रवाह पर नकेल कसी है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का विस्तार
- 26 देशों के साथ आतंकवाद-विरोध पर संयुक्त कार्य समूहों (JWG) में भागीदारी से खुफिया जानकारी साझा करने और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सुविधा हुई है।
- वर्ष 2022 में 'नो मनी फॉर टेरर' (NMFT) सम्मेलन की मेज़बानी की, जिसमें वैश्विक आतंकवादी वित्तपोषण खतरों पर चर्चा करने के लिये 78 देश एवं 16 बहुपक्षीय संगठन एक साथ आए।
- 26 देशों के साथ आतंकवाद-विरोध पर संयुक्त कार्य समूहों (JWG) में भागीदारी से खुफिया जानकारी साझा करने और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सुविधा हुई है।
NIA ने भारत के संघीय संरचना को सुदृढ़ किया है:
- बेहतर राष्ट्रीय सुरक्षा समन्वय:
- NIA जटिल आतंकवाद मामलों से निपटने में राज्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों की सहायता करती है तथा एकीकृत राष्ट्रीय सुरक्षा दृष्टिकोण सुनिश्चित करती है।
- राज्य पुलिस बलों के लिये क्षमता निर्माण पहल से स्थानीय आतंकवाद-रोधी क्षमताओं में वृद्धि होगी।
- शीघ्र जाँच और परीक्षण:
- विशेष NIA न्यायालयों की स्थापना से अभियोजन में विलंब कम हुआ है।
- मानकीकृत जाँच प्रोटोकॉल आतंकवाद से संबंधित मामलों से निपटने में स्थिरता और दक्षता सुनिश्चित करते हैं।
- विशेष NIA न्यायालयों की स्थापना से अभियोजन में विलंब कम हुआ है।
- आतंकवादी मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप में कमी:
- आतंकवाद के मामले प्रायः सीमापार और अंतर-राज्यीय होते हैं, जिससे क्षेत्राधिकार संबंधी विवादों से बचने के लिये NIA जैसी केंद्रीकृत एजेंसी की आवश्यकता होती है।
हालाँकि, संघवाद के क्षरण को लेकर चिंताएँ बनी हुई हैं:
- राज्य सरकारों को दरकिनार करना:
- वर्ष 2019 का संशोधन NIA को राज्य की सहमति के बिना राज्य पुलिस से मामले अपने हाथ में लेने की अनुमति देता है, जिससे राज्य की स्वायत्तता कम हो जाती है।
- NIA राज्य सरकार की मंजूरी के बिना आतंकवाद के वित्तपोषण से जुड़ी परिसंपत्तियों को ज़ब्त कर सकती है।
- वर्ष 2019 का संशोधन NIA को राज्य की सहमति के बिना राज्य पुलिस से मामले अपने हाथ में लेने की अनुमति देता है, जिससे राज्य की स्वायत्तता कम हो जाती है।
- सत्ता का अति-केंद्रीकरण:
- NIA किन मामलों की जाँच करेगी, इसका निर्णय अकेले केंद्र सरकार करती है, जिससे मामलों के चयन में राजनीतिक पूर्वाग्रह की चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।
- स्वतंत्र निगरानी के अभाव से सत्ता के दुरुपयोग का खतरा बढ़ जाता है।
- NIA किन मामलों की जाँच करेगी, इसका निर्णय अकेले केंद्र सरकार करती है, जिससे मामलों के चयन में राजनीतिक पूर्वाग्रह की चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।
- राज्य कानून प्रवर्तन की सीमित भूमिका:
- राज्य के मामलों में NIA का प्रत्यक्ष हस्तक्षेप स्थानीय कानून प्रवर्तन को कमज़ोर करता है, जिससे संघीय जिम्मेदारियों में असंतुलन उत्पन्न होता है।
- CBI के विपरीत, जिसे जाँच के लिये राज्य सरकार की सहमति की आवश्यकता होती है, NIA अधिनियम के तहत NIA को एकतरफा अधिकार प्राप्त है।
- राज्य के मामलों में NIA का प्रत्यक्ष हस्तक्षेप स्थानीय कानून प्रवर्तन को कमज़ोर करता है, जिससे संघीय जिम्मेदारियों में असंतुलन उत्पन्न होता है।
निष्कर्ष:
NIA ने उच्च दोषसिद्धि दर, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और उन्नत जाँच उपकरणों के माध्यम से भारत के आतंकवाद-रोधी कार्यढाँचे को महत्त्वपूर्ण रूप से सुदृढ़ किया है। हालाँकि, जाँच में सीमित राज्य प्राधिकरण से उत्पन्न संघवाद पर चिंताओं को अच्छी तरह से संरचित संस्थागत सुधारों और बढ़ी हुई जवाबदेही तंत्रों के माध्यम से कम किया जा सकता है।
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