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प्रश्न :
प्रश्न 1. कविता कुछ भी सृजन नहीं करती, लेकिन सब कुछ बदल देती है।
15 Mar, 2025 निबंध लेखन निबंध
प्रश्न 2. भाषा अब तक बनी सबसे खूबसूरत जेल है।उत्तर :
1. कविता कुछ भी सृजन नहीं करती, लेकिन सब कुछ बदल देती है।
अपने निबंध को समृद्ध करने के लिये उद्धरण:
- डब्ल्यू.एच. ऑडेन: “कविता से कुछ नहीं होता।”
- पर्सी बिशे शेली: "कवि संसार के अनधिकृत रूप से मान्य विधायक होते हैं।"
- पाब्लो नेरुदा: “कविता शांति का कार्य है।”
सैद्धांतिक और दार्शनिक आयाम:
- कविता के प्रभाव का विरोधाभास
- राजनीतिक कार्रवाई या वैज्ञानिक नवाचार के विपरीत, कविता निष्क्रिय प्रतीत होती है, लेकिन यह मानव चेतना को रूपांतरित करती है, समाज को सूक्ष्म किंतु गहन आयाम देती है।
- सॉफ्ट पावर (जोसेफ नाई) की अवधारणा यह बताती है कि कविता सहित संस्कृति, प्रत्यक्ष राजनीतिक या आर्थिक प्रभाव के बिना भी गहरे सामाजिक बदलाव ला सकती है।
- कविता पर प्लेटो बनाम अरस्तू:
- प्लेटो का मानना था कि कविता भ्रामक और भावनात्मक रूप से छलपूर्ण होती है।
- इसके विपरीत, अरस्तू का मानना था कि कविता मानवीय नैतिकता और भावनाओं को आकार देती है और एक उपचारात्मक माध्यम के रूप में कार्य करती है।
- सामाजिक परिवर्तन के उत्प्रेरक के रूप में कविता
- कविता सहानुभूति, लचीलापन और प्रतिरोध को बढ़ावा देती है। यह आंदोलनों को प्रेरित करती है और उत्पीड़ितों को आवाज़ देती है।
- रुमानिवाद (18वीं-19वीं शताब्दी): विलियम वर्ड्सवर्थ और सैमुअल टेलर कोलरिज ने औद्योगीकरण की आलोचना करने तथा प्रकृति का महिमामंडन करने के लिये कविता का प्रयोग किया।
- उत्तर-औपनिवेशिक काव्य: रवींद्रनाथ टैगोर की कविता ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रीय गौरव की भावना जगाई।
- कविता सहानुभूति, लचीलापन और प्रतिरोध को बढ़ावा देती है। यह आंदोलनों को प्रेरित करती है और उत्पीड़ितों को आवाज़ देती है।
- भारत में नारीवादी और दलित कविता:
- कमला दास की कविताओं ने लैंगिक भूमिकाओं और पितृसत्ता को चुनौती दी।
- नामदेव ढसाल की कविता ने दलित संघर्षों को आवाज़ दी।
ऐतिहासिक एवं समकालीन उदाहरण:
- राजनीतिक आंदोलनों में कविता
- हार्लेम पुनर्जागरण (1920 का दशक): लैंगस्टन ह्यूजेस की कविता ने अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन को सशक्त बनाया।
- फैज़ अहमद फैज़ और दक्षिण एशिया में प्रगतिशील कविता: उनकी कविताएँ अधिनायकवाद के विरुद्ध गान बन गईं।
- आधुनिक समय में कविता का प्रभाव
- बोलचाल की भाषा और हिप-हॉप संस्कृति: रैप और स्लैम कविता के माध्यम से कविताओं ने नया रूप लिया है जिससे नस्लवाद एवं आर्थिक असमानता जैसी आधुनिक समस्याओं से निपटने में सहायता मिली है।
- समकालीन प्रासंगिकता और मूल्य संवर्द्धन:
- डिजिटल और लोकप्रिय संस्कृति में कविता
- सोशल मीडिया ने कविता को लोकतांत्रिक बना दिया है, जिससे यह वैश्विक दर्शकों के लिये सुलभ हो गई है (उदाहरण के लिये: रूपी कौर की इंस्टाग्राम कविता)।
- कविता के वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक लाभ
- मानसिक स्वास्थ्य उपचार में आघात को ठीक करने और भावनात्मक बुद्धिमत्ता को बढ़ावा देने के लिये कविता का चिकित्सा के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- अध्ययन से पता चलता है कि कविता मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों को सक्रिय करके संज्ञानात्मक कार्य को बढ़ाती है।
2. भाषा अब तक बनी सबसे खूबसूरत जेल है।
अपने निबंध को समृद्ध करने के लिये उद्धरण:
- लुडविग विट्गेन्स्टाइन: "मेरी भाषा की सीमाएँ मेरी दुनिया की सीमाएँ हैं।"
- जॉर्ज ऑरवेल: "लेकिन यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करता है, तो भाषा भी विचार को भ्रष्ट कर सकती है।"
- नोम चोमस्की: “भाषा स्वतंत्र सृजन की एक प्रक्रिया है।”
सैद्धांतिक और दार्शनिक आयाम:
- जेल के रूप में भाषा: अभिव्यक्ति की बाधाएँ
- भाषा हमारे विचारों को वास्तविकता के प्रति संवेदनशील बनाती है तथा हमारे विचारों को अपनी रूपरेखा के भीतर सीमित रखती है।
- हमारा विश्वदृष्टिकोण उस भाषा से आकार लेता है जिसे हम बोलते हैं। विभिन्न भाषाएँ वास्तविकता को अलग-अलग तरीके से व्यक्त करती हैं, जो अनुभूति को प्रभावित करती हैं।
- भाषा तटस्थ नहीं है; यह सत्ता (अंग्रेज़ी मिशनरी स्कूल) का एक उपकरण है जो सामाजिक मानदंडों एवं विचारधाराओं को आकार देता है।
- भाषा एक सुंदर रचना है
- प्रतिबंधात्मक होने के बावजूद, भाषा एक रचनात्मक शक्ति भी है जो आत्म-अभिव्यक्ति, संस्कृति और ज्ञान संचरण की अनुमति देती है।
- डेरिडा का विखंडन: शब्दों का कभी भी निश्चित अर्थ नहीं होता; वे तरल अर्थात् अस्थिर होते हैं, निरंतर विकसित होते रहते हैं तथा अनंत संभावनाएँ प्रदान करते हैं।
- भाषा और मानव संबंध: कविता, साहित्य और कहानी कहने की कला भाषा की सुंदरता पर निर्भर करती है, जो इसे मानव रचनात्मकता का माध्यम बनाती है।
ऐतिहासिक एवं समकालीन उदाहरण:
- शक्ति और उत्पीड़न के साधन के रूप में भाषा
- उपनिवेशवाद और भाषाई साम्राज्यवाद:
- अंग्रेज़ी एक वैश्विक भाषा बन गई है, लेकिन इसने कई देशी/स्थानीय भाषाओं को मिटा दिया।
- भाषा के माध्यम से राजनीतिक नियंत्रण:
- ऑरवेल की वर्ष 1984 में न्यूस्पीक का प्रयोग किया गया है, जो एक काल्पनिक भाषा है जिसे विचारों को प्रतिबंधित करने और नागरिकों को नियंत्रित करने के लिये तैयार किया गया है।
- सत्तावादी शासन प्रायः आख्यानों को नियंत्रित करने के लिये भाषा में हेरफेर (जैसे: प्रचार, सेंसरशिप) करते हैं।
- उपनिवेशवाद और भाषाई साम्राज्यवाद:
- स्वतंत्रता और प्रतिरोध के माध्यम के रूप में भाषा
- भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और भाषा: स्थानीय भाषा के साहित्य ने लोगों को संगठित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका (उदाहरण के लिये: बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का वंदे मातरम ) निभाई।
- डिजिटल युग और भाषाई विविधता:
- इंटरनेट स्लैंग और मीम्स संचार को नया स्वरूप देते हैं।
- AI अनुवाद उपकरण भाषाई बाधाओं को तोड़ते तो हैं, लेकिन भाषाओं को समरूप भी बनाते हैं।
समकालीन प्रासंगिकता और मूल्य संवर्द्ध न:
- संज्ञानात्मक विज्ञान और भाषा की सीमाएँ
- शोध से पता चलता है कि द्विभाषी लोग अपनी भाषा के आधार पर भावनाओं को अलग-अलग तरीके से समझते हैं।
- वैश्वीकरण बनाम भाषाई पहचान
- शिक्षा और प्रौद्योगिकी में अंग्रेज़ी के प्रभुत्व से भाषाई विविधता में गिरावट आ रही है।
- यूनेस्को के अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस जैसे प्रयासों का उद्देश्य लुप्तप्राय भाषाओं को संरक्षित करना है।
- शिक्षा और प्रौद्योगिकी में अंग्रेज़ी के प्रभुत्व से भाषाई विविधता में गिरावट आ रही है।
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