प्रश्न. "संधारणीयता केवल एक नीतिगत लक्ष्य नहीं है, बल्कि एक नैतिक दायित्व है।" स्थायी पर्यावरणीय प्रथाओं को बढ़ावा देने में निगमित नैतिकता, प्रशासन और व्यक्तिगत उत्तरदायित्व की भूमिका पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- संधारणीयता को एक नैतिक दायित्व के रूप में परिभाषित कीजिये, न कि केवल एक नीतिगत लक्ष्य के रूप में।
- पर्यावरणीय संधारणीयता में निगमित नैतिकता, प्रशासन और व्यक्तिगत उत्तरदायित्व की भूमिका की व्याख्या कीजिये।
- तर्कों की पुष्टि के लिये उदाहरण, तथ्य और डेटा के साथ उत्तर दीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
संधारणीयता केवल एक नीतिगत विकल्प नहीं है, बल्कि भावी पीढ़ियों और पृथ्वी के कल्याण के प्रति एक नैतिक उत्तरदायित्व है। एथिकल गवर्नेंस, निगमित नैतिकता और व्यक्तिगत उत्तरदायित्व संधारणीय पर्यावरणीय प्रथाओं को सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नीतिगत निर्णय लेने में आर्थिक प्रगति को पर्यावरण संरक्षण के साथ जोड़ना चाहिये, जिससे विकास और पारिस्थितिक उत्तरदायित्व के बीच संतुलन को बढ़ावा मिले।
मुख्य भाग:
संधारणीयता में निगमित नैतिकता की भूमिका
- कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) नैतिक पर्यावरणीय प्रथाओं को अनिवार्य बनाता है, जिसके तहत कंपनियों को अपने पारिस्थितिक फूटप्रिंट को कम करने की आवश्यकता होती है।
- ESG (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) कार्यढाँचा संधारणीय निवेश को बढ़ावा देता है, यह सुनिश्चित करता है कि व्यवसाय दीर्घकालिक पारिस्थितिक कल्याण को प्राथमिकता दें।
- हरित आपूर्ति शृंखलाएँ और नैतिक उत्पादन मॉडल पर्यावरणीय नुकसान को कम करते हैं, अपशिष्ट प्रबंधन एवं नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित करते हैं।
- उदाहरण: टाटा समूह की हरित विनिर्माण पद्धतियाँ और ITC की "वेल-बीइंग आउट ऑफ वेस्ट" (WOW) पहल संधारणीय अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देती है।
संधारणीयता में शासन की भूमिका
- पर्यावरण कानून और शासन कार्यढाँचे संधारणीयता को लागू करते हैं, जलवायु परिवर्तन एवं प्रदूषण नियंत्रण नीतियों के अनुपालन को सुनिश्चित करते हैं।
- उदाहरण: NTPC का स्वच्छ ऊर्जा और संधारणीय गतिशीलता पर ध्यान केंद्रित करना, व्यावसायिक लक्ष्यों को पर्यावरणीय नैतिकता के साथ संरेखित करता है।
- जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) जैसी सरकारी पहल प्रमुख क्षेत्रों में सतत् विकास को बढ़ावा देती है।
- विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व (EPR) जैसी नीतियाँ निगमों को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन एवं पुनर्चक्रण के लिये उत्तरदायी बनाती हैं।
- उदाहरण: भारत द्वारा एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध (वर्ष 2022) संधारणीयता के प्रति नीति-संचालित नैतिक उत्तरदायित्व को दर्शाता है।
संधारणीयता में व्यक्तिगत उत्तरदायित्व की भूमिका
- नैतिक उपभोक्तावाद संधारणीय उत्पादों की मांग को बढ़ाता है, कॉर्पोरेट जवाबदेही और पर्यावरण जागरूकता को प्रोत्साहित करता है।
- ऊर्जा संरक्षण, अपशिष्ट में कमी और वनरोपण के माध्यम से कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना व्यक्तियों का नैतिक कर्त्तव्य है।
- उदाहरण के लिये, ‘स्वच्छ भारत अभियान’ ने नागरिकों को अपशिष्ट प्रबंधन में शामिल किया तथा नैतिक पर्यावरणीय उत्तरदायित्व को बढ़ावा दिया।
- "सेव आरे फॉरेस्ट" जैसे नागरिक-नेतृत्व वाले आंदोलन सामूहिक पर्यावरणीय उत्तरदायित्व की शक्ति को प्रदर्शित करते हैं।
- उदाहरण: जल संरक्षणवादी राजेंद्र सिंह का नदियों को पुनर्जीवित करने का कार्य संधारणीयता में नैतिक व्यक्तिगत नेतृत्व पर प्रकाश डालता है।
निष्कर्ष:
संधारणीयता केवल एक कानूनी या आर्थिक लक्ष्य नहीं है, बल्कि एक नैतिक अनिवार्यता है जिसके लिये निगमों, सरकारों और व्यक्तियों से प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है। निगमित नैतिकता, सुदृढ़ शासन और जिम्मेदार नागरिकता को मिलाकर एक बहु-हितधारक दृष्टिकोण एक समुत्थानशील एवं संधारणीय भविष्य सुनिश्चित कर सकता है।