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प्रश्न :
प्रश्न. आर्थिक विकास और पर्यावरण क्षरण की भारत की दोहरी चुनौतियों से निपटने में सर्कुलर इकोनॉमी मॉडल किस प्रकार सहायक सिद्ध हो सकता है? उदाहरणों के साथ समझाइये। (150 शब्द)
12 Mar, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- परिचय में, चक्रीय अर्थव्यवस्था को परिभाषित कीजिये तथा आर्थिक विकास एवं पर्यावरणीय संधारणीयता के बीच संतुलन बनाने में इसकी भूमिका बताइये।
- प्रासंगिक उदाहरणों के साथ आर्थिक और पर्यावरणीय लाभों पर चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
सर्कुलर इकोनॉमी मॉडल (CE) एक आर्थिक मॉडल है जो एक रेखीय 'टेक-मेक-डिस्पोज़' प्रणाली से पुनर्योजी दृष्टिकोण में बदलाव करके संसाधन दक्षता, अपशिष्ट न्यूनीकरण और संधारणीयता को बढ़ावा देता है। चक्रीय अर्थव्यवस्था में भारत का परिवर्तन वर्ष 2050 तक 2 ट्रिलियन डॉलर का बाज़ार मूल्य उत्पन्न कर सकता है और 10 मिलियन नौकरियों का सृजन कर सकता है। चक्रीय अर्थव्यवस्था को एकीकृत करके, भारत एक साथ अपनी आर्थिक विकास आवश्यकताओं एवं पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान कर सकता है।
मुख्य भाग:
चक्रीय अर्थव्यवस्था आर्थिक विकास को किस प्रकार समर्थन देती है:
- रोज़गार सृजन और बाज़ार विस्तार:
- अपशिष्ट प्रबंधन, पुनर्चक्रण, जैव-अर्थव्यवस्था और हरित विनिर्माण जैसे CE उद्योग लाखों नौकरियों का सृजन कर सकते हैं।
- उदाहरण: भारत में ई-अपशिष्ट के पुनर्चक्रण से वर्ष 2030 तक 500,000 नौकरियों का सृजन (FICCI रिपोर्ट) होने का अनुमान है।
- संसाधन दक्षता और लागत में कमी:
- पुनः उपयोग और पुनः विनिर्माण से कच्चे माल पर निर्भरता कम होती है, उत्पादन लागत में कटौती होती है एवं प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ती है।
- उदाहरण: टाटा स्टील की सर्कुलर स्टील रीसाइक्लिंग पहल से कच्चे माल की खपत कम होती है एवं लागत कम होती है।
- MSME और स्टार्टअप को बढ़ावा:
- जैव-आधारित उत्पादों और संधारणीय वस्त्रों सहित अपशिष्ट से संपदा क्षेत्र में उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करता है।
- उदाहरण: स्वच्छ भारत के अंतर्गत अपशिष्ट-से-धन मिशन, नवीन चक्रीय अर्थव्यवस्था मॉडल को बढ़ावा देता है।
चक्रीय अर्थव्यवस्था पर्यावरणीय क्षरण को किस प्रकार कम करती है:
- अपशिष्ट उत्पादन और लैंडफिल निर्भरता में कमी:
- CE पुनर्चक्रण और पुन: प्रयोज्यता के माध्यम से उत्पाद के जीवन चक्र को बढ़ाकर अपशिष्ट को न्यूनतम करता है।
- उदाहरण: SBM वेस्ट-टू-वेल्थ PMS पोर्टल नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट पर नज़र रखता है तथा संधारणीय निपटान को बढ़ावा देता है।
- प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन पर नियंत्रण:
- CE औद्योगिक उत्पादन, परिवहन और लैंडफिल मीथेन उत्सर्जन को कम करता है।
- उदाहरण: भारत के निर्माण क्षेत्र में चक्रीय अर्थव्यवस्था (पुनर्नवीनीकृत पदार्थ का उपयोग करके) से CO₂ उत्सर्जन में 40% की कटौती कर सकती है।
- संधारणीय प्लास्टिक और ई-अपशिष्ट प्रबंधन:
- भारत के प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम (वर्ष 2022) एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाते हैं और विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) को बढ़ावा देते हैं।
- उदाहरण: ई-अपशिष्ट प्रबंधन नियम (वर्ष 2022) इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माताओं को वर्ष 2027 तक 70% ई-अपशिष्ट का पुनर्चक्रण करने का आदेश देता है।
- इसके अलावा, CSIR और आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के बीच समझौता ज्ञापन शहरी संधारणीयता के लिये वैज्ञानिक अपशिष्ट प्रबंधन समाधान पर केंद्रित है।
- चक्रीय प्रथाओं के माध्यम से कृषि संधारणीयता:
- फसल अपशिष्ट से बायोचार और जैविक खाद बनाने से पराली दहन की समस्या कम होती है तथा मृदा की उर्वरता बढ़ती है।
- उदाहरण: इंदौर का बायो-CNG संयंत्र जैविक अपशिष्ट को स्वच्छ ऊर्जा में परिवर्तित करता है, जिससे लैंडफिल का बोझ कम होता है।
निष्कर्ष:
भारत का चक्रीय अर्थव्यवस्था की ओर कदम बढ़ाना आर्थिक विकास को गति दे सकता है और साथ ही पर्यावरण क्षरण को कम कर सकता है। नीतिगत सुधारों, उद्योग सहयोग एवं तकनीकी नवाचार को लागू करके, भारत संसाधन दक्षता को अधिकतम कर सकता है, अपशिष्ट को कम कर सकता है तथा मिशन लाइफ व SDG के साथ संरेखण में सतत् विकास को बढ़ावा दे सकता है।
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