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- निबंध
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प्रश्न :
प्रश्न 1. ज्ञान का सबसे बड़ा शत्रु अज्ञान नहीं, बल्कि ‘ज्ञान का भ्रम’ है।
प्रश्न 2. परंपरा और आधुनिकता को सह-अस्तित्व की आवश्यकता होती है, प्रतिस्पर्द्धा की नहीं।
08 Mar, 2025 निबंध लेखन निबंधउत्तर :
1. अपने निबंध को समृद्ध करने के लिये उद्धरण:
- स्टीफन हॉकिंग/ डैनियल बूर्स्टिन: "ज्ञान का सबसे बड़ा दुश्मन अज्ञानता नहीं है, बल्कि ज्ञान का भ्रम है।"
- सुकरात: "एकमात्र सच्चा ज्ञान यह जानना है कि आप कुछ भी नहीं जानते हैं।"
- बर्ट्रेंड रसेल: "दुनिया की समस्या यह है कि मूर्ख लोग निश्चिंत होते हैं, जबकि बुद्धिमान लोग संदेह से भरे होते हैं।"
सैद्धांतिक और दार्शनिक आयाम:
- संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह और ज्ञान का भ्रम:
- डनिंग-क्रुगर प्रभाव: कम क्षमता वाले लोग अपनी योग्यता को अधिक आँकते हैं, जिसके कारण उनमें गलत आत्मविश्वास पैदा होता है।
- पुष्टिकरण पूर्वाग्रह: पहले से मौजूद मान्यताओं की पुष्टि करने वाली जानकारी की तलाश करने की प्रवृत्ति, जो सच्चे ज्ञान प्राप्ति में बाधा डालती है।
- डिजिटल युग में सूचना के अतिभार का विरोधाभास:
- गलत सूचना और फर्ज़ी समाचार: इंटरनेट ने सूचना तक अभिगम को लोकतांत्रिक बना दिया है, लेकिन इसने व्यापक स्तर पर गलत सूचना को भी जन्म दिया है, जिससे लोगों को गलत विश्वास हो गया है कि वे पूरी जानकारी रखते हैं।
- इको चैम्बर्स और सोशल मीडिया एल्गोरिदम: ये मौजूदा पूर्वाग्रहों को सुदृढ़ करते हैं, आलोचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करने के बजाय ज्ञान का भ्रम उत्पन्न करते हैं।
नीति और ऐतिहासिक उदाहरण:
- ज्ञान के भ्रम के कारण विफलताएँ:
- ब्रह्माण्ड का टॉल्मी मॉडल: भूकेंद्रित मॉडल गलत होने के बावजूद सदियों तक व्यापक रूप से स्वीकार किया गया, क्योंकि लोग इसे सत्य मानते थे।
- वर्ष 2008 का वित्तीय संकट: त्रुटिपूर्ण आर्थिक मॉडलों में अति आत्मविश्वास और बाज़ार स्थिरता के बारे में धारणाओं के कारण सबसे बड़ी आर्थिक मंदी आई।
- दोषपूर्ण वित्तीय मॉडलों में अत्यधिक विश्वास, जैसे: सबप्राइम बंधक-समर्थित प्रतिभूतियाँ।
- बौद्धिक विनम्रता और जिज्ञासा से प्रेरित सफलताएँ:
- वैज्ञानिक क्रांति: गैलीलियो और न्यूटन जैसे विचारकों ने प्रचलित मान्यताओं को चुनौती दी, जिसके परिणामस्वरूप महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रगति हुई।
- महात्मा गांधी का दृष्टिकोण: गांधीजी लगातार अपने विचारों पर सवाल उठाते रहे, वास्तविक दुनिया के अनुभवों के आधार पर उन्हें संशोधित करते रहे, जिससे उनका नेतृत्व सुदृढ़ हुआ।
- कोविड-19 विश्वमारी शमन: जिन देशों ने साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण को अपनाया (जैसे: दक्षिण कोरिया, न्यूज़ीलैंड) उनका प्रदर्शन उन देशों की तुलना में बेहतर रहा, जो गलत सूचना या राजनीतिक बयानबाजी पर निर्भर थे।
समकालीन उदाहरण:
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता और नैतिक दुविधाएँ: इसकी सीमाओं को समझे बिना कृत्रिम बुद्धिमत्ता में अंधविश्वास पूर्वाग्रहों और नैतिक चिंताओं को जन्म दे सकता है।
- चिकित्सा उन्नति और छद्म विज्ञान: टीकाकरण विरोधी आंदोलन यह दर्शाता है कि किस प्रकार गलत सूचना ज्ञान का भ्रम पैदा कर सकती है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है।
2. अपने निबंध को समृद्ध करने के लिये उद्धरण:
- महात्मा गांधी: "मैं नहीं चाहता कि मेरे घर को चारों तरफ से दीवारों से घेर दिया जाए और मेरी खिड़कियाँ बंद कर दी जाएँ। मैं चाहता हूँ कि सभी देशों की संस्कृतियाँ मेरे घर के आस-पास यथासंभव स्वतंत्र रूप से आएँ।"
- गुस्ताव माहलर: "परंपरा राख की पूजा नहीं, बल्कि अग्नि का संरक्षण है।"
सैद्धांतिक और दार्शनिक आयाम:
- परंपरा और आधुनिकता:
- परंपरा: सामूहिक ज्ञान, मूल्य और प्रथाएँ जो पीढ़ियों से चली आ रही हैं।
- आधुनिकता: वैज्ञानिक प्रगति, तर्कसंगत विचार और सामाजिक सुधारों के माध्यम से प्रगति की खोज़।
- सह-अस्तित्व की आवश्यकता:
- सांस्कृतिक पहचान और प्रगति: जो समाज परंपरा को पूरी तरह त्याग देते हैं, वे अपनी सांस्कृतिक विशिष्टता खोने का जोखिम उठाते हैं, जबकि कठोर परंपरावाद विकास में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
- समन्वयात्मक विकास: भारतीय समाज ने पारंपरिक मूल्यों को संरक्षित करते हुए आधुनिक विचारों को आत्मसात कर विकास किया है, जो लोकतांत्रिक प्रणाली में सदियों पुराने सामाजिक मानदंडों के साथ सह-अस्तित्व में स्पष्ट होती है।
नीति और ऐतिहासिक उदाहरण:
- परंपरा और आधुनिकता का सफल एकीकरण:
- जापान का आर्थिक मॉडल: अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाते हुए, जापान ने अपनी परंपराओं, जैसे चाय समारोह और ज़ेन दर्शन के प्रति गहरा सम्मान बनाए रखा है।
- भारत का संवैधानिक दृष्टिकोण: भारतीय संविधान पारंपरिक लोकाचार (धर्म, पंचायती राज) को आधुनिक शासन सिद्धांतों (लोकतंत्र, मौलिक अधिकार) के साथ मिश्रित करता है।
- आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा: भारत की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली एक समग्र दृष्टिकोण के लिये पारंपरिक आयुर्वेदिक प्रथाओं को एलोपैथिक चिकित्सा के साथ एकीकृत करती है।
- असंतुलन के कारण विफलताएँ:
- चीन की सांस्कृतिक क्रांति (वर्ष 1966-76): माओ के नेतृत्व में परंपरा की आक्रामक अस्वीकृति ने चीन के सामाजिक संरचना को छिन्न-भिन्न कर दिया।
- स्वदेशी परंपराओं का औपनिवेशिक विनाश: पश्चिमी प्रणालियों को ब्रिटिशों द्वारा थोपे जाने से प्रायः पारंपरिक ज्ञान (पारंपरिक भारतीय शिक्षा प्रणाली (जैसे: गुरुकुल परंपरा) और शिल्प (जैसे: भारतीय वस्त्र) कमज़ोर हो गए, जिससे उपनिवेशित समाजों में सांस्कृतिक पहचान कमज़ोर हो गई।
समकालीन उदाहरण:
- भारत का संतुलनकारी कार्य:
- डिजिटल इंडिया और संस्कृत शिक्षण: डिजिटल बुनियादी अवसंरचना को बढ़ावा देते हुए भारत ने पारंपरिक ज्ञान संरक्षण को भी प्रोत्साहित किया है।
- महिला अधिकार और व्यक्तिगत कानून: कानूनी सुधार सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं के प्रति संवेदनशील रहते हुए लैंगिक अधिकारों को आधुनिक बनाने का प्रयास करते हैं।
- उदाहरण के लिये, लैंगिक अधिकारों पर कानूनी सुधार (जैसे: भारत में तीन तलाक का निर्णय) आधुनिक कानूनी सिद्धांतों को पारंपरिक धार्मिक ढाँचे के साथ संतुलित करने का प्रयास करते हैं।
- वैश्विक परिप्रेक्ष्य:
- स्कैंडिनेवियाई देशों का कार्य-जीवन संतुलन: ये राष्ट्र सामुदायिक कल्याण की पारंपरिक अवधारणाओं को बनाए रखते हुए प्रौद्योगिकी और आर्थिक प्रगति को अपनाते हैं।
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