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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. "नैतिकता हमारे द्वारा चयनित विकल्पों से संबद्ध नहीं होती, बल्कि उन विकल्पों के पीछे के कारणों में ही निहित होती है।" नैतिक तर्क और निर्णय लेने के संदर्भ में इस कथन का परीक्षण कीजिये। (150 शब्द)

    06 Mar, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • नैतिकता और नैतिक तर्कणा के संदर्भ में जानकारी के साथ उत्तर दीजिये। 
    • नैतिक तर्क और निर्णय लेने से संबंधित प्रमुख दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
    • विकल्पों से परे नैतिकता के लिये तर्क दीजिये। 
    • मुख्य बिंदुओं का सारांश देकर निष्कर्ष दीजिये। 

    परिचय: 

    नैतिकता मूलतः न केवल व्यक्तियों द्वारा लिये गए निर्णयों से संबंधित है, बल्कि उन निर्णयों के पीछे अंतर्निहित तर्क से भी संबंधित है। 

    • नैतिक तर्कणा में व्यक्तिगत या सामाजिक प्राथमिकताओं के बजाय सिद्धांतों, मूल्यों और परिणामों के आधार पर कार्यों की नैतिकता का मूल्यांकन करना शामिल है।

    मुख्य भाग: 

    नैतिक तर्क और निर्णय लेना: 

    नैतिक तर्क नैतिक दुविधाओं का समालोचनात्मक विश्लेषण करने और नैतिक सिद्धांतों के आधार पर चुनाव करने की प्रक्रिया है। इसमें विभिन्न दृष्टिकोण शामिल हैं:

    • परिणामवाद (उपयोगितावाद)- निर्णय परिणामों पर आधारित होते हैं (उदाहरण के लिये, अधिकतम संख्या के लिये खुशी को अधिकतम करना)।
      • उदाहरण: संकट के दौरान बहुसंख्यक वर्ग को लाभ पहुँचाने के लिये आर्थिक राहत उपायों को प्राथमिकता देने वाली सरकार।
    • कर्त्तव्यपरायण-नैतिकता (काण्ट के नैतिक सिद्धांत) - निर्णय, परिणामों की परवाह किये बिना कर्त्तव्यों, अधिकारों और नियमों पर आधारित होते हैं।
      • उदाहरण: एक मुखबिर व्यक्तिगत जोखिम के बावजूद भ्रष्टाचार को उजागर करता है, क्योंकि सत्य और न्याय नैतिक अनिवार्यताएँ हैं।
    • सद्गुण नैतिकता (अरस्तूवादी नैतिकता)- कार्य के बजाय निर्णयकर्त्ता के नैतिक चरित्र पर ध्यान केंद्रित करती है।
      • उदाहरण: एक डॉक्टर पेशेवर नैतिकता और करुणा से प्रेरित होकर एक गरीब मरीज़ का निशुल्क उपचार करता है।

    विकल्पों से परे नैतिकता

    • कार्रवाई पर नैतिक औचित्य: नैतिकता इस बात से संबंधित है कि क्या निर्णय स्वार्थ, भय या वास्तविक नैतिक दायित्व से लिया गया है।
      • उदाहरण: दो लोग दान करते हैं - एक कर लाभ के लिये, दूसरा सहानुभूति के कारण। कार्य एक ही है, लेकिन नैतिक तर्क अलग-अलग हैं।
    • इरादा और नैतिक अखंडता: इरादे के आधार पर एक ही कार्य के अलग-अलग नैतिक मूल्य हो सकते हैं।
      • उदाहरण: एक व्यवसाय केवल लाभ के लिये संधारणीय प्रथाओं को अपनाता है, जबकि दूसरा पर्यावरणीय जिम्मेदारी के लिये ऐसा करता है।
    • नैतिक दुविधाएँ और औचित्य: कई नैतिक दुविधाओं में प्रतिस्पर्द्धी मूल्य शामिल होते हैं और तर्क यह निर्धारित करता है कि किस मूल्य को प्राथमिकता दी जाए।
      • उदाहरण: किसी अपराधी को सजा सुनाते समय न्यायाधीश को न्याय (दंड) और पुनर्वास (दया) के बीच संतुलन बनाना चाहिये।
    • सार्वजनिक नीति और शासन: शासन में निर्णय लेने का कार्य संवैधानिक मूल्यों, सामाजिक न्याय और दीर्घकालिक सामाजिक भलाई द्वारा निर्देशित होता है।
      • उदाहरण: सकारात्मक कार्रवाई नीतियों को केवल एक राजनीतिक रणनीति के रूप में नहीं बल्कि सामाजिक समानता की दिशा में एक कदम के रूप में लागू किया जाना चाहिये।

    निष्कर्ष

    इसलिये, नैतिकता केवल सही या गलत विकल्पों के संदर्भ में नहीं है, बल्कि उनके पीछे के तर्क के संदर्भ में भी है। वास्तविक नैतिक व्यवहार अनुपालन या सुविधा के बजाय सुस्थापित नैतिक तर्क के परिणामस्वरुप होता है। नैतिक नेतृत्व, शासन और व्यक्तिगत आचरण को नैतिक रूप से सही निर्णय लेने को सुनिश्चित करने के लिये न्याय, सहानुभूति एवं अखंडता जैसे सिद्धांतों द्वारा संचालित किया जाना चाहिये।

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