- फ़िल्टर करें :
- भूगोल
- इतिहास
- संस्कृति
- भारतीय समाज
-
प्रश्न :
भारत में अपनाई जाने वाली सिंचाई की विभिन्न प्रणालियाँ कौन-कौन सी हैं और सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली पारंपरिक सिंचाई प्रणाली से किस प्रकार भिन्न है?
25 Nov, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- भारत में प्रचलित सिंचाई के साधनों का परिचय दें।
- भारत में अपनाई जाने वाली कृषि प्रणालियों और विभिन्न तकनीकों को बताएँ।
- पारंपरिक सिंचाई और सूक्ष्म सिंचाई में तुलना करें।
भारत का अधिकांश भाग उष्णकटिबंध और उपोष्णकटिबंध में स्थित है, जिसके कारण यहाँ वाष्पोत्सर्जन बहुत अधिक होता है। परिणामस्वरूप सिंचाई के लिये जल की बहुत अधिक मांग होती है। भारत में सिंचाई के तीन प्रमुख साधन हैं- नहरें, कुएँ और तालाब। इन साधनों के प्रयोग से भारत में कई तरह की सिंचाई प्रणालियाँ प्रचलित हैं।
भारत में परंपरागत सिंचाई प्रणालियों में सामान्यता भूतल सिंचाई या सतही सिंचाई की जाती है। इनके अंतर्गत जल संपूर्ण क्षेत्रफल पर सामान्य गुरुत्वाकर्षण के द्वारा विभिन्न तकनीकों के माध्यम से प्रवाहित होता है। सतही सिंचाई के अंतर्गत अपनाई जाने वाली तकनीकों में चेक बेसिन विधि, कुंड सिंचाई, पट्टी सिंचाई और घाटी सिंचाई विधियाँ प्रमुख हैं।
आधुनिक सिंचाई प्रणाली के अंतर्गत सूक्ष्म सिंचाई और उप-सिंचाई विधियाँ आती हैं। सूक्ष्म सिंचाई विधि के अंतर्गत नियत अंतराल पर कम दबाव से आवश्यक न्यूनतम जल की आपूर्ति की जाती है। इसके अंतर्गत स्प्रिंकलर सिंचाई, रेनगन आदि विधियों को शामिल किया जाता है।
उप-सिंचाई विधि में ड्रिप या टपकन विधि को शामिल किया जाता है। साधारणतया इसे ऊँचाई वाले क्षेत्रों में पानी पहुँचाने के लिये इस्तेमाल किया जाता है।
पारंपरिक सिंचाई और सूक्ष्म सिंचाई में तुलना:
- सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली पारंपरिक सिंचाई की अपेक्षा अधिक प्रभावी एवं उपयोगी होती है।
- सूक्ष्म सिंचाई में आवश्यकतानुसार जल की आपूर्ति नियंत्रित की जा सकती है।
- पारंपरिक सिंचाई की तुलना में सूक्ष्म सिंचाई खरपतवार को नियंत्रित करने में भी उपयोगी है।
- इसके अतिरिक्त सूक्ष्म सिंचाई फसल अनुकूल सिंचाई उपलब्ध कराने में सक्षम है। साथ ही अधिक पैदावार और उर्वरकों की खपत कम करने में भी सहायक है।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print