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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. “भारत में उच्च शिक्षा सुधार सामाजिक गतिशीलता और समानता को बढ़ावा देने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।” उच्च शिक्षा अभिगम और गुणवत्ता सुनिश्चित करने में राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 की भूमिका का मूल्यांकन कीजिये। (250 शब्द)

    04 Mar, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण: 

    • भारत में उच्च शिक्षा प्रणाली की स्थिति के संदर्भ में जानकारी के साथ उत्तर दीजिये। 
    • उच्च शिक्षा अभिगम और गुणवत्ता सुनिश्चित करने में NEP- 2020 की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
    • NEP- 2020 के कार्यान्वयन में चुनौतियों पर गहन विचार प्रस्तुत कीजिये तथा उच्च शिक्षा प्रणाली को मज़बूत करने के उपाय सुझाइये।
    • एक दूरदर्शी दृष्टिकोण के साथ उचित निष्कर्ष दीजिये। 

    परिचय: 

    भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली लंबे समय से निम्न सकल नामांकन अनुपात (GER), संकाय की कमी, पुराने पाठ्यक्रम और अपर्याप्त उद्योग संपर्क जैसी चुनौतियों से जूझ रही है।

    • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 का उद्देश्य उच्च शिक्षा में अभिगम, गुणवत्ता और समानता बढ़ाने के लिये संरचनात्मक सुधारों को लागू करके इन मुद्दों का समाधान करना है। 

    मुख्य भाग: 

    उच्च शिक्षा-अभिगम सुनिश्चित करने में NEP- 2020 की भूमिका: 

    • सकल नामांकन अनुपात (GER) और समावेशिता में वृद्धि
      • NEP- 2020 का लक्ष्य वर्ष 2035 तक GER को 27.3% (AISHE- 2023) से बढ़ाकर 50% करना है, जिससे उच्च शिक्षा तक व्यापक पहुँच सुनिश्चित होगी।
      • अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों (EWS) के लिये छात्रवृत्ति एवं वित्तीय सहायता के माध्यम से लैंगिक समानता और सीमांत समूहों के समावेश पर ज़ोर दिया गया है।
      • ग्रामीण और कामकाज़ी पेशेवरों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा (ODL) तथा ऑनलाइन शिक्षा का विस्तार किया जाएगा।
    • बहु प्रवेश-निकास प्रणाली और शैक्षणिक लचीलापन
      • बहु प्रवेश-निकास विकल्पों की शुरूआत से छात्रों को अपनी शैक्षणिक प्रगति से वंचित हुए बिना उच्च शिक्षा में पुनः प्रवेश करने की सुविधा मिलती है।
      • ऐकडेमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (ABC) छात्रों को विभिन्न संस्थानों में क्रेडिट संग्रहीत करने और अंतरित करने में सक्षम बनाता है, जिससे अधिगम की निरंतरता सुनिश्चित होती है।
      • इन परिवर्तनों से स्कूल छोड़ने वाले छात्रों की संख्या में कमी आएगी तथा वंचित छात्रों और कार्यरत पेशेवरों के लिये उच्च शिक्षा तक अभिगम में वृद्धि होगी।
    • डिजिटल लर्निंग और एडटेक एकीकरण
      • NEP- 2020 SWAYAM, DIKSHA और PM eVidya जैसे प्लेटफॉर्मों के माध्यम से डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देता है, बड़े पैमाने पर ओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रम (MOOC) प्रदान करता है।
      • ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षण विधियों को एकीकृत करके हाइब्रिड शिक्षण मॉडल को प्रोत्साहित करता है।
      • डिजिटल यूनिवर्सिटी अवधारणा का उद्देश्य दूरदराज़ के क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करके डिजिटल डिवाइड को समाप्त करना है।

    उच्च शिक्षा में गुणवत्ता सुनिश्चित करने में NEP- 2020 की भूमिका: 

    • पाठ्यक्रम सुधार और बहुविषयक दृष्टिकोण
      • NEP- 2020 कठोर अनुशासन-आधारित शिक्षा को लचीले, बहु-विषयक दृष्टिकोण से प्रतिस्थापित करता है।
      • अंतःविषय विशेषज्ञता और अनुसंधान घटकों के साथ चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करता है।
      • योग, आयुर्वेद और दर्शन जैसे विषयों को आधुनिक विषयों के साथ एकीकृत करके भारतीय ज्ञान प्रणालियों (IKS) को बढ़ावा देना।
    • अनुसंधान और नवाचार को मज़बूत करना
      • भारत के अनुसंधान उत्पादन में सुधार लाने तथा अनुसंधान एवं विकास वित्तपोषण में वृद्धि करने के लिये राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (NRF) की स्थापना।
      • अनुप्रयुक्त अनुसंधान और नवाचार के लिये शिक्षा-उद्योग सहयोग को प्रोत्साहित करना।
      • अनुसंधान पर अधिक ध्यान देने से भारत की वैश्विक नवाचार सूचकांक रैंकिंग (वर्ष 2023 में 40वीं) में सुधार हो सकता है।
    • संकाय गुणवत्ता और प्रशिक्षण में सुधार
      • पंडित मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय शिक्षक एवं शिक्षण मिशन (PMMMNMTT) शिक्षक प्रशिक्षण और शिक्षणशास्त्र को प्रोत्साहित करता है।
      • भर्ती और प्रशिक्षण में सुधार के माध्यम से संकाय की कमी को दूर किया जाएगा, साथ ही IIT, IIM व अन्य संस्थानों में रिक्तियों को कम किया जाएगा।
      • शिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के साथ संकाय विनिमय कार्यक्रमों को बढ़ावा देना।

    NEP- 2020 के कार्यान्वयन में चुनौतियाँ: 

    • शिक्षकों की कमी: IIT में 40% तथा IIM में 31% रिक्तियाँ शिक्षण की गुणवत्ता में बाधा डालती हैं।
    • निम्न GER एवं असमानता: ग्रामीण एवं सीमांत समुदाय अभी भी शिक्षा-अभिगम के मामले में संघर्ष कर रहे हैं।
    • अनुसंधान वित्तपोषण अंतराल: भारत का अनुसंधान एवं विकास व्यय सकल घरेलू उत्पाद का 0.7% है, जो वैश्विक 1.8% औसत से कम है।
    • डिजिटल डिवाइड: केवल 34% स्कूलों में इंटरनेट है, जिससे ऑनलाइन अधिगम के अवसर सीमित हो गए हैं।
    • उद्योग-अकादमिक संबंध विच्छेद: पुराने पाठ्यक्रम के कारण रोज़गार की दर 54.81% कम है।

    उच्च शिक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करने के उपाय: 

    • अनुसंधान और नवाचार को सुदृढ़ करना
      • अनुसंधान एवं विकास के लिये वित्तपोषण को सकल घरेलू उत्पाद के 2% तक बढ़ाना तथा अनुसंधान विकास के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
      • विश्वविद्यालयों, उद्योगों और सरकारी संस्थानों को जोड़ते हुए अनुसंधान एवं नवाचार क्लस्टर स्थापित किया जाना चाहिये।
    • डिजिटल बुनियादी अवसंरचना को बढ़ाना
      • ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल डिवाइड को समाप्त करने के लिये ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी और 5G-संचालित वर्चुअल लर्निंग का विस्तार किया जाना चाहिये।
      • विश्वविद्यालयों को AI-संचालित शिक्षण उपकरणों और डिजिटल कक्षाओं से सुसज्जित किया जाना चाहिये।
    • संकाय भर्ती और प्रशिक्षण में सुधार
      • वैश्विक संकाय प्रतिभा को आकर्षित करने के लिये प्रतिस्पर्द्धी वेतन और अनुसंधान अनुदान प्रदान किया जाना चाहिये। निरंतर अधिगम के लिये SWAYAM को संकाय विकास कार्यक्रमों से जोड़ा जाना चाहिये।
    • उद्योग-अकादमिक सहयोग को मज़बूत करना
      • उद्योग-प्रासंगिक कौशल प्रशिक्षण के लिये विश्वविद्यालयों में उत्कृष्टता केंद्र (CoE) स्थापित किया जाना चाहिये।
      • इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप को अनिवार्य डिग्री घटकों के रूप में लागू किया जाना चाहिये।
    • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का विस्तार
      • सांस्कृतिक शिक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से विश्व स्तर पर भारतीय ज्ञान प्रणालियों (IKS) को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
      • IIT मद्रास के ज़ांज़ीबार मॉडल का अनुसरण करते हुए अधिक भारतीय विश्वविद्यालयों को वैश्विक परिसर स्थापित करने के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।

    निष्कर्ष: 

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 एक ऐतिहासिक सुधार है जिसका उद्देश्य भारत की उच्च शिक्षा को सुलभ, समावेशी और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाना है। बहु-विषयक शिक्षा, डिजिटल शिक्षा, अनुसंधान निधि और विनियामक सरलीकरण की शुरुआत करके, NEP- 2020 भविष्य के लिये तैयार शिक्षा प्रणाली की नींव रखती है।

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