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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. हाल के दिनों में भारत-मालदीव संबंधों में उतार-चढ़ाव हुए हैं, जिसका असर क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग पर भी पड़ा है। भारत के लिये मालदीव के सामरिक महत्त्व का विश्लेषण कीजिये और विकसित हो रही भू-राजनीतिक गतिशीलता के आधार पर द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने के उपाय सुझाइये। (250 शब्द)

    04 Mar, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण: 

    • भारत और मालदीव संबंधों के संदर्भ में जानकारी के साथ उत्तर दीजिये। 
    • भारत के लिये मालदीव का सामरिक महत्त्व बताइये।
    • भारत-मालदीव संबंधों को मज़बूत करने के उपाय सुझाइये।
    • एक दूरदर्शी दृष्टिकोण के साथ उचित निष्कर्ष दीजिये। 

    परिचय: 

    भारत और मालदीव के बीच गहरे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं रणनीतिक संबंध हैं। हालाँकि, भू-राजनीतिक बदलावों(चीन का बढ़ता प्रभाव) और घरेलू राजनीतिक परिवर्तनों (वर्ष 2022 में इंडिया आउट अभियान) के कारण उनके संबंधों में हाल के उतार-चढ़ाव ने क्षेत्रीय स्थिरता एवं सहयोग को प्रभावित किया है। 

    मुख्य भाग: 

    भारत के लिये मालदीव का सामरिक महत्त्व: 

    • भू-राजनीतिक महत्त्व
      • भौगोलिक रूप से भारत से निकटता: भारत के लक्षद्वीप द्वीप समूह के निकट स्थित मालदीव भारत की समुद्री सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण है।
      • समुद्री व्यापार मार्ग:मालदीव प्रमुख समुद्री मार्गों पर स्थित है जो वैश्विक व्यापार को सुविधाजनक बनाता है, जिसमें मध्य पूर्व से भारत का ऊर्जा आयात भी शामिल है।
        • ऐट डिग्री चैनल और वन-एंड-अ-हाफ डिग्री चैनल समुद्री यातायात की निगरानी, ​​समुद्री डकैती को रोकने और बाह्य खतरों का मुकाबला करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
    • सुरक्षा एवं रक्षा सहयोग
      • संयुक्त सैन्य अभ्यास:भारत और मालदीव सुरक्षा संबंधों को मज़बूत करने के लिये एकुवेरिन, दोस्ती एकताजैसे संयुक्त सैन्य अभ्यास आयोजित करते हैं।
      • सामरिक अवसंरचना: भारत ने मालदीव की समुद्री सुरक्षा बढ़ाने के लिये तटीय रडार प्रणाली विकसित की है और उथुरु थिला फल्हू (UTF) नौसैनिक बंदरगाहका निर्माण किया है।
      • प्रथम मोचनकर्त्ता की भूमिका:भारत ऐतिहासिक रूप से मालदीव के संकटों में प्रथम मोचनकर्त्ता रहा है, जैसे ऑपरेशन कैक्टस (वर्ष 1988) और ऑपरेशन नीर (वर्ष 2014)
    • आर्थिक एवं विकासात्मक सहयोग
      • पर्यटन और व्यापार:भारत वर्ष 2020-2023 तक मालदीव के लिये पर्यटकों का सबसे बड़ा स्रोत था, जिसने इसकी अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदानदिया। 
        • द्विपक्षीय व्यापार में भी वृद्धि हुई है तथा भारत वर्ष 2023 में मालदीव का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बनकर उभरा है।
      • बुनियादी अवसंरचना विकास:ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP) मालदीव में भारत द्वारा वित्त पोषित सबसे बड़ी बुनियादी अवसंरचना परियोजनाहै।
        • अन्य परियोजनाओं में हनीमाधू अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का विकास शामिल है।
    • चीन के प्रभाव का प्रतिकार
      • चीन की सामरिक उपस्थिति:बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में भागीदारी सहित मालदीव में चीन के निवेश ने भारत पर ऋण निर्भरता और सामरिक घेरेबंदी के बारे में चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
      • 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स' रणनीति:चीनी वित्त पोषित परियोजनाएँ, जैसे सिनामाले ब्रिज और बंदरगाह विकास, हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का संकेत देती हैं।

    भारत-मालदीव संबंधों में चुनौतियाँ: 

    • मालदीव में राजनीतिक अस्थिरता:
      • नेतृत्व में बदलाव प्रायः मालदीव की विदेश नीति को प्रभावित करते हैं। राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू के चीन समर्थक रुख के कारण भारत की भागीदारी कम हुई है।
      • इंडिया आउट’ अभियान (वर्ष 2022-23) में बढ़ती भारत विरोधी भावनाओं को प्रतिबिंबित किया गया, जिसमें भारतीय सैन्य कर्मियों को वापस जाने की मांग की गई।
    • बढ़ता चीनी प्रभाव:
      • चीन की BRI में मालदीव की भागीदारी और बढ़ते चीनी निवेश से बीजिंग पर रणनीतिक निर्भरता के बारे में चिंताएँ बढ़ गई हैं।
      • वर्ष 2017 मालदीव-चीन मुक्त व्यापार समझौता (FTA) और हालिया चीन-मालदीव पर्यटन सहयोग गठबंधनों में बदलाव का संकेत देते हैं।
    • सुरक्षा खतरे:
      • कट्टरपंथी तत्त्वों की उपस्थिति तथा पाकिस्तान स्थित चरमपंथी समूहों का संभावित बाह्य प्रभाव भारत और मालदीव दोनों के लिये सुरक्षा जोखिम खड़े करता है।
      • हिंद महासागर में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियाँ भारत के सामरिक हितों के लिये चुनौती बन रही हैं।
    • भारतीय पर्यटन में गिरावट:
      • वर्ष 2024 में मालदीव के अधिकारियों की अपमानजनक टिप्पणियों के बाद उत्पन्न कूटनीतिक विवाद के कारण भारतीय पर्यटकों के आगमन में गिरावट आई।
      • चीन और ब्रिटेन जैसे अन्य बाज़ारों से प्रतिस्पर्द्धा ने मालदीव में भारत की आर्थिक स्थिति को कम कर दिया है।

    भारत-मालदीव संबंधों को मज़बूत करने के उपाय: 

    • कूटनीतिक और राजनीतिक जुड़ाव
      • उच्च स्तरीय वार्ता:लगातार उच्च स्तरीय यात्राओं और सामरिक वार्ताओं के माध्यम से कूटनीतिक पहुँच को मज़बूत किया जा सकता है।
      • द्विपक्षीय समझौते:भारत की रणनीतिक भूमिका को बनाए रखने के लिये रक्षा, व्यापार और बुनियादी अवसंरचना पर प्रमुख समझौतों को पुनर्जीवित किये जाने की आवश्यकता है।
    • सुरक्षा और सामरिक सहयोग
      • रक्षा अवसंरचना विकास: UTF हार्बर परियोजना जैसी प्रमुख परियोजनाओं में तेज़ी लाने की आवश्यकता है और सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों का भी विस्तार किया जाना चाहिये।
      • उन्नत समुद्री निगरानी:बाह्य खतरों का मुकाबला करने के लिये नौसैनिक सहयोग और खुफिया जानकारी साझाकरण को मज़बूत किया जाना चाहिये।
      • त्रिपक्षीय सहयोग:त्रिपक्षीय समुद्री सुरक्षा पहल में मालदीव और श्रीलंका को शामिल किया जाना चाहिये।
    • आर्थिक एवं अवसंरचना सहायता
      • निवेश में विविधता लाना:पर्यटन के अलावा मालदीव के आर्थिक क्षेत्रों जैसे मात्स्यिकी और नवीकरणीय ऊर्जा में भारत की भूमिका का विस्तार किया जाना चाहिये।
      • कनेक्टिविटी परियोजनाओं में तेज़ी लाना:ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना और अन्य महत्त्वपूर्ण बुनियादी अवसंरचना का समय पर पूरा होना सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
    • चीन के प्रभाव का प्रतिकार
      • ऋण राहत और वित्तीय सहायता:मालदीव को चीनी ऋण पर निर्भरता कम करने में सहायता के लिये वैकल्पिक वित्तपोषण प्रदान किया जाना चाहिये।
      • सामरिक क्षेत्रीय साझेदारी: हिंद महासागर RIM एसोसिएशन (IORA) और अन्य बहुपक्षीय मंचों में मालदीव की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।

    निष्कर्ष: 

    मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का एक प्रमुख सामरिक साझेदारहै। हालाँकि द्विपक्षीय संबंधों में हाल के उतार-चढ़ाव ने चुनौतियाँ उत्पन्न की हैं, लेकिन भारत को अपना प्रभाव बनाए रखने के लिये व्यावहारिक और उदार दृष्टिकोण अपनाना चाहिये।

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