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प्रश्न :
प्रश्न. संगम साहित्य प्रारंभिक तमिल समाज, अर्थव्यवस्था और राजनीति की समझ में किस प्रकार सहायक सिद्ध होता है? इसके महत्त्व पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
03 Mar, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृतिउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- संगम साहित्य के संदर्भ में संक्षिप्त जानकारी के साथ उत्तर दीजिये।
- प्रारंभिक तमिल समाज, अर्थव्यवस्था और राजनीति को समझने में इसका महत्त्व बताइए।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
संगम साहित्य, जिसकी रचना तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर तीसरी शताब्दी ईसवी के दौरान हुई, भारत में सर्वप्रथम ज्ञात साहित्यिक परंपराओं में से एक है। यह तमिल समाज, अर्थव्यवस्था और राजनीति का एक समृद्ध विवरण प्रदान करता है, तथा तमिलकम के लोगों के जीवन, राजकौशल एवं संस्कृति के संदर्भ में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
मुख्य भाग:
प्रारंभिक तमिल समाज को समझने में महत्त्व:
- सामाजिक संरचना
- समाज को पाँच भौगोलिक विभागों (तिनाई) में संगठित किया गया था, जिनमें से प्रत्येक एक विशिष्ट जीवन शैली से जुड़ा था:
- कुरिंजी - मुरुगन, मुल्लई - विष्णु, मरुदम - इंद्र, नेयडाल - वरुण, पलाई - कोर्रावई।
- जाति-संबंधी वर्गीकरण:
- अवसार (शासक), अंतनार (पुजारी), वेनिगर (व्यापारी), और वेल्लालर (किसान) को मान्यता दी गई।
- वैदिक अनुष्ठानों के संदर्भ में स्पष्ट है कि ब्राह्मणों की भूमिका बढ़ती जा रही थी।
- महिलाओं की स्थिति
- ओबैयार, नच्चेलियर और काकईपाडिन्यार जैसी महिला कवयित्री थीं, जिन्होंने तमिल साहित्य में उत्कर्ष योगदान दिया।
- सती प्रथा अभिजात वर्ग में विद्यमान थी, लेकिन स्व-अर्जित प्रेम विवाह (कलावु) को भी मान्यता प्राप्त थी।
- धर्म और विश्वास
- प्रमुख आस्था जीववाद और प्रकृति पूजा थी, जिसमें मुरुगन, वरुण और कात्तियायनी (युद्ध देवी) जैसे देवी-देवता शामिल थे।
- मणिमेकलै बौद्ध धर्म के प्रभाव को दर्शाता है, जबकि शिलप्पादिकारम कन्नगी पंथ को दर्शाता है।
- संगम साहित्य में आर्थिक पहलू
- कृषि और भूमि उपयोग
- धान की खेती प्रमुख थी, विशेषकर चोल और पांड्य भूमि में।
- पट्टिनाप्पलाई भूमि की उर्वरता और सिंचाई परियोजनाओं का उल्लेख करते हैं, जिनमें करिकला चोल द्वारा निर्मित कावेरी तटबंध भी शामिल है।
- व्यापार और वाणिज्य
- संगम ग्रंथों में रोम, ग्रीस और दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ बढ़ते समुद्री व्यापार पर प्रकाश डाला गया है।
- पुहार (कावेरीपट्टिनम), कोरकाई और अरीकामेडु जैसे बंदरगाह प्रमुख वाणिज्यिक केंद्र थे।
- शहरी केंद्र और शिल्प उत्पादन
- मदुरै, उरियुर और वंजी जैसे शहर राजनीति एवं व्यापार के केंद्र थे।
- वस्त्र और मोती उद्योग अच्छी तरह से विकसित थे। शिलप्पादिकारम में पुहार के रेशम-बुनाई कौशल का वर्णन है।
- कृषि और भूमि उपयोग
- संगम युग में राजनीतिक संरचना
- राजवंशीय शासन: तीन प्रमुख साम्राज्य - चेर, चोल और पांड्या - तमिल राजनीति की रीढ़ थे।
- चेर राजवंश: केरल पर नियंत्रण; व्यापार तथा बौद्ध व जैन धर्म के संरक्षण के लिये जाना जाता है।
- चोल राजवंश: नौसैनिक शक्ति, सिंचाई परियोजनाओं और विजयों (करिकला चोल) के लिये जाना जाता है।
- पाण्ड्य राजवंश: मदुरै में राजधानी, संगम संरक्षण के लिये प्रसिद्ध।
- राजवंशीय शासन: तीन प्रमुख साम्राज्य - चेर, चोल और पांड्या - तमिल राजनीति की रीढ़ थे।
- शासन और प्रशासन
- उपाधियों और प्रतीकों (चोलों के लिये बाघ, चेरों के लिये धनुष-बाण, पाण्ड्यों के लिये मछली) के साथ वंशानुगत राजतंत्र।
- राजाओं की एक पाँच सदस्यीय परिषद होती थी जिसमें मंत्री (अमैच्चार), पुरोहित (पुरोहितार), दूत (दूतार), सेनापति (सेनापतियार) और गुप्तचर (ओर्रार) होते थे।
निष्कर्ष
संगम साहित्य प्रारंभिक तमिल सभ्यता के दर्पण के रूप में कार्य करता है, जो सामाजिक संरचनाओं, आर्थिक समृद्धि और राजनीतिक प्रणालियों का एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। तमिल पहचान को प्रभावित करने वाली महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक विरासत प्रदान करने के अलावा, यह तमिलकम के बाह्य विश्व के साथ संपर्क पर भी अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
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